सीसीपी और उसके एजेंट्स के लिए अब एक और बुरी खबर है। भारत और जापान ने कई महीनों से चल रही अटकलों की पुष्टि करते हुए आधिकारिक रूप से 5जी तकनीक के विकास में साझेदारी करने का निर्णय किया है, और इसमें QUAD समूह के दो अन्य सदस्य – अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी अपना-अपना योगदान देंगी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, QUAD समूह के सदस्य देशों के विदेश मंत्री पहली बार बैठक करेंगे, जिसमें प्रमुख विषय 5G तकनीक का विकास होगा। इतना ही नहीं, इस तकनीक के विकास में QUAD सदस्यों के साथ-साथ इज़रायल भी शामिल होगा।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “सरकारी सूत्रों की माने तो जहां भारत और जापान 5जी और उससे आगे की तकनीक के विकास के लिए साझेदारी करेंगे, तो वहीं भारत 3GPP नामक मोबाइल टेलीकम्युनिकेशन संगठन पर अपना अधिकार भी जमाने का प्रयास करेगा, और विश्व के टेलीकम्युनिकेशन के मानकों के अनुसार प्रथम भारतीय ग्रामीण मापदंड को स्वीकृत कराने की व्यवस्था भी कर ली है”।
इसका मतलब है कि अब रिलायंस जियो और जापान के मोबाइल तकनीक की दिग्गज कंपनी राकुटेन के बीच आधिकारिक रूप से समझौता होना तय है। जापान के ई कॉमर्स और तकनीक का निर्विरोध नेता माने जाने वाले राकुटेन को Huawei के विकल्प के रूप में ही स्थापित किया गया था। चूंकि भारत के रिलायंस जियो को अब Huawei के एक विश्वसनीय विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, इसलिए जियो और राकुटेन के बीच में साझेदारी चीन के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं है, जो पहले ही Huawei के कारण अपना वैश्विक आधार खोता जा रहा है।
मतलब स्पष्ट है – अब भारत अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और इज़रायल के साथ मिलकर तकनीक के नए वैश्विक मानक तय करेगा। इससे पहले मोबाइल तकनीक के मानकों को तय कराने में चीनी कंपनियों का बहुत बड़ा हाथ रहता था, और 3GPP संगठन इसी वर्चस्व का परिचायक है। लेकिन अब भारत चीन के इस वर्चस्व को मिट्टी में मिलाने के लिए पूरी तरह प्रयासरत है, और इसीलिए पीएम मोदी द्वारा जापानी पीएम योशिहीदे सूगा से बातचीत के बाद ही ये निर्णय लिया गया है।
इस प्रकरण से संबन्धित एक अफसर ने बताया, “भारत और जापान अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर तकनीकी सहयोग और आपसी समन्वय से 5जी तकनीक और इससे आगे की मोबाइल तकनीक के विकास हेतु साथ में काम करेंगे। इस अभियान में हमारा सहयोग करने में इज़रायल भी आगे आएगा। इसलिए इस अभियान में जापान हमारा खास साझेदार होगा”।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसलिए पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भारतीय तकनीक को बढ़ावा देकर चीनी तकनीक से दूर रहना चाहती है, और इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए भारतीय टेलिकॉम कंपनियों को निर्देश दिये गए हैं कि वे अपने तकनीक के विकास हेतु चीनी कंपनियों, विशेषकर Huawei का सहारा न लें। इन कंपनियों ने भी धीरे-धीरे कर अपने आप को और भारतीय टेलिकॉम मार्केट को चीनी तकनीक के चंगुल से छुड़ाने का अभियान प्रारम्भ कर दिया है। जिस प्रकार से चीन हमारे देश की ओर आँखें गड़ाए बैठा है, उस हिसाब से ये भारतीय सरकार द्वारा चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के अभियान का हिस्सा है।
5जी तकनीक के विकास में भारत और जापान प्रमुख साझेदार हैं, और उनके सहायक के तौर पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इज़राएल इन दोनों देशों को आवश्यक तकनीकी सपोर्ट देंगे। इससे स्पष्ट है कि अब Huawei का मुक़ाबला करने के लिए आधिकारिक तौर QUAD और इज़राएल का गठजोड़ मैदान में उतर चुका है, और यह Huawei के साथ साथ चीन के लिए बिलकुल भी शुभ संकेत नहीं है।