रेप के आरोपी को टिकट देने का विरोध करने वाली कांग्रेस महिला कार्यकर्ता को कांग्रेसी “मर्दों” ने ही पीट डाला

कांग्रेस का हाथ- रेपिस्टों के साथ?

महिला

एक शर्मनाक घटना में अपनी वास्तविकता एक बार फिर उजागर करते हुए कांग्रेस पार्टी के कार्यकताओं ने एक महिला कार्यकर्ता को सिर्फ इसलिए पीटा, क्योंकि उसने पार्टी द्वारा एक दुष्कर्म आरोपी को टिकट दिए जाने का विरोध किया था। इसके कारण ना सिर्फ कांग्रेस के दोगलेपन की पोल फिर खुली है, अपितु सोशल मीडिया पर पार्टी की भद्द भी पिटवाई जा रही है।

तारा यादव नामक इस कांग्रेसी कार्यकर्त्ता को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के नेशनल सेक्रेटरी सचिन नायक के सामने बुरी तरह पीटा गया, क्योंकि तारा ने उनके सामने देवरिया के मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को पार्टी द्वारा चुनाव टिकट दिए जान पर आपत्ति जताई थी। एएनआई द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, “जब मैंने पार्टी के निर्णय का विरोध किया, तो मुझे पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा बुरी तरह पीटा गया”।

यह शायद पहली बार होगा, जब एक महिला कार्यकर्ता को सिर्फ इसलिए पीटा गया, क्योंकि उसने एक संदेहास्पद उम्मीदवार को अवसर दिए जाने के विरोध में  अपनी आवाज़ उठाई। नेशनल कमीशन फॉर वूमेन यानी NCW ने मामले पर संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है, और उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए यह भी पूछा है कि ऐसे नेता राजनीति में आए कैसे है!

ये मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब हाथरस में  एक दलित महिला की हत्या के पीछे काफी बवाल मचाया गया था, और कांग्रेस ने इस अभियान में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

तब से कांग्रेस अपने आप को नारीवाद के प्रतीक के तौर पर प्रदर्शित करते हुए इस मामले को संसद और सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने को तैयार थी, जिसके लिए स्वयं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी मैदान में उतर आए। चाहे पीड़िता के परिवार को गले लगाना हो फोटो खिंचवानी हो, या फिर यूपी सरकार को तानाशाही सिद्ध करने के लिए पुलिस से भिड़ना हो, कांग्रेस ने नारीवादी पार्टी का टैग लेने के लिए सबकुछ किया।

लेकिन जिस प्रकार से देवरिया में एक महिला कांग्रेस कार्यकर्ता के साथ उसके पार्टी के सदस्यों ने बदसलूकी की और उसे बुरी तरह पीटा, उससे स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस सिर्फ नाम की प्रगतिशील पार्टी है, प्रगति और नारिवाद से वास्तव में उसका दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है। इसके अलावा ये बात भी सिद्ध होती है कि कांग्रेस में वैकल्पिक विचारों के लिए कोई जगह नहीं है, और यदि आवश्यकता पड़ी तो उसे कुचलने के लिए बल का भी प्रयोग किया जा सकता है।

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