चीन में “वास्तविकता” एक स्कैम है। चाहे चीन के किसी भी विषय पर दावे हो या रिसर्च या अर्थव्यवस्था, सभी को झूठ का आवरण पहना कर पेश किया जाता है। चीन यह चाहता है कि दुनिया उसकी बढ़ती आर्थिक क्षमता पर विश्वास करे। लेकिन सच्चाई कुछ और है। चीन की अर्थव्यवस्था एक खोखले झूठ पर टिकी हुई दिखाई देती है जिसे चीन झूठ, घोटाले और कवर-अप के जरिये बचाता आया है।
उदाहरण के लिए, इस वर्ष जून के महीने में चीन का सबसे बड़ा सोना घोटाला सामने आया। चार महीने बाद, आज इस घोटाले का न तो नाम सुनाई पड़ रहा है और न ही जांच पड़ताल की रिपोर्टिंग हो रही है। ऐसा लगता है कि चीन ने इस भयंकर घोटाले की रिपोर्टों को सफलतापूर्वक दफन कर मिट्टी में मिला दिया है।
कोरोना के बाद यह आवरण अब चीन के वास्तविक चेहरे से हट चुका है और उसका छल-कपट तथा झूठ सामने आ चुका है। हालांकि, चीन अभी भी अपने बचाव में जुटा हुआ है। यह भी कोई संयोग नहीं हो सकता है कि जब चीन दुनिया भर में अपनी अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने का झूठ परोस रहा था तब वहाँ सोने के घोटाले को कवर अप किया जाता है जिसमे ज्वैलरी की दिग्गज कंपनी किंगोल्ड ज्वैलरी इंक शामिल है।
बता दें कि जून में एक खबर आई थी कि वुहान की एक कंपनी किंगोल्ड ज्वेलरी इंक ने कुछ ऐसा किया है, जो इतिहास के सबसे बड़े स्वर्ण घोटालों में से एक माना जा रहा है। प्रारम्भिक जांच में इस पूरे प्रकरण के पीछे पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के एक पूर्व अफसर का हाथ बताया गया।
रिपोर्ट के अनुसार चीन की सबसे बड़ी निजी गोल्ड प्रोसेसिंग एवं ज्वेलरी कंपनी “किंगोल्ड”को 16 बिलियन युआन के फर्जीवाड़े में रंगे हाथों पकड़ा गया। पिछले कुछ सालों में चीन के हुबई प्रांत की सबसे बड़ी प्राइवेट ज्यूलरी कंपनी Kingold ने अपने 83 टन “सोने” को अलग-अलग ऋणदाताओं के पास गिरवी रख करीब 16 बिलियन युआन का कर्ज़ उठाया था। अब जांच होने के बाद यह सामने आया है कि वह 83 टन सोना असल में सोना था ही नहीं, बल्कि वह कॉपर था जिस पर सोने की परत चढ़ाई गयी थी।
इस साल फरवरी में चीन के एक बैंक Dongguan Trust ने जैसे ही Kingold के सोने को बेचने की कोशिश की, तो जांच के बाद पता चला कि वह कॉपर है। यह सोना घोटाला हाल ही के इतिहास का सबसे बड़ा सोना घोटाला बताया जा रहा है, क्योंकि 83 टन सोना चीन के सालाना सोने उत्पादन के 22 प्रतिशत हिस्से के बराबर है। इसके अलावा 83 टन सोना चीन के कुल Gold Reserve के 4 प्रतिशत हिस्से के बराबर था। ऐसे में इस “सोना घोटाले” के सामने के आने के बाद इस बात का डर भी बढ़ गया है कि चीन के कुल Gold reserve का 4 प्रतिशत हिस्सा नकली हो सकता है।
