India Today बनाम Republic- ये लड़ाई, तू-तू मैं-मैं और TRP वॉर बेहद दिलचस्प है

पॉपकॉर्न लो और मज़ा लूटो

इंडिया टुडे

हर गुरुवार को टीवी और सोशल मीडिया पर एक गज़ब का सर्कस चलता है, जहां आज तक, इंडिया टुडे और  रिपब्लिक टीवी के बीच ज़बरदस्त मुक़ाबला नजर आता है। ‘डबल आर’ गैंंग यानि राजदीप और राहुल कंवल अर्नब गोस्वामी को चुनौती देते हैं, और रिपब्लिक चैनल अपने रेटिंग्स के बल पर उनकी दिन भर खिंचाई करते रहता है।

अभी कुछ ही दिनों पहले अर्नब गोस्वामी को राहुल कंवल ने भारत के Joseph Goebbels (जोसेफ गोएबेल्स) की संज्ञा दी थी, जो नाजी जर्मनी के प्रोपेगैंडा मंत्री हुआ करते थे। लेकिन इससे किसी को भी रत्ती भर फर्क नहीं पड़ा, और उल्टे रिपब्लिक के पास राहुल कंवल की खिंचाई करने के लिए काफी मसाला मुफ्त में मिल गया।

हर गुरुवार को BARC यानि Broadcast Audience Research Council अपने TV viewership के आंकड़े जारी करता है, जिसे आम भाषा में TRP कहते हैं। इसमें अंग्रेज़ी क्षेत्र में निस्संदेह रिपब्लिक टीवी ने अपना दबदबा बनाया हुआ है। परंतु जब राहुल कंवल ने रिपब्लिक को उपदेश देना शुरू किया, तो रिपब्लिक टीवी ने भी कोई कसर न छोड़ते हुए राहुल कंवल की तथ्यों सहित धुलाई करनी शुरू कर दी।

परंतु राहुल कंवल अकेले नहीं है, जिन्हें रिपब्लिक की ज़बरदस्त ट्रोलिंग का शिकार बनना पड़ा हो। एक समय पर अर्नब गोस्वामी के बॉस रहे राजदीप सरदेसाई को उनकी प्रोपेगैंडावादी रिपोर्टिंग के लिए काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है। राजदीप अर्नब को नीचा दिखाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। अनेकों बार राजदीप सरदेसाई ने रिपब्लिक पर तंज़ कसते हुए उसे ‘बनाना रिपब्लिक’ की संज्ञा दी है। उन्होंने ‘News Without Noise’ को इतनी बार दोहराया है कि वह अब लोगों को पकाऊ लगने लगा है।

लेकिन राजदीप और राहुल के उम्मीदों के ठीक विपरीत रिपब्लिक ने न केवल अंग्रेज़ी में, अपितु हिन्दी में भी टुडे ग्रुप को काफी पीछे छोड़ दिया है। अब रिपब्लिक भारत देश का सर्वाधिक देखा जाने वाला हिन्दी न्यूज़ चैनल बन चुका है, जो रेटिंग्स में आज तक को काफी पीछे छोड़ चुका है।

रिपब्लिक और इंडिया टुडे की कवरेज और उनकी रेटिंग्स में इतना अंतर क्यों है, ये आप सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के मामले से ही समझ सकते हैं। एक ओर रिपब्लिक ने प्रारम्भ से ही सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को आत्महत्या न मानते हुए इसकी निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है, और साथ ही साथ रिया चक्रवर्ती के ड्रग्स संबंधी मामले में भी जनता के विचारों का पुरजोर समर्थन किया।

जहां वामपंथी इसे मीडिया ट्रायल की संज्ञा देते हुए रिपब्लिक को नीचा दिखा रहे हैं, तो वहीं जनता पूरी तरह से रिपब्लिक के साथ खड़ी है। इसके अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बिना रिपब्लिक का नाम लिए सुशांत के मामले को उचित ध्यान देने के लिए मीडिया की तारीफ भी की है।

वहीं, दूसरी तरफ इंडिया टुडे केवल गलत कारणों से सुर्खियों में बनी हुई है। जहां इंडिया टुडे ने रिया चक्रवर्ती को अपनी सफाई देने के लिए अपना मंच प्रदान किया, तो वहीं, राजदीप सरदेसाई ने मामले की कवरेज के नाम पर सुशांत सिंह राजपूत के चरित्र हनन में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सुशांत को छोटा स्टार बोलने से लेकर सुशांत के परिवार के वकील को अनाप शनाप बोलने तक राजदीप ने वो सब किया है, जिसके लिए वे अर्नब को दोषी ठहराते हैं, यानि Yellow journalism अथवा प्रोपेगैंडावादी पत्रकारिता।

इससे पहले भी अप्रैल में राहुल कंवल ने एक झूठा दावा किया था कि इंडिया टुडे देश का नंबर 1 अंग्रेज़ी न्यूज़ चैनल है। तब भी रिपब्लिक ने तथ्यों सहित धुलाई की थी, और राहुल कंवल के झूठे दावों की पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

ऐसे में रिपब्लिक और इंडिया टुडे के बीच छिड़ी हालिया जंग में कौन विजेता सिद्ध हो रहा है, इसके बारे में विस्तार से बताने की कोई आवश्यकता नहीं। पहले रिया चक्रवर्ती के लिए पीआर करके और फिर सुशांत सिंह राजपूत का चरित्र हनन करके इंडिया टुडे को जितनी बेइज्जती मिली थी, उससे कहीं ज़्यादा बेइज्जती अब उसे रिपब्लिक से फालतू में भिड़कर मिल रही है।

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