SSC की सुस्ती और लेटलतीफी के कारण छात्रों का भविष्य खतरे में, अब इसमें सुधार जरुरी

UPSC की तरह SSC को भी नियमित करने के लिए अब सरकार को जागना चाहिए

एसएससी

कोरोना के बीच कराये जा रही प्रतियोगी परीक्षाओं पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। आखिर थमे भी क्यों, सवाल युवाओं के भविष्य का है। सिर्फ NEET/JEE के ही नहीं बल्कि सरकारी नौकरियों जैसे एसएससी और RRB के लिए तैयारी करने वाले छात्र भी अपने आंदोलन को तेज़ कर चुके हैं। हालांकि, यह आंदोलन सोशल मीडिया तक सीमित है लेकिन यह ज़ोर शोर से चल रहा है। इस महीने के शुरुआत से ही सोशल मीडिया पर  #SpeakUpForSSCRailwayStudents , #StopPrivatisation_SaveGovtJob जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।

यह आंदोलन एसएससी, रेलवे की परीक्षाओं में कई वर्षों से होने वाली धांधली, टालमटोल और अनियमितता के लिए हो रही है। यही नहीं लगातार सरकारी नौकरियों में आने वाली कमी के खिलाफ भी हो छात्रों का गुस्सा उबाल ले रहा है।

देश की मीडिया को रिया चक्रवर्ती की खबरों से फुर्सत ही नहीं है कि वे इन छात्रों की आवाज को सुने जिस कारण से वे डिजिटल कैंपेन में जुटे हैं।

यही मौका है जब मोदी सरकार एक और बड़ा कदम उठाते हुए एसएससी में भारी बदलाव कर सकती है जिससे यह संस्था भी UPSC की तरह नियमित हो जाए।  जो युवा सालों से सरकारी नौकरियों की तैयारी में जुटे थे, कोई रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रहा है, कोई नियुक्ति की तो कोई एग्जाम के डेट की, ऐसे सारे युवा अपने भविष्य को लेकर आशंकित नजर आ रहे हैं।

SSC कोई एक प्रकार के परीक्षा नहीं करती बल्कि कई प्रकार के परीक्षा आयोजित करती है। जैसे SSC CGL, SSC CPO, SSC CHSL (10+2), SSC MULTI TASKING STAFF, SSC CONSTABLE AND GD, SSC JUNIOR HINDI TRANSLATOR, SSC STENOGRAPHER और SSC JUNIOR ENGINEER। इन सभी परीक्षाओं की यही हालत है।

रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), और इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनेल सिलेक्शन (IBPS) जैसी सरकारी नौकरियों की भर्ती एजेंसियों के खिलाफ छात्रों का गुस्सा भर्ती प्रक्रिया में हर साल हो रही देरी के कारण है। विभिन्न शहरों के छात्र भर्ती में देरी का विरोध कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर इन एजेंसियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।

एक छात्र ने लिखा, “एसएससी 2017 सीजीएल परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र परेशान हैं, 2018 की परीक्षा के परिणाम प्रकाशित नहीं हो रहे, 2019 की परीक्षा नहीं हुई, और 2020 की परीक्षा को लेकर न ही कोई सूचना जारी किया है.” एक अन्य छात्र ने कहा, “अगर सरकार का कहना है कि जीवन COVID के कारण नहीं रूकता और वे JEE, NEET परीक्षा आयोजित कर रहे हैं, तो SSC में क्या समस्या है? अब रेलवे, NTPC की अधिसूचना फरवरी 2019 में आई थी … फिर भी वे परीक्षा आयोजित कराने के लिए एजेंसी की व्यवस्था नहीं कर सकें हैं।”

वर्ष 2018 में SSC CGL-2017 tier 2 के परीक्षा प्रश्न पत्र के पेपर लीक के खिलाफ छात्रों ने संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया था और पिछले एक साल में आयोजित सभी SSC परीक्षाओं की सीबीआई जांच की मांग की थी। यह प्रदर्शन करीब 35 दिनों तक चला था। उस दौरान पूरे भारत से छात्र दिल्ली आए थे।

हालांकि, उस वर्ष एसएससी के नोटिफिकेशन की टीयर-थ्री परीक्षा दिसंबर 2019 में हुई। नोटिफिकेशन से अब दो साल बाद भी टीयर-3 का रिजल्ट नहीं आ सका है। यहाँ मामला सिर्फ लेटलतीफी का नहीं बल्कि परीक्षा में धांधलियों का भी है। इसकी वजह से छात्रों का भरोसा इस संस्था पर से उठ चुका है। सिर्फ पेपर लीक होना ही नहीं बल्कि छात्रों से नौकरी लगवाने के लिए पैसे लेने की मांग के मामले भी सामने आ चुके हैं।

यही नहीं हर साल वैकेंसी में कमी आ रही है लेकिन परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हर साल लाखों नए छात्र SSC परीक्षा देते जाते हैं और पुराने छात्र जो पहले भी परीक्षा दे चुके हैं, वे भी परीक्षा देते हैं, कारण परिणाम में देरी और फीर भर्ती में देरी। इसके अलावा कुछ छात्र दो वर्ष पुराने परीक्षा के अंतिम चयन प्रक्रिया में होते हैं वे भी परीक्षा दे रहे होते हैं। यही कारण है कि छात्रों के बैकलॉग से हर वर्ष आवेदकों में संख्या में भारी वृद्धि होती है।

मोदी सरकार ने वर्ष 2016 में एक आदेश पारित किया था कि कोई भी भर्ती विज्ञापन जारी होने के छह महीने के अंदर पूरी कर लेनी चाहिए। यहाँ यह सवाल उठता है कि क्या SSC मोदी सरकार को भी ठेंगा दिखा रहा है ?

इससे न केवल युवा वर्ग परेशान होता बल्कि, अब युवाओं का रोष सातवें आसमान पर पहुंच चुका है। एसएससी की सुस्ती और लेटलतीफी के कारण लाखों युवाओं के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल लटक रहे हैं। यह भविष्य से साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है। यही समय है कि मोदी सरकार इस प्रतियोगी परीक्षा में भयंकर सुधार करे जिससे यह संस्था UPSC की तरह एक्टिव रहे। इस संस्था की प्रक्रिया से तंग आ चुके हैं छात्र और उनके माता-पिता पहले से ही सुधार की मांग कर रहे हैं। इसे हल करने की जरूरत है और सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए सुधारों पर ध्यान देना चाहिए।

 

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