कंबोडिया ने एक अमेरिकी ढांचा गिराया, अब अमेरिका ने उसे फिर से अपने पाले में कर लिया

कंबोडिया

अमेरिका-चीन के बीच जारी शीत युद्ध के दौरान अब बाकी दुनिया की तरह ही दक्षिण पूर्व एशिया में भी दोनों superpowers के बीच अधिक से अधिक देशों पर अपना प्रभुत्व जमाने को लेकर होड़ मचती दिखाई दे रही है। इसी कड़ी में पिछले हफ्ते चीन को बड़ी कामयाबी मिली जब कंबोडिया की सरकार ने अपने अति-महत्वपूर्ण Ream Naval Base पर 7 साल पहले अमेरिकी फंडिंग से बने एक ढांचे को गिराने का फैसला लिया। इसके साथ ही यह खबर भी आई कि चीनी सरकार और कंबोडिया ने एक secret pact पर हस्ताक्षर किया है जिसके बाद चीन को सीधे तौर पर इस naval base का access मिल गया है। हालांकि, अब लगता है कि अमेरिका ने भी इस क्षेत्र को चीनी चंगुल से छुड़ाने का फैसला ले लिया है, जिसका असर कंबोडिया पर दिखना शुरू भी हो चुका है।

Voa News की एक रिपोर्ट की मानें तो अमेरिकी सरकार अब Mekong क्षेत्र को चीनी प्रभाव से मुक्त करने के लिए जल्द ही इन देशों के लिए बड़े economic package की घोषणा कर सकती है। यह economic package वियतनाम, Laos, कंबोडिया, म्यांमार और थाईलैंड के लिए घोषित किया जाएगा। यहां अमेरिकी सरकार की कोशिश है कि इन देशों की चीन पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता को खत्म किया जा सके। बता दें कि कोरोना से निपटने के लिए अमेरिका इस वर्ष पहले ही इन देशों को 52 मिलियन डॉलर की सहायता मुहैया करा चुका है। हालांकि, आगे भी इन देशों को सूखे, पानी के बहाव संबंधी परेशानियों का मुक़ाबला करने के लिए 6 बिलियन डॉलर की सहायता मुहैया कराई जा सकती है।

दूसरी तरफ अब कंबोडिया सरकार के तेवर भी बदले-बदले नज़र आने लगे हैं। कंबोडिया सरकार ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि चीनी सरकार और कंबोडिया के बीच कोई secret pact नहीं हुआ है। कंबोडिया के प्रधानमंत्री Hun Sen ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके संविधान के तहत किसी दूसरे देश को उनके military base का नियंत्रण नहीं दिया जा सकता और अगर भविष्य में किसी एक देश को हमारे military base का access मिलता है तो बाकी देशों का भी यहां स्वागत किया जाएगा। गौरतलब है कि Ream Base पर नए ढांचों को चीन की सहायता से ही बनाया जाएगा, लेकिन यहां कंबोडिया ने कहा है कि उनके यहां कोई भी देश निवेश कर सकता है और यह सुविधा केवल चीन के लिए नहीं है।

बता दें कि चीन एक तरफ तो इन दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में बड़े पैमाने पर इनफ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रहा है, दूसरी तरफ अपने यहां Mekong नदी पर बड़े-बड़े बांध बनाकर इन्हें सुखाने का भी भरपूर इंतजाम कर रहा है। हालांकि, चीन की यह चालबाज़ी अब इन देशों पर भारी पड़ने लगी है। उदाहरण के लिए चीन के बोझ तले दबकर पिछले दिनों ही Laos को अपना एक अति महत्वपूर्ण Electric Grid चीनी कंपनी को सौंपना पड़ा था। इस देश पर इसकी कुल GDP के 60 प्रतिशत के बराबर चीनी कर्ज़ का बोझ है। ऐसे में अब अमेरिका ने इन देशों को आर्थिक सहायता पहुंचाकर इन्हें चीनी जकड़ से बाहर निकालने के प्रयास करने शुरू कर दिये हैं।

क्षेत्र में चीन के लिए यह दोहरी मार है। चीन ने रणनीति बनाई होगी कि भविष्य में थाईलैंड के Kra Canal Project के निर्माण के बाद कंबोडिया में उसके naval base की स्थापना क्षेत्र में उसकी नेवी के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देगी, लेकिन अब चीन के हाथ से Kra Canal Project भी निकल चुका है, और साथ ही में कंबोडिया का यह बेस भी! कंबोडिया और इस क्षेत्र के बाकी देश अब धीरे-धीरे इस बात को समझने लगे हैं कि चीन पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता उनको अगला Laos बना सकती है। ऐसे में यहां अमेरिका को अब दोबारा अपनी पकड़ बनाने का मौका मिल गया है, और अमेरिका इस मौके का भरपूर फायदा भी उठा रहा है।

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