चीन की विस्तारवादी नीतियों से सभी परिचित हैं। उसका मुख्य उद्देश्य ही यही है कि किसी भी तरह से ज्यादा-से-ज्यादा जमीन पर अपना कब्जा जमाया जा सके। कुछ ऐसा ही दावा वो 1.3 मिलियन वर्ग मील के दक्षिण चीन सागर पर भी ठोकता है जहां उसके सामने आसियान के वियतनाम, मलेशिया और फिलीपींस जैसे देश भी अपना दावा ठोकते हैं। इसी बीच अब मलेशिया ने चीन के 60 नागरिकों को अपने क्षेत्र में मछली पकड़ने वाले 6 नावों के साथ हिरासत में ले लिया है जो कि सिंगापुर की सीमा के पास का ही एक क्षेत्र है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में लिए गए लोगों के जहाज उत्तरी चीन के बंदरगाह में पंजीकृत हैं, जो पश्चिमी अफ्रीका के रास्ते पर थे और मलेशियाई समुद्री क्षेत्र से गुजर रहे थे। गौरतलब है कि ये मछुआरे चीनी सेना का हिस्सा तो नहीं हैं लेकिन ये एक एजेंट की तरह ही काम करते हुए किसी भी जलीय क्षेत्र में पीएलए की नेवी के लिए कब्जा करने की जमीन तैयार करते हैं जिसके बाद चीनी पीएलए कमान संभाल लेती है। भले ही आसियान देशों का चीन के साथ व्यापारिक रिश्ता काफी बड़ा है लेकिन इन देशों की एकता चीन के सामने काफी बड़ी और महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि चीन को लेकर इन सभी का रुख अब लगभग एक-सा हो चुका है।
चीन दक्षिण चीन सागर में लगातार समुद्री जलमार्ग से जुड़े कानूनों की अवहेलना करता रहता है। दक्षिण चीन सागर में फिलिपींस के साथ ऐसे ही एक विवाद में हेग की स्थायी अंतरराष्ट्रीय अदालत ने चीन के खिलाफ फैसला सुनाया था। इन सबके बावजूद चीन संयुक्त राष्ट्र के जलसंबंधी नियमों की खूब धज्जियां उड़ाता रहता है। फिलीपींस के विदेश सचिव टियोडोरो लॉकसिन ने चीनी राष्ट्रपति से इस मसले पर बातचीत भी की थी लेकिन जिनपिंग का रवैया बेहद खराब था। जिसके बाद लॉकसिन ने कहा, “अगर दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका चीन के खिलाफ हमला करता है तो फिलीपींस अपनी 69 पुरानी रक्षा संधि के तहत अमेरिका का साथ देगा।”
हम आपको अपनी रिपोर्ट में पहले भी बता चुके हैं कि वियतनाम के राजदूत अगस्त में भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला से मुलाकात कर दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी पर उस क्षेत्र में भारत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध कर चुके हैं। वियतनाम के इस कदम का कारण ये था कि चीन ने एच-6 विशालकाय बॉम्बर्स को पेरासेल के सबसे बड़े द्वीप पर तैनात कर दिया था। चीन इस क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है वो इस द्वीप पर अपना दावा ठोकता है जबकि ये क्षेत्र चीन के क्षेत्र से लगभग 180 किलोमीटर दूर है। वियतनाम चीन पर लगातार आरोप लगाता रहा है कि चीन ने न केवल उसकी संप्रभुता पर चोट पहुंचाई है, बल्कि उस क्षेत्र की स्थिति को भी बेहद ख़तरे में डाल दिया है।
इन सबके इतर अब चीन इंडोनेशिया के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करने लगा है और उसकी संप्रभुता को ख़तरे में डालता रहता है। खबरों के मुताबिक सितंबर में इंडोनेशिया के विशेष आर्थिक तटीय क्षेत्रों में चीनी तटरक्षक जहाजों ने घुसपैठ की थी। इंडोनेशिया और चीन के बीच का नैटुना द्वीपीय क्षेत्र हमेशा ही एक विवादित क्षेत्र रहा है जबकि इंडोनेशिया इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता था।
इसी तरह चीन दक्षिण चीन सागर के सेनकाकू द्वीप पर अपना दावा करता है जो दिखाता है कि जापान के साथ भी उसके रिश्ते सही होने की दिशा में नहीं हैं। चीन के करीब ये द्वीप जापान के लिए एक महत्वपूर्ण विमान वाहक की तरह कार्य करता है। इन सबसे इतर चीन इस क्षेत्र में लगातार अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा रहा है जिससे इस क्षेत्र में जापान को कमजोर किया जा सके। जापान की चेतावनियां जारी की हैं लेकिन चीन को इन सबकी कोई परवाह नहीं है और वो पिछले लगभग दो सालों से इस क्षेत्र में दबाव बना रहा है जिससे जापान को कमजोर किया जा सके।
चीन के दक्षिण चीन सागर में रवैए को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा इस क्षेत्र में जबरदस्त सैन्य तैनाती कर दी गई है जिससे चीन के लिए अमेरिका का भी एक नया खतरा पैदा हो गया है। शायद यही कारण है कि अब आसियान देशों ने भी चीन के खिलाफ बोलना और कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। मलेशिया में चीनी मछुआरों पर हुई इस कार्रवाई के बाद शी जिनपिंग और पीएलए नेवी गीदड़ भभकी दे रही है लेकिन अब ये बेहद जरूरी हो गया है कि चीन के खिलाफ ये सभी आसियान देश एक जुटता से बोलें जिससे कागजी ड्रैगन को उसकी औकात पता चल सके।