चीन पर इस घोटाले का परिणाम भयंकर होने वाला था। इस घोटाले की वजह से चीन को पूरी दुनिया से अपने सोने के भंडार के बारे में झूठ बोलने के कारण अपने गोल्ड रिजर्व को भी गंवाना पड़ सकता था। यही नहीं इसकी वजह से चीन को एक बड़ा बैंकिंग संकट भी होने का अनुमान था।
किंगोल्ड प्रकरण चीन का लेहमैन ब्रदर्स क्षण होना चाहिए था। जैसे आवास की कीमत में भयंकर कमी आने के कारण लेहमैन ब्रदर्स का पतन हुआ और फिर अमेरिका में वर्ष 2008 का वित्तीय संकट आया था, उसी प्रकार चीन में किंगोल्ड जैसी कंपनियों की अक्षमता के कारण एक तीव्र वित्तीय संकट पैदा हो जाना चाहिए था।
यह एक बहुत बड़ी घटना थी लेकिन CCP ने ऐसा खेल खेला कि कुछ ही महीनों के बाद से इस घोटाले का वैश्विक मीडिया से नाम ही गायब है। न तो कवरेज मिल रही है और न ही जांच पड़ताल। किंगोल्ड ज्वैलरी इंक कोई साधारण कंपनी नहीं है। इस कंपनी को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक दिग्गज JiaZhihong चलाते है।
हालाँकि, जैसे ही किंगोल्ड प्रकरण ने वैश्विक स्तर पर चीन की खोखली अर्थव्यवस्था की पोल खोलना शुरू किया वैसे ही वैश्विक लिबरल मीडिया से इस घोटाले की खबर गायब हो गयी। सोने के इस घोटाले के बारे में आखिरी रिपोर्ट मध्य अगस्त के आस-पास सामने आई थी। पहले, चीन ने डैमेज कंट्रोल किया और किंगोल्ड प्रकरण के बाद अपने 160 मिलियन निवेशकों को दिलासा दिलाय और भविष्य में मुकदमा चलाने को ग्रीन लाइट दे दी। चीन यह दिखाने की कोशिश कर रहा था कि उसे अपने निवेशकों की परवाह है। हालाँकि, चीन के डैमेज कंट्रोल से कोई खास असर नहीं हुआ।
अगस्त के मध्य में यह रिपोर्ट आई कि किंगोल्ड ज्वैलरी इंक, नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट हो रहा है।
लेकिन इस रिपोर्ट के बाद, इस घोटाले की कवरेज लगभग बंद ही हो गयी। चीन ने घोटाले की खबरों को रहस्यमय तरीके से गायब करवा दिया जिसे इस साल सबसे महत्वपूर्ण समाचारों में से एक होना चाहिए था।
इस घोटाले के बारे में कई प्रश्नों के उत्तर ही नहीं मिले जैसे चीन की सरकार दुनिया ने सबसे बड़े सोने के घोटाले से आई अर्थव्यवस्था में उथल पुथल को कैसे शांत किया? चीन के नकली सोने की रिपोर्टों के अचानक गायब हो जाने पर सवाल उठता है कि क्या यह जानबूझकर किया गया कवर अप था?
इन सवालों का जवाब कभी नहीं दिया गया, और वास्तव में, कभी नहीं पूछा गया।
इस खबर को वैश्विक मीडिया द्वारा नजरअंदाज करना बहुत बड़ी बात थी। आखिर वैश्विक मीडिया चुप क्यों रही? उसने चीन से सवाल क्यों नहीं पूछा? यह चीन का प्रोपोगेंडा तंत्र ही था जिसने इस तरह से मीडिया को ही चुप करा दिया।
दुनिया जानना चाहती है कि घोटाले का क्या हुआ? दुनिया को यह जानने का पूरा अधिकार है कि चीन की CCP ने इस घोटाले में शामिल घोटालेबाजों का क्या किया होगा? चीन मानव इतिहास के सबसे बड़े सोने के घोटाले को इसी तरह दफन नहीं कर सकता है। अब बस सवाल समय का है कि आखिर कब इसका खुलासा होगा।