पहले मदन शर्मा को पीटा, अब माफी मांगने की बजाय शिवसेना उन्हें ट्रोल बोलकर हमले को सही ठहराने की कोशिश कर रही है

एक “sorry” से सब सही हो सकता था, शिवसेना ने इस विवाद को और हवा देना सही समझा

मदन शर्मा

हाल ही में नौसेना के पूर्व अधिकारी मदन शर्मा पर शिवसेना के गुंडों द्वारा किए गए हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले ने पूरे देश में खलबली मचा दी, और ऐसे में लग रहा था कि शिवसेना बैकफुट पर चली जाएगी। लेकिन शिवसेना ने उल्टे मदन शर्मा पर ही धावा बोलते हुए उन्हें खरी-खोटी सुनानी  शुरू कर दी।

गरीबों का ग्लोबल टाइम्स यानि सामना, जिसकी प्रमुख संपादक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे हैं, अब मदन शर्मा के चरित्र हनन पर उतर आई हैं। सामना में मदन शर्मा के बारे में लिखा गया, “क्या नौसेना में Madan Sharma को यह नहीं सिखाया गया कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का सम्मान करना चाहिए?”

उसी लेख में आगे लिखा गया, “उद्धव ठाकरे जी पर अपमानजनक कार्टून शेयर कर Madan Sharma को क्या मिल गया? उन्हें जनता ने चुन कर मुख्यमंत्री बनाया है। संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों का सम्मान करना क्या मदन शर्मा को नौसेना में नहीं सिखाया गया?” अब यह और बात है कि उद्धव ठाकरे को जनता द्वारा नहीं चुना गया था, पर सामना को चलाने वालों को यह बात कौन समझाये?

पिछले हफ्ते व्हाट्सएप पर मदन शर्मा को उद्धव ठाकरे पर एक व्यंग्यात्मक कार्टून शेयर करने का खामियाजा भुगतना पड़ा, जब कमलेश कदम के नेतृत्व में शिवसेना के गुंडों ने उन पर हमला कर दिया, जिसके कारण Madan Sharma को आँख में काफी चोट भी आई। मदन शर्मा के अनुसार, “आठ से दस लोगों ने मुझ पर हमला किया और मुझे इसलिए पीटा, क्योंकि मैंने एक मैसेज को फॉरवर्ड किया। मैंने पूरा जीवन अपने देश की सेवा में समर्पित किया है। ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है”। सभी गुंडों को हिरासत में लेने के कुछ ही घंटों में छोड़ दिया गया।

इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए मदन शर्मा को फोन कर उनका हाल चाल पूछा, जिससे शिवसेना को ज़बरदस्त मिर्ची लगी, जो सामना के विवादित लेख में भी निकलकर सामने आई। लेख के अंश के अनुसार, “अब क्या उसे [मदन शर्मा] पुरस्कार भी मिलेगा क्या? जिस राज्य में रहते हो, उसके नेताओं के विरुद्ध तुम बोलते हो, और जब कोई तुम्हारा मुंह तोड़े, तो अन्याय का रोना रोके मुद्दे का राजनीतिकरण कर दो!”

इससे पहले संजय राउत ने भी Madan Sharma पर हुए जघन्य हमले को उचित ठहराने का प्रयास किया था, और कहा था कि ये स्वाभाविक है। शिवसेना मदन शर्मा से माफी मांग कर ये मामला यहीं खत्म कर सकती है, पर वो कहते हैं न, जब नाश मनुज पर छाता है, विवेक पहले मर जाता है।

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