हाल ही में खबर आई थी कि, भारतीय सेना ने रूस में आयोजित होने वाली जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज “कावकाज़” से खुद को अलग कर लिया है। इस एक्सरसाइज में रूस के अलावा चीन और पाकिस्तान भी शामिल थे और इसीलिए भारत ने खुद को इससे अलग कर लिया था। इससे भारत और रूस के बीच खटास की अटकलें लगाई जाने लगी थीं। लेकिन इन सभी अटकलों पर अब दोनों देशों ने मिल कर ताला लगा दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रूस और भारत की नौसेनाएं जल्द ही अंडमान निकोबार में जॉइंट नेवल एक्सरसाइज करने वाली हैं। कावकाज़ जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज से बाहर होने के बाद भारत ने रूस को यह निमंत्रण दिया था जिसे रूस ने सहर्ष स्वीकार कर लिया है। महत्वपूर्ण यह है कि, यह मिलिट्री एक्सरसाइज अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास होगी जो मलक्का स्ट्रेट के बेहद नजदीक है। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की ओर से तीन जंगी जहाज हिस्सेदारी करेंगे और इतनी ही संख्या में रूसी जहाज भी शामिल होंगे। यह सैन्य अभ्यास 4-5 सितंबर को होगा और इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रूस का दौरा भी करेंगे। ये सभी घटनाक्रम भारत और रूस के प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाता है, जो मोदी सरकार की कुशल विदेश नीति से ही संभव हो सका है।
महत्वपूर्ण यह है कि, जिस स्थान पर यह सैन्य अभ्यास हो रहा है वहां इसी साल नवंबर महीने में QUAD देशों का मालाबार सैन्य अभ्यास भी होने वाला है। मलक्का स्ट्रेट इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि, यह हिंद महासागर और दक्षिणी चीन सागर को आपस में जोड़ता है। इसके सामरिक महत्व के कारण चीन की इस पर हमेशा नजर रहती है। मलक्का स्ट्रेट पर भारतीय नौसेना का प्रभुत्व चीन के सामरिक हितों को पूरा नहीं होने देता और यही कारण है कि चीन यहां पर होने वाली किसी भी मिलिट्री एक्सरसाइज के विरुद्ध रहता है। ऐसे में भारत के निमंत्रण को स्वीकार करके रूस ने सीधे तौर पर चीन के सामरिक हितों को नुकसान पहुंचाया है। भारत लगातार चाह रहा था कि, रूस इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अपनी प्रत्यक्ष उपस्थिति दिखाए।
हमने अपनी एक रिपोर्ट के जरिए यह बताया था कि, कैसे बीजिंग और मास्को के हित आपस में टकरा रहे हैं और भारत-चीन विवाद में रूसी सरकार भारत के साथ खड़ी है। साथ ही हमने अपनी एक अन्य रिपोर्ट में यह भी बताया था कि बेलारूस से लेकर माली तक, रूस लगातार चीन के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। ऐसे में मलक्का स्ट्रेट पर उसका भारत के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास चीन को करारा जवाब है कि हिंद महासागर में अब रूस चीन की धौंस पर शांत नहीं रहने वाला।
कोरोनावायरस के कारण वैश्विक व्यवस्था तेजी से बदल रही है। नई शक्ति संतुलन में रूस एक बेहतर स्थिति प्राप्त करना चाहता है और वह स्थिति चीन का अधीनस्थ बनकर नहीं पाई जा सकती। इस कार्य के लिए उसे भारत की सहायता की भरपूर आवश्यकता है।
गौरतलब है कि, भारत ने चेन्नई से व्लादिवोस्टोक तक एक नये व्यापारिक समुद्री मार्ग के विकास के लिए रूस के साथ समझौता किया है। यह रूस के आर्थिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पर चूंकि यह समुद्री मार्ग दक्षिण चीन सागर से होकर जाएगा, इसलिए चीन को यह कतई स्वीकार नहीं होगा। ऐसे में रूस ने भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखकर अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इस सैन्य अभ्यास में शामिल होकर रूस ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि आने वाले समय में दक्षिणी चीन सागर तथा हिंद महासागर की राजनीति में वह भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।