जापान के नए रक्षा मंत्री Nobuo Kishi ताइवान के कट्टर समर्थक, तो चीन के धुर विरोधी हैं, चीन खौफ़ में है

जापानी PM शेर हैं तो जापानी रक्षा मंत्री सवा शेर!

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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजों आबे के इस्तीफे के बाद भी जैसी खबरें वहाँ से आ रही हैं उससे स्पष्ट होता है कि चीन को जापान से कोई रियायत नहीं मिलने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार जापानी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और जापान के प्रधानमंत्री Yoshihide Suga ने अपने रक्षा मंत्री के रूप में निवर्तमान प्रधान मंत्री शिंजो आबे के छोटे भाई Nobuo Kishi को नियुक्त किया है। Nobuo Kishi अपने ताइवान प्रेम के लिए जाने जाते हैं जिससे उनकी नियुक्ति के बाद चीन आग बबूला दिखाई दे रहा है।

दरअसल, बुधवार को Nobuo Kishi को जापानी प्रधान मंत्री Yoshihide Suga ने रक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त किया। Nobuo Kishi स्पष्ट रूप से ताइवान करीबी संबंधों के लिए जाने जाते हैं और कई बार उन्होंने ताइवान का दौरा किया है। जापान की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) का प्रतिनिधित्व करते हुए वह ताइवान राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और अन्य नेताओं के साथ जुड़े हुए हैं।

इसी वर्ष जुलाई में, वह सांसदों के उस एक समूह में शामिल थे, जो पूर्व जापानी प्रधानमंत्री योशीरो मोरी के साथ ताइवान में अपने पूर्व राष्ट्रपति ली तेंग-हुई के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए ताइवान गए थे। उस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति Tsi के साथ एक बैठक भी की थी। यही नहीं जनवरी में Tsi की राष्ट्रपति पद के चुनावों में जीत के लिए बधाई देने के लिए, ताइवान चुनाव के एक दिन बाद, किशी ने ताइपे का दौरा भी किया।

उनकी नियुक्ति पर चीन बेहद सतर्क हो गया है और जापान को चेतावनी बयान में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जापान ताइवान के साथ आधिकारिक संबंधों को विकसित करने से परहेज करेगा।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि जापान अब किसी भी मुद्दे पर चीन के सामने से पीछे नहीं हटेगा। नवनियुक्त प्रधानमंत्री Yoshihide Suga ने पहले ही यह संकेत दिया था कि वह शिजों आबे की नीतियों को लागू करना जारी रखेंगे, विशेष रूप से कूटनीति और सुरक्षा के मुद्दों पर। अब Nobuo Kishi की नियुक्ती से यह और भी स्पष्ट हो चुका है कि रक्षा और सुरक्षा मामलों को शिंजों आबे के एक विश्वसनीय सहयोगी संभालेंगे जिससे चीन को कोई रियायत नहीं मिलने वाली है।

Nobuo Kishi किस तरह से चीन विरोधी है यह उनके वर्ष 2016 में ताइवान मीडिया को दिये गए एक बयान से स्पष्ट होता है। उन्होंने उस दौरान कहा था कि, “ताइवान जापान के साथ सामान्य मूल्यों को साझा करता है, जापान के साथ घनिष्ठ आर्थिक और व्यक्तिगत संबंध रखता है इसलिए वह एक महत्वपूर्ण दोस्त है। जैसा कि हम जापान, अमेरिका, और ताइवान के बीच त्रिपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हैं, हम cross-strait संबंधों के स्थिर विकास की भी उम्मीद करते हैं।”

जिस तरह से उन्होंने जापान अमेरिका और ताइवान के बीच त्रिपक्षीय सम्बन्धों को बढ़ाने की बात कही है, आज अगर वे अपनी नीतियों में इसे लागू करते हैं तो यह चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा। चीन हमेशा से ही ताइवान और अमेरिकी सम्बन्धों से चिढ़ता आया है अब अगर यह मोर्चा जापान के साथ त्रिपक्षीय हो जाता है तो पूर्वी चीन सागर और दक्षिणी चीन सागर में चीन पूरी तरह से घिर जाएगा।

ऐसे कूटनीतिक संकेत ऐतिहासिक रूप से चीन को परेशान करते हैं, जो न केवल ताइवान बल्कि उन द्वीपों पर दावा करता है जिन्हें जापान अपना क्षेत्र मानता जैसे सेनकाकु द्वीप। वहीं वर्ष 2019 में, उन्होंने सार्वजनिक रूप से जापान को उत्तर कोरिया के खिलाफ रक्षात्मक उपाय के रूप में हमले की क्षमताओं को प्राप्त करने की वकालत की थी।

Nobuo Kishi की ताइवान के साथ संबद्धों को मधुर करना और उत्तर कोरिया के खिलाफ हमले के लिए भी तैयार रहने वाली नीतियों से यह स्पष्ट हो गया कि वह अपने कार्यकाल में चीन पर एक बाज की नजर रखने वाले है और अपने प्रतिक्रियायों में अपने पूर्व रक्षा मंत्री Taro Kono से भी अधिक हमलावर रहेंगे।   

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