हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत लगातार चीन के मंसूबों पर पानी फेरता जा रहा है। उदाहरण के लिए भारत लगातार मालदीव को आर्थिक सहायता प्रदान कर उसे चीनी कर्ज़ जाल से मुक्त करने में लगा है, ताकि बड़े चीनी कर्ज़ के कारण इस देश के सामने पैदा हो रही बड़ी मुश्किलों से निपटा जा सके। अब जब मालदीव में भारत समर्थित इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार सत्ता में है, तो भारत खुलकर इस देश के हितों की रक्षा करने मैदान में उतरा हुआ है।
हाल ही में भारत सरकार की ओर से कर्ज़ से जूझ रहे मालदीव को 250 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की गयी थी। इस सहायता के बाद मालदीव के राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा था, “जब भी मालदीव को किसी मित्र की जरूरत पड़ी, भारत हमेशा इस अवसर पर पहुंचा। वित्तीय सहायता के रूप में 25 करोड़ डॉलर के आधिकारिक हैंडओवर के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, भारत सरकार और भारत के लोगों को उनकी पड़ोसी भावना और उदारता के लिए मेरा ईमानदारी से धन्यवाद।”
Appreciate your warm sentiments, President @ibusolih! As close friends and neighbours, India and Maldives will continue to support each other in our fight against the health and economic impact of COVID-19. https://t.co/esNRBWJxZg
— Narendra Modi (@narendramodi) September 21, 2020
उनके इस ट्वीट के बाद पीएम मोदी ने भी मालदीव के साथ ऐसे ही सहयोग को आगे बढ़ाने की बात कही है। उन्होंने ट्वीट में लिखा “’मैं आपकी भावनाओं की सराहना करता हूं, राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह! करीबी दोस्त और पड़ोसी के रूप में, भारत और मालदीव कोविड-19 के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक-दूसरे का समर्थन करना जारी रखेंगे।”
इसी मौके पर दोनों देशों ने भारत के तूतीकोरिन को मालदीव के कुल्हूधूहफुशी और माले बंदरगाहों को जोड़ने के लिए एक कार्गो फेरी सर्विस शुरू करने का भी फैसला लिया है, जो सोमवार से शुरू हो रही है। पिछले साल जब पीएम मोदी मालदीव की यात्रा पर गए थे, तब दोनों देशों ने इस सर्विस के संबंध में करार किया था। केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया के मुताबिक “यह फेरी सर्विस मालदीव और भारत के लोगों के बीच में people to people communication को बढ़ावा देगी और इसके साथ ही मालदीव के लोगों की खाने की जरूरतों और व्यापार संबंधी मुश्किलों को हल करने में सहायता करेगी।”
🇮🇳 🇲🇻 Direct Cargo Ferry Service was jointly launched today by Minister of Transport and Civil Aviation @aishath_nahula & Minister of Shipping @mansukhmandviya. A key instrument to upgrade our trade partnership,the Ferry Service will also support eco. dvpt. of northern Maldives. pic.twitter.com/gsNBgOD1xX
— India in Maldives (@HCIMaldives) September 21, 2020
इब्राहिम सोलिह से पहले मालदीव में चीन का समर्थन करने वाले अब्दुल्ला यामीन का राज था, जिन्होंने अपने निजी हितों को देश के हितों से ऊपर रखते हुए अपने देश को चीन के बुने जाल में फंसा दिया। अब इब्राहिम सोलिह की सरकार को उसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है, जिसमें उन्हें भारत से पूरा साथ मिल रहा है। आज मालदीव पर चीन का 1.4 बिलियन डॉलर का कर्ज़ है। जिस देश की GDP ही 5.7 बिलियन हो, उस देश के लिए यह बेशक बहुत बड़ी संख्या है। विश्लेषक यह भी मानते हैं कि 1.4 बिलियन के आधिकारिक आंकड़े की विश्वसनीयता बेहद कम है और असल में यह संख्या इससे कहीं ज़्यादा बड़ी हो सकती है।
यह देश मुख्य तौर पर “पर्यटन उद्योग” से ही पैसा कमाता है और कोविड की स्थिति में इस उद्योग को सबसे बड़ा झटका लगा है। ऐसे समय में इस देश को सिर्फ भारत से ही सहारा मिला है। पिछले ही महीने, भारत सरकार ने मालदीव के लिए 500 मिलियन डॉलर के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें 100 मिलियन डॉलर के ग्रांट समेत 400 मिलियन डॉलर के LOC (Line of Credit) जारी करने की बात कही गयी थी।
मुश्किल की घड़ी में भारत ने सच्चे दोस्त की भांति ना सिर्फ मालदीव को आर्थिक मदद दी है, बल्कि मालदीव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए फेरी सर्विस लॉंच करने का भी फैसला लिया है। यह लंबे समय में मालदीव को बड़ी आर्थिक राहत पहुंचाएगा! मालदीव की सहायता कर एक बार फिर भारत ने यह साबित कर दिया है कि चीन की तरह उसका इरादा आर्थिक सहायता के बदले अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाने का नहीं, बल्कि द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने का होता है।