पत्रकार रवीश कुमार के भाई और रेप के आरोपी ब्रजेश पांडे को काँग्रेस ने दिया टिकट

पत्रकार साहब, कहाँ गयी नैतिकता, कीजिये प्राइम टाइम..!

रवीश कुमार

 बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियां अब अपने अंतिम चरण में हैं और सभी पार्टियां अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने का काम निपटा रही हैं। इसी बीच कांग्रेस ने भी तीसरे चरण के चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। इस घोषणा में खास बात यह थी कि पत्रकारिता में “निष्पक्षता” का सर्टिफिकेट बांटने वाले NDTV के रवीश कुमार के बड़े भाई ब्रजेश कुमार पांडे को कांग्रेस ने मोतिहारी के गोविंदगंज क्षेत्र से टिकट दिया था। 

NDTV के रवीश कुमार के भाई ब्रजेश कुमार पांडेय पहले बिहार कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। यही नहीं इन पर बिहार सरकार में कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री की नाबालिग बेटी के साथ यौन शोषण और बलात्कार का मामला भी दर्ज है। इस आरोप के बाद रवीश कुमार के भाई ब्रजेश पर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट, SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। हालांकि, इसी मामले के कारण उन्होंने बिहार कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था परंतु अब एक बार फिर उसी बलात्कार और यौन शोषण के आरोपी को काँग्रेस ने चुनाव लड़ने का अवसर दिया है।

इससे पहले 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में भी ब्रजेश पांडेय कांग्रेस के टिकट पर गोविंदगंज विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। 2015 विधानसभा चुनावों में लालू-नीतीश-कांग्रेस के महागठबंधन की शानदार जीत के बावजूद ब्रजेश पांडेय को लोक जनशक्ति पार्टी के राजू तिवारी से हार का सामना करना पड़ा था।

ज्यादातर नैतिकता का ज्ञान देने वाले रवीश कुमार भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। प्राइम टाइम शो के नाम पर नैतिकता और निष्पक्षता का भाषण देने वाले रवीश कुमार ऐसे तो इतना ज्ञान देते हैं कि नैतिकता और निष्पक्षता को भी स्वयं पर शक हो जाए। परंतु इस मामले पर जैसे उनके मुंह में दही जम गयी हो। 

BJP सरकार द्वारा किए गए अच्छे कामों में भी बुराई निकालने वाले रविश कुमार को यह मामला शायद किसी प्रकार की न्यूज़ नहीं लगती है और न ही इसमें एक दलित के साथ अन्याय दिखाई देता है। अगर कोई ऐसा प्रत्याशी BJP या NDA में होता तो तो अभी तक रवीश बात की खाल उधेड़ चुके होते। फेसबुक से लेकर प्राइम टाइम तक इतनी बार रट लगाते कि उन्हें स्वयं भी संख्या याद नहीं रहती। 

इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर रवीश के चाहने वालों ने उन्हें खूब याद किया। 

पत्रकार सुशांत सिन्हा ने ट्विटर पर लिखा कि, “रवीश कुमार जी को बहुत बधाई कि 2017 में नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे उनके भाई ब्रजेश पांडे को कांग्रेस ने बिहार की गोविंदगंज सीट से प्रत्याशी बनाया है। रवीश जी भाई का प्रचार करने ज़रूर जाइएगा। टिकट भर से काम नहीं चलेगा।“

अंकुर सिंह ने ट्वीट किया कि, “रवीश कुमार के भाई और कांग्रेस नेता ब्रजेश पांडेय व उनके दोस्त निखिल पर एक नाबालिग दलित लड़की के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा था। बाद में मामले को निपटारे के लिए रेप पीड़िता को निखिल से विवाह करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हाथरस में फोटो खिंचवाने के बाद राहुल गांधी ने ब्रजेश पांडेय को टिकट दिया है।“

खैर रवीश कुमार ऐसे निष्पक्ष पत्रकार हैं जो अपने NDTV के मालिक प्रणय रॉय पर भ्रष्टाचार के मामले पर नहीं बोलते हैं, कांग्रेस पार्टी की सत्ता वाले राज्यों में होने वाले घिनौनी से घिनौनी घटनाओं पर नहीं बोलते हैं, कांग्रेस की सरकार में पत्रकारो के साथ हुई बदसूलकी पर नहीं बोलते हैं, तो इस बार अपने भाई के टिकट मिलने पर कैसे बोलेंगे। 

यह पहली बार नहीं है जब रविश कुमार का राजनीतिक पक्ष सामने आया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले रवीश कुमार ने बड़ी शिद्दत से एसपी और बीएसपी के महागठबंधन को कामयाब बनाने के लिए पसीना बहाया था। तब उनकी एक फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी, जिसमें वे महागठबंधन की एक रैली के दौरान मंच पर खड़े दिखाई दिए थे। यही नहीं, कन्हैया कुमार को भी खूब प्रमोट किया था। अब यही देखना रह गया है कि चुनावों में वे अपने भाई का किस प्रकार से चुनाव प्रचार करते हैं जिससे कांग्रेस को कुछ मदद मिले और चुनावों में एक दो सीट हासिल हो। 

 

Exit mobile version