चीन को काबू में रखने के लिए रूस अब उसके खिलाफ “India Card” खेल रहा है, इसीलिए चीन हैरान और परेशान है

चीन के लिए रूस ने निकाला रामबाण इलाज!

रूस

21वीं सदी में अक्सर बुद्धिजीवी लोग कम्युनिस्ट रूस और कम्युनिस्ट चीन की दोस्ती से संबन्धित लेख और विचार प्रस्तुत करते दिखाई देते हैं। हालांकि, TFIpost पर हम अक्सर इन दोनों देशों के बीच की शत्रुता पर प्रकाश भी डालने का काम करते हैं, क्योंकि इन दोनों कम्युनिस्ट देशों के बीच के रिश्तों के इस पहलू पर ध्यान देना अति-महत्वपूर्ण है। यह सच है कि कुछ मामलों में रूस और चीन के हित एक दूसरे से परस्पर मिलते हैं, लेकिन यह भी सच है कि ये दोनों एक दूसरे के कट्टर विरोधी और प्रतिस्पर्धी भी हैं। Arctic, रूस के Far East और मध्य एशिया में रूस को बढ़ते चीनी प्रभाव से सबसे ज़्यादा खतरा है। ऐसे में बढ़ते भारत-चीन तनाव के बीच रूस को भी चीन के खिलाफ “India Card” खेलने का मौका मिल गया है। भारत-चीन तनाव में रूस बार-बार भारत का पक्ष लेकर चीन को कड़ा संदेश भेज रहा है कि अगर चीन रूस के अधिकार वाले क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करेगा तो वह आसानी से भारत का पक्ष लेकर उसके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।

रूस चीन के खिलाफ India Card आज से नहीं, बल्कि वर्ष 2019 से ही खेल रहा है। पिछले वर्ष रूस ने भारत को प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर उसके Far East में निवेश करने का न्यौता दिया था। वर्ष 2019 में रूस ने भारत के प्रधानमंत्री को पांचवे Eastern Economic Forum कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया था। उस दौरान ही भारत ने रूस के Far East में 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने और Gas और Oil सेक्टर में 35 हज़ार करोड़ के 50 समझौते पक्के किए थे। रूस के Far East में चीन पहले से ही सक्रिय है और उसी के रास्ते वह Arctic में भी अपना प्रभाव जमाना चाहता है। ऐसे में रूस नहीं चाहता कि उसके Far East को अकेला चीन ही हाई-जैक कर ले। रूस ने चीन को काबू में रखने के लिए वहाँ भारत को बुलाया है।

इसी प्रकार हाल में चीन ने तब रूस को क्रोधित करने का काम किया था, जब चीनी मीडिया ने रूसी शहर व्लादिवोस्टोक पर चीन का दावा ठोका था और उसे चीन का शहर बताया था। उसके बाद दोबारा रूस ने India Card खेला और भारत-चीन तनाव के दौरान न सिर्फ भारत को हथियारों की सप्लाई जारी रखने का आश्वासन दिया, बल्कि चीन की एस400 मिसाइल सप्लाई को भी रोक दिया।

रूस को मध्य एशिया में भी चीन के बढ़ते प्रभाव से खासा परेशानी है। ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों में रूस का ही प्रभाव रहा है, लेकिन चीन इन्हें अपने कर्ज़ जाल में फंसा रहा है। इतना ही नहीं, चीन ने हाल ही में ताजिकिस्तान के आधे हिस्से पर भी अपना दावा ठोका था। यहाँ चीन को पीछे धकेलने के लिए फिर रूस ने India Card चला। हाल ही में Russia के दौरे पर गए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और कज़ाकिस्तान के रक्षामंत्रियों से बातचीत की, और उनके साथ सहयोग बढ़ाने की बात कही। Arctic को लेकर चीन के बढ़ते दावों के बीच हाल ही में Russia ने भारत के साथ मिलकर मलक्का स्ट्रेट के पास एक सैन्य अभ्यास भी किया। Russia ने यहाँ दोबारा चीन के साथ India Card खेलते हुआ उसे चेतावनी दी कि अगर वह Arctic और रूसी समुद्री इलाके में कोई हरकत करता है, तो भारत के साथ मिलकर वह हिन्द महासगर और यहाँ तक कि Indo-pacific में भी सक्रिय भूमिका निभा सकता है।

चीन के साथ बिजनेस करते वक्त किसी भी देश को बड़ी सावधानी बर्तनी पड़ती है, क्योंकि लुभावने वादे कर और बड़े सपने दिखाकर पीठ में छुरा घोंपना चीन की आदत रही है। BRI इसका सबसे बड़ा उदाहरण रहा है। Russia ने अब तक BRI के किसी प्रोजेक्ट को अपने यहाँ स्वीकारोक्ति देने में कोई रूचि नहीं दिखाई है। पुतिन चीन की चालबाज़ियों को अच्छे से जानते हैं और इसीलिए उन्होंने चीन को काबू में रखने के लिए उसके खिलाफ बड़ी ही समझदारी से India card खेलना शुरू किया है।

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