जयशंकर की खरी-खरी, पड़ोसी देश सीमा पर जैसे संबंध रखेंगे, भारत वैसे ही द्विपक्षीय संबंध रखेगा

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भारत

वर्ष 2019 से पहले तक भारत के पास चीन को लेकर कोई ठोस नीति नहीं थी। चीन बॉर्डर पर आक्रामकता दिखाता रहता था और इधर सरकारें चीन के साथ व्यापार संबंध मजबूत करने की बातें किया करती थीं। इससे ना सिर्फ एक गलत संदेश जाता था, बल्कि देश के जवान भी अपने आप को ठगा महसूस करते थे। हालांकि, वर्ष 2019 में जब से एस जयशंकर देश के विदेश मंत्री बने हैं, तब से भारत ने चीन को लेकर सख्त नीति अपनाई है, जिसका ज़िक्र 7 सितंबर को विदेश मंत्री ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए भी किया।

विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को लेकर कहा कि “बॉर्डर पर स्थिति को दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। चीन जैसा व्यवहार बॉर्डर पर करेगा, उसका असर दोनों देशों के आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्तों पर भी पड़ेगा”। जयशंकर के इस बयान से साफ है कि, भारत के मन में चीनी नीति को लेकर अब कोई संशय नहीं है, और लद्दाख में चीन जैसा व्यवहार करेगा, उसका असर नई दिल्ली में देखने को मिलेगा। तभी तो जब-जब बॉर्डर पर चीन ने भारत के खिलाफ कोई आक्रामकता दिखाने का प्रयास किया है, तब-तब नई दिल्ली की ओर से भी चीन के खिलाफ बड़े आर्थिक कदम उठाए गए हैं।

हालांकि, अब तक भारत खुलकर चीन के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से हिचकिचाता था। दशकों से भारत और चीन के बीच बॉर्डर विवाद चलता आ रहा है, जिसे अब तक सुलझाया नहीं जा सका है। चीन इसी का फायदा उठाकर हर साल भारत के इलाकों में घुसपैठ करता था। वर्ष 2017 में भारत-चीन के बीच विवाद तब बढ़ गया था जब डोकलाम में चीनी सेना ने सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया था। हालांकि, इस सबके बावजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वर्ष 2018 में वुहान में और वर्ष 2019 में चेन्नई में “Informal Summit” का आयोजन किया गया था। पर वर्तमान हालात को देखकर कहा जा सकता है कि चीन ने कभी ऐसी बैठकों के दौरान किए गए अपने वादों को पूरा करने की ज़हमत नहीं उठाई।

वर्ष 2014 से पहले UPA सरकार के दौरान भी यही हाल रहा था। यूपीए सरकार ने कभी चीन के साथ अपने बॉर्डर को गंभीरता से लिया ही नहीं। वर्ष 2013 में चीन ने दुस्साहस करते हुए भारत की 640 वर्ग किमी ज़मीन हड़प ली थी। उस वक्त के रक्षा मंत्री एक एंटनी ने संसद में एक बयान देने के अलावा चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की सोची भी नहीं। सरकार उस वक्त कुछ नहीं कर पाई। कुछ लोग कांग्रेस और CCP के मजबूत रिश्तों को भी इस बात का कारण मानते हैं कि भारत उस वक्त चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाया था।

हालांकि, वर्ष 2020 की कहानी पूरी तरह अलग है। आज से पहले हम चीन पर आरोप लगाते थे कि उसने हमारी ज़मीन को हड़प लिया है, आज चीन भारत पर बिलकुल वही आरोप लगा रहा है। 15 जून को भारत-चीन के बीच गलवान में हुए खूनी संघर्ष के बाद नई दिल्ली ने बड़ा आर्थिक कदम उठाया था। भारत ने तब Tiktok सहित 59 चीनी apps को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया था। इसी प्रकार जब 29-30 अगस्त की रात को चीन ने भारत के खिलाफ पैंगोंग में आक्रामकता दिखाने की कोशिश की, तो ना सिर्फ भारत ने सीमा पर pre-emptive एक्शन लिया, बल्कि PubG समेत चीन के और 118 apps पर पाबंदी लगाने का ऐलान कर दिया। इसके अलावा एनर्जी सेक्टर, इनफ्रास्ट्रक्चर, निवेश और रेलवे जैसी महत्वपूर्ण सेक्टर्स से भी चीन विरोधी सफाई अभियान जारी है।

भारत सरकार के इन actions से साफ है कि अब भारत बॉर्डर पर तैनात अपने सैनिकों से ठीक पीछे खड़ा है, और चीन ने लद्दाख में उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का दुस्साहस किया, तो यह लड़ाई सिर्फ लद्दाख तक सिमट कर नहीं रहेगी, बल्कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सीधे-सीधे लड़ी जाएगी।

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