“कोरोना के बीच तुम्हारी खदानें नहीं चलेंगी”- पेरू की आम जनता चीनी माइनिंग कंपनियों के खिलाफ सड़क पर उतरी

मजदूर मरें तो मरें, चीन को कोई फर्क नहीं पड़ता

पेरू

चीन आज भी कोरोना वायरस को फैलाना बदस्तूर जारी रखे हुए हैं। अब वह उन देशों में वायरस फैला रहा है जहां चीनी कंपनियाँ अपने फायदे के लिए आज भी काम कर रही हैं। पापुआ न्यू गिनी में चीनी खनन कंपनियों द्वारा कोरोना के मामलों को ले कर लापरवाही बरतने और संक्रमण फैलाने की खबर के बाद अब पेरु से भी इसी तरह की खबर सामने आई है। लैटिन अमेरिकी देश पेरू में कॉपर, जिंक, गोल्ड और अन्य खनिज पदार्थों की वो खदानें जो चीन द्वारा संचालित हैं, वहाँ कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है जिसके बाद अब उनका अब विरोध होने लगा है।

दरअसल, पेरू में खदानों का स्वामित्व रखने वाली दिग्गज चीनी कंपनी Chinalco ने अभी तक जुलाई और अगस्त में अपनी खदानों में कम करने वाले कोरोना पॉज़िटिव मरीजों की संख्या का खुलासा नहीं किया है। इसी तरह कई चीनी कंपनियाँ लगातार काम जारी रखे हुए हैं और अपने कर्मचारियों के लिए किसी भी प्रकार की सुविधा जैसे कोरोना से बचने के लिए प्रोटेक्टिव गियर नहीं प्रदान कर कर रही है।

असल में इन खदानों में बड़ी मात्र में कोरोना संक्रमित मजदूर निकल रहे हैं। लेकिन तब भी ना तो चीनी कंपनियां इनकी वास्तविक संख्या बाहर ला रही हैं और ना ही इन खदानों का काम रोक रही हैं।

पेरू में कोरोना के केस बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं और पेरू अब दुनिया का पांचवा सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीजों वाला देश बन गया है। पेरू, में फ़िलहाल 650,000 से अधिक पॉज़िटिव मामले हैं और अब तक 29,000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

पेरू की खदानों में तांबा, जस्ता, सोना और अन्य खनिजों का उत्खनन देश की 227 बिलियन डॉलर की कुल अर्थव्यवस्था में 9 प्रतिशत से अधिक योगदान करता है। लेकिन अगर मूल्य के हिसाब से देखा जाए तो यह निर्यात का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, पेरू की अर्थव्यवस्था इन खदानों पर कितनी ज्यादा निर्भर है।

पर इसका यह अर्थ नहीं है कि, लोगों के जान से खेला जाए। पेरू में चीनी स्वामित्व वाली खदानों में फैलते संक्रमण और सुरक्षा की कमी के बारे में लगातार शिकायतें आती रहीं हैं। इनमे से ज्यादातर शिकायतें श्रमिकों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा किये गए थे।

South China Morning Post की रिपोर्ट के अनुसार, पेरू के ट्रेड यूनियन और कई NGO अब इन खदानों का लगातार विरोध कर रहे हैं। उन्होंने चीनी कंपनियों पर कोरोना संक्रमितों की संख्या छुपाने का आरोप लगाया है। NGOs का यह कहना है कि, अन्य विदेश कंपनियाँ भी पेरु में काम करती हैं और उन्हें भी कोरोना का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन चीनी कंपनियाँ अन्य कंपनियों के मुक़ाबले बिल्कुल भी पारदर्शी नहीं हैं। उनका कहना है कि, चीनी कंपनियाँ कोरोना मरीजों की संख्या को एक ब्लैक बॉक्स की तरह छुपा रही हैं।

अब पेरु के आम लोग भी इन खदानों का विरोध करने लगे हैं। लोग खदानों तक जाने वाली सड़कों को ब्लॉक कर रहे हैं। ऐसा दक्षिणी पेरु के Las Bambas copper mine के पास देखने को भी मिला जब गाँव वालों ने खदान में काम करने वालों के डर से सड़क को ही जाम कर दिया। यह खदान उस कंपनी की है जिसमें चीन की सरकारी कंपनी China Minmetals Corporation का सबसे अधिक शेयर होल्डिंग है। कई बार यह भी शिकायत की गयी है कि, कुछ चीनी कंपनियों जैसे Shougang Group ने मजदूरों के लिए किसी भी प्रकार के Protective Gear का प्रबंध नहीं किया है जिससे संक्रमण और बढ़ा है।

जब शिकायतों को कंपनियों के अधिकारियों के पास पहुंचाने के लिए फोन या ईमेल किया गया तो उसका भी कोई जवाब नहीं मिल रहा। पेरू के प्रशासनिक अधिकारी भी कई बार जवाब मांगने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन चीनी कंपनियों की तरफ से किसी प्रकार का जवाब नहीं मिला है।

कुछ ऐसा ही मामला तब देख गया था जब चीन ने संक्रमित मजदूर पापुआ न्यू गिनी भेज दिए थे। जब पापुआ न्यू गिनी की सरकार को इसका पता चला, तो उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए श्रमिकों से भरे एक चीनी प्लेन को पापुआ न्यू गिनी में प्रवेश करने से रोक दिया था। चीन का दूसरे देश की खदानों के इलाकों में कोरोना संक्रमण को इस तरह नज़रंदाज़ करना बेहद चिंताजनक है। पेरू के लोगों को चीनी कंपनियों के खिलाफ एक बड़े स्तर पर विरोध या बहिष्कार करना चाहिए जिससे उन्हें सबक मिल सके।

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