जेल में बैठे-बैठे लालू यादव पार्टी के नेताओं से मिल रहे, टिकट बांट रहे और चुनावी रणनीति तय कर रहे हैं

नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं और हेमंत सोरेन सो रहे हैं

लालू यादव

लालू यादव जेल में बैठे-बैठे अपनी राजनीतिक गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। बड़ी बात यह है कि इस मामले को लेकर झारखण्ड सरकार को जेल प्रशासन द्वारा एक अधिकारिक शिकायत पात्र भी सौंपा गया था। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लालू और आरजेडी के नेताओं को खुली छूट दे रखी है। यह सर्वविदित तथ्य है कि, लालू यादव बिहार की राजनीति के प्रभावी नेता रहे हैं। तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू के इर्दगिर्द ही उनकी पार्टी आरजेडी का संगठन टिका हुआ है। लालू की लाख कोशिशों के बावजूद उनके पुत्रों में कोई भी इस योग्य नहीं बन पाया कि उनके बाद वो पार्टी का नेतृत्व सही तरीके से कर सकें। यही कारण है कि, लालू प्रसाद यादव को जेल में बैठकर ही आने वाले बिहार चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति पर काम करना पड़ रहा है और टिकट भी बाँटना पड़ रहा है।

लालू यादव पहले झारखंड की रांची जेल में बंद थे लेकिन वहाँ भी जेल और कोरोना गाइडलाइन्स के नियमों को तोड़कर बिहार के नेता लगातार उनसे मिलते रहे। यही कारण था कि, रांची जेल के इंस्पेक्टर जनरल वीरेंद्र भूषण ने रांची के डिप्टी कमिश्नर छवि रंजन को पत्र लिखकर इस बात की शिकायत की थी कि, लालू लगातार जेल के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसपर बिहार सरकार के मंत्री और जदयू नेता नीरज कुमार ने ट्वीट करते हुए झारखंड की सोरेन सरकार पर निशाना साधा।

अब इससे स्पष्ट है कि, झारखंड में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिस भी आरजेडी नेता को टिकट चाहिए होता है वह लालू प्रसाद यादव के दरबार में हाजिरी लगाता है। ऐसा लग रहा है कि, झारखंड सरकार भी इसमें लालू का सहयोग कर रही है। दरअसल आरजेडी झारखंड सरकार को विधानसभा में समर्थन दे रही है, संभवतः इसीलिए हेमंत सोरेन ने आरजेडी के नेताओं को लालू से मिलने की खुली छूट दे रखी है।

अभी हाल में खबर आई थी कि, खराब स्वास्थ्य के चलते लालू प्रसाद यादव को जेल से Rajendra Institute of Medical Sciences (RIMS) शिफ्ट कर दिया गया था। लालू ने आरोप लगाया कि, वहां उनकी पर्याप्त देखभाल नहीं हो पा रही थी अतः झारखंड सरकार ने उन्हें एक बंगले में शिफ्ट करने की व्यवस्था कर दी।

इसपर ट्वीट करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लिखा, “लालू को एक बंगले में स्थानांतरित करके, सोरेन सरकार ने लालू के लिए टिकट के इच्छुक उम्मीदवारों से मिलना और आसान बना दिया है। लोग उनसे मिलने के लिए बिहार से ही लाइन लगाए हुए हैं। उन्होंने 200 से अधिक टिकट उम्मीदवारों का बायोडाटा पहले ही एकत्रित कर लिया है, लेकिन यह जेल के मानदंडों का उल्लंघन करता है।”

झारखंड सरकार के रवैए पर प्रश्न उठाते हुए नीरज कुमार ने कहा कि आखिर एक सजायाफ्ता व्यक्ति जेल के अंदर बैठकें कैसे कर सकता है।

Hindustan Times की एक रिपोर्ट के अनुसार इन सभी आरोपों के जवाब में आरजेडी का स्टैण्ड है कि, लालू प्रसाद यादव एक लोकप्रिय नेता हैं और जेल में होने के बावजूद उनकी मांग अब भी बनी हुई है। इन फालतू के तर्कों से बात खत्म नहीं होती क्योंकि, मुद्दा यह नहीं है कि लालू कितने लोकप्रिय हैं या उनका राजनीतिक रसूख कितना है। मुद्दा यह है कि, झारखंड सरकार का रवैया अनैतिक होने के साथ ही कानूनी रूप से गलत भी है। साफ है कि, झारखंड में लोकतांत्रिक मूल्यों एवं न्याय के सिद्धांत की बलि चढ़ा कर एक अपराधी को राजनीतिक गतिविधियों के संचालन की खुली छूट दे दी गई है।

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