अमेरिका की लगातार कोशिशों के बाद इज़रायल और यूएई नई दोस्ती की ओर बढ़ चुके हैं। बहरीन भी इस पर कई एतिहासिक समझौते कर चुका है। लेकिन इज़रायल के साथ रिश्तों को लेकर सऊदी अरब का शाही परिवार दो गुटों में बंटता दिख रहा है, जिसमें किंग सलमान बिंन अब्दुलअजीज, इज़रायल के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाने का समर्थन करने वाले अपने बेटे और प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विरोध में आ चुके है।
दो मतों का संकट
दरअसल, खबरों के मुताबिक सम्राट अभी भी इस बात पर अडिग है कि इज़रायल का बहिष्कार किया जाना चाहिए और स्वतंत्र फिलीस्तीन देश की मांग जारी रखनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर प्रिंस सलमान इस बात से अलग रुख रखते हैं। वो यहूदी राष्ट्र इज़रायल के साथ सामान्य रिश्तों पर काम करना चाहते हैं, जिससे ईरान के खिलाफ संघर्ष में इज़रायल के साथ समन्वयता से व्यापारिक रिश्ते बनाए जा सके। गौरतलब है कि इज़रायल, सऊदी अरब, यूएई और बहरीन तेहरान के खिलाफ़ दुश्मनी में अमेरिकी गुट में शामिल हैं।
वैश्विक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इज़रायल की यूएई और बहरीन के साथ बातचीत के बारे में प्रिंस सलमान को सबकुछ पता था। वो जानते थे कि उनके पिता इसका मुखरता से विरोध करेंगे। उन्होंने इसीलिए किंग अब्दुलअजीज को इसके बारे में नहीं बताया।
फिलीस्तीन के समर्थन में किंग
किंग अब्दुलअजीज ने अपने विदेश मंत्री को आदेश दिया कि फिलीस्तीन राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की जाए। सऊदी के ही अखबार का लेख राजघराने का फिलीस्तीन के प्रति सकारात्मक रुख स्पष्ट करता है। इस लेख में ये भी कहा गया है कि फिलस्तीन को अधिक राहत देने के लिए यूएई द्वारा दबाव बनाया जाना चाहिए। सऊदी अरब इज़रायल के साथ 2002 के उसी शांति समझौते पर टिका रहना चाहता है जो किंग अब्दुल्ला ने 1967 के सैन्य आधार पर किया था।
इज़रायल ने जताई थी उम्मीद
इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिका के समक्ष ये संभावनाएं जताई थी कि यूएई, बहरीन के अलावा सऊदी अरब भी उसके साथ आधिकारिक संबंध स्थापित कर सकता है। इजराइली एजेंसी मोसाद के प्रमुख योसी कोहेन ने अरब शासकों से मिलने की बातों को इंकार करते हुए कहा था कि सऊदी इस ओर अपने कदम आगे बढ़ा सकता है। गौरतलब है कि यूएई, बहरीन के साथ व्हाइट हाउस की मध्यस्थता से हुए समझौतों में कोहेन की बड़ी भूमिका थी। उनसे जब सवाल पूछा गया कि क्या सऊदी इस ओर कदम बढ़ाएगा तो उन्होंने कहा, हां ऐसा सो सकता है।’ उन्होंने अभी इस लिस्ट में 6 देशों के शामिल होने की संभावनाएं जताईं हैं जिनकी संख्या भविष्य में 9 भी हो सकती है।
सऊदी अरब के किंग का रुख इसपर Israel और अमेरिका से इतर फिलीस्तीन के पक्ष में दिखाई पड़ता है जिसके बाद अमेरिका की तरफ सभी की निगाहें टिकी हैं। इसी बीच सऊदी के इज़रायल के साथ संबंधों की उम्मीद जताने के मामले में पर जब ट्रंप से सवाल पूछा गया तो वो बोले, “मैं पूरी उम्मीद करता हूं, मैंने सऊदी अरब के किंग से बात की है”।
सऊदी अरब के साथ इज़रायल के आधिकारिक संबंधों का स्थापित होना इज़रायल के लिए एक बड़ी और एतिहासिक उपलब्धि होगी जिससे इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है लेकिन सउदी अरब के किंग और प्रिंस के बीच असमंजस की स्थिति है जिसने इज़रायल की चिंताओं में इजाफा किया है।