क्रा नहर परियोजना, पनडुब्बी समझौते – सब Cancel, जनता के दबाव में थाई सरकार ने चीन को त्याग दिया है

यहाँ भी लोगों के गुस्से का शिकार बना चीन!

थाईलैंड

कोरोना वायरस के कारण यदि एक सकारात्मक पक्ष सामने आया है तो वह है चीन के विरुद्ध बढ़ता वैश्विक आक्रोश। जिस प्रकार इस महामारी की आड़ में चीन ने अपने साम्राज्यवादी पंखों को जोर दिया, उससे तंग आकर दुनिया के लगभग दो-तिहाई देशों ने चीन के विरुद्ध आधिकारिक रूप से मोर्चा खोल दिया। ताज़ा मामला थाईलैंड का है जहां भारी जनविरोध के बाद चीन से 72.4 करोड़ डॉलर की दो पनडुब्बियों को खरीदे जाने की योजना को स्थगित कर दिया है, साथ ही ‘क्रा कैनाल प्रोजेक्ट’ भी रद्द कर दिया है।

हाल ही में थाईलैंड की नौसेना ने चीन के साथ पनडुब्बियों की आपूर्ति को लेकर एक समझौता किया था। इसके लिए थाईलैंड की सरकार अपने राष्ट्रीय धन कोष से विशेष व्यवस्था करने ही वाली ही था कि देश के कई लोगों ने एक सुर में थाई सरकार की इस नीति के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। क्या युवा, क्या वृद्ध, सभी ने आवाज़ उठाई कि, जब देश की अर्थव्यवस्था को गर्त से बाहर निकालने की आवश्यकता है, तो ऐसे में चीनी पनडुब्बियों पर धन लुटाकर देश की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ क्यों बढ़ाएँ?

दरअसल, कोई भी देश चीन के साथ किसी भी प्रकार के संबंध स्थापित करना चाह भी रहा है, तो उन देशों की जनता ही जनविरोध पर उतर आ रही है। थाईलैंड के निवासियों को भी पता चल चुका है कि, चीन के साथ किसी भी प्रकार का समझौता करना मतलब अपनी कब्र गाजे बाजे के साथ खोदना। चीन ने ऐसे ही निवेशों के माध्यम से कई देशों को अपने कर्जजाल में फंसाया है। ऐसे में थाईलैंड के निवासी ये बिलकुल नहीं चाहेंगे कि, किसी भी स्थिति में उनका हाल श्रीलंका जैसा हो।

चीनी पनडुब्बी वाली डील ही इकलौता ऐसा प्रोजेक्ट नहीं है, जिसे थाईलैंड को फिलहाल के लिए रोकना पड़ा हो। खबरों की मानें तो अब थाईलैंड में चीन द्वारा प्रायोजित क्रा कैनाल प्रोजेक्ट पर भी रोक लगाई जा रही है। इसके बजाय थाईलैंड ने अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक नए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है, जो हिंद और प्रशांत महासागरों को जोड़ेगा और दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक को Bypass करेगा। इससे शिपिंग व्यापार के दौरान काफी समय बचाया जा सकेगा। यानि कि दो महासागरों को जोड़ने वाला राजमार्ग और रेल मार्ग मलेशिया और सिंगापुर से दूर मलक्का की भीड़भाड़ को कम करेगा।

हालांकि, जिस कारण पर बहुत कम लोगों का ध्यान गया, वो यह है कि, इस कैनाल से चीन द्वारा प्रायोजित क्रा कैनाल की योजना को भी तगड़ा झटका लगेगा। क्रा कैनाल के जरिये चीन का इरादा था मलक्का के इस्थमस [isthmus] को चीरते हुए दक्षिण चीन सागर पर एकाधिकार जमाना, जिससे हिन्द प्रशांत क्षेत्र में उसे कोई भी शक्ति चुनौती न दे पाये। लेकिन जिस प्रकार से थाईलैंड ने इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ पीछे खींचे है, उससे चीन के मंसूबों पर पानी फिर गया है।

इस समय दुनिया के अधिकांश देश ये बात भली-भांति समझते हैं कि यदि उन्होंने चीन के साथ किसी भी प्रकार का समझौता किया, तो आगे चलकर उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। आम तौर पर चीन की जी हुज़ूरी करने के लिए बदनाम रहे यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख ने भी अब चेतावनी दे दी है कि, चीन अब पहले जैसा नहीं रहा। चीन से किसी भी प्रकार का संबंध स्थापित करना खतरे से खाली नहीं होगा। ऐसे में जिस प्रकार से थाईलैंड की जनता ने अपनी सरकार को चीन के साथ संबंध स्थापित करने से रोका है, वो अपने आप में सराहनीय है।

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