दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा हुई राजीव शर्मा की गिरफ्तारी से ये स्पष्ट हो गया है कि हमारे देश में कैसे कुछ पत्रकार हैं जो अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए अपने देश की सुरक्षा का सौदा करने से भी नहीं हिचकिचाते। राजीव शर्मा को हिरासत में लिए जाने पर उसके पास से कई ऐसे दस्तावेज़ बरामद हुए, जिनके गलत हाथों में जाने से देश की सुरक्षा पर काफी बड़ा खतरा मंडरा रहा था। परंतु अब ऐसा लगता है कि राजीव शर्मा को बचाने के लिए एक पूरी लॉबी जी जान से जुट गई है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत की सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज़ चोरी कर चीन के साथ साझा करने के निर्णय के लिए राजीव शर्मा की जितनी निंदा की जाये वो कम है, लेकिन अब ऐसा लगता है कि राजीव के बचाव में पूरा वामपंथी गैंग आगे आ रहा है। आदित्य राज कौल के अनुसार मीडिया संगठनों पर राजीव शर्मा के पक्ष में बोलने के लिए काफी दबाव डाला जा रहा है, ताकि यहाँ दिल्ली पुलिस को दमनकारी सिद्ध किया जा सके।
Media bodies are under pressure to issue statements in support of journalist Rajeev Sharma. Wonder who is applying this pressure? If there is damning evidence of espionage and maybe even a confession by three arrested accused, then on what basis does a media body issue support?
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 19, 2020
Scribe Rajeev Sharma held for giving info to Chinese got Rs 40 lakh in one-and-a-half years. He was getting USD 1,000 for each info: Police
— Press Trust of India (@PTI_News) September 19, 2020
शायद आदित्य राज कौल गलत भी नहीं है, क्योंकि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने अभी से ही राजीव शर्मा का बचाव करना शुरू कर दिया है, और साथ ही साथ दिल्ली पुलिस को भी झूठा सिद्ध करना प्रारम्भ किया है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के बयान के अनुसार, “हम सभी प्रसिद्ध पत्रकार राजीव शर्मा की गिरफ्तारी से काफी स्तब्ध है। वे एक प्रख्यात पत्रकार और हमारे क्लब के जाने माने सदस्य भी है। ये तब हो रहा है जब स्पेशल सेल का रिकॉर्ड काफी खराब चल रहा है। दिल्ली पुलिस का रिकॉर्ड भी कुछ ज़्यादा बढ़िया नहीं है”।
Press Club of India (NOT Press Council) offers shocking reaction on arrest of a freelancer by Delhi Police.
I am sure the Club's thousands of ordinary, hardworking journos are NOT AT ALL in support of a rant that equates them with the likes of Umar Khalid & Kanhaiya among others! pic.twitter.com/AWf9PGzpAf— Siddharth Zarabi (@szarabi) September 19, 2020
लेकिन प्रेस क्लब ऑफ इंडिया वाले वहीं पर नहीं रुके। अपनी कुंठा को जगजाहिर करते हुए कहा, “पिछले कुछ समय से दिल्ली पुलिस, विशेषकर स्पेशल सेल, यूएपीए के अंतर्गत निर्दोष लोगों को लंबे समय के लिए जेल में डालना चाहते हैं। यह गिरफ्तारियां सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन और 2020 के फरवरी में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए कथित दंगों के परिप्रेक्ष्य में हुए हैं”।
टीएफ़आई पोस्ट को सूत्रों से मालूम हुआ है कि अधिकतर वामपंथी पत्रकार ही मीडिया संगठनों पर राजीव शर्मा के पक्ष में बयान देने के लिए दबाव डाल रहे हैं, जिन्होंने द क्विंट, द ट्रिब्यून, यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया एवं सकाल टाइम्स जैसे पोर्टल्स के लिए काम किया है। इसके अलावा राजीव शर्मा का अपना यूट्यूब चैनल ‘राजीव किष्किंधा’ है, जिस पर 12000 से ज़्यादा सस्क्राइबर्स हैं, और इसके अलावा जनाब ने चीनी प्रशासन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के लिए लेख भी लिखा है।
https://twitter.com/arvindgunasekar/status/1306990594527383553?s=20
Rajeev Sharma among other things is being accused of sharing troop movements at the border with the Chinese. How did a journalist have access to such sensitive information, that too with India’s James Bond, Ajit Doval in charge. Doesn’t add up. https://t.co/wBKN5YED9I
— Rupa Subramanya (@rupasubramanya) September 20, 2020
राजीव शर्मा के लिए मीडिया के एक धड़े की हमदर्दी अपने आप में काफी विचित्र है। इससे स्पष्ट होता है कि राजीव की गिरफ्तारी से कुछ पत्रकार कितने बिलबिलाए हुए हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं पूछताछ में उनकी पोल न खुल जाये। राजीव शर्मा की गिरफ्तारी से पुलिस को चीन द्वारा भारतीय मीडिया में निवेश की जांच में काफी मदद मिलेगी, और इसमें आगे जांच पड़ताल से न सिर्फ ये पता चल सकता है कि मीडिया पर चीन का वास्तव में कितना प्रभाव है, बल्कि ये भी पता चलेगा कि वे कौन से पत्रकार या मीडिया संगठन है, जो चंद रुपयों के लिए अपने देश की इज्ज़त भी दांव पर लगा सकते हैं।