यूरोप से BRI का सफाया होना अब तय, अल्बानिया ने सारी बाजी पलटकर चीन के सपनों को चूर कर दिया है

BRI के ताबूत में आखिरी कील है अल्बानिया!

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यूरोप और मध्य एशिया के बीच की कड़ी माने जाने वाले अल्बानिया की विदेश नीति बेहद संतुलित ही रही है। यह देश राजनीतिक तौर पर पश्चिमी देशों की तरफ झुका हुआ है, तो वहीं आर्थिक तौर पर यह देश चीन पर ही निर्भर है। हालांकि, बढ़ते अमेरिका-चीन विवाद के दौरान इस देश पर भी किसी एक पक्ष के साथ जाने को लेकर दबाव है और अल्बानिया सरकार के संकेतों के अनुसार इस यूरोपियन देश ने पश्चिमी खेमे को चुनने का ही फैसला लिया है। बीते सोमवार को ही देश की संसद ने 97-15 के मत से यूरोपियन यूनियन में शामिल होने के लिए अपने क्षेत्रीय चुनाव के कानूनों में बदलाव करने को मंजूरी दी है। शी जिनपिंग के दौर में चीन ने इस देश के जरिये यूरोप में अपने BRI कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश की है। इसके साथ ही देश के एनर्जी, इनफ्रास्ट्रक्चर, खनन और कृषि जैसे सेक्टर्स में भी चीन ने काफी निवेश किया है। हालांकि, वैश्विक भू-राजनीतिक हालातों और खराब आर्थिक स्थिति के कारण अब यह देश अमेरिका और EU के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है, जो चीन के BRI के लिए बेशक अच्छी खबर नहीं है।

शी जिनपिंग के दौर में चीन की बदनाम खूफिया एजेंसी United Front ने इस देश में चीन का प्रभाव बढ़ाने की भरपूर कोशिश की है। वर्ष 2017 में इस देश ने BRI में शामिल होने को लेकर चीनी सरकार के साथ एक MoU पर हस्ताक्षर भी किया था। इसके अलावा अल्बानिया चीन और यूरोप के बीच साझेदारी विकसित करने के लिए बनाए गए 17+1 संगठन का भी हिस्सा है। बाद में चीन ने बड़ी ही चालाकी से इस 17+1 संगठन को BRI में शामिल कर लिया। यूरोप में BRI की सफलता काफी हद तक अल्बानिया पर निर्भर है, क्योंकि ना सिर्फ यह देश प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है बल्कि इस देश की लोकेशन भी बड़ी महत्वपूर्ण है। यूरोप और मध्य एशिया के बीच की कड़ी होने की वजह से चीन ने इस देश पर खासा ध्यान दिया है। वर्ष 2015 में चीन ने अल्बानिया को अपने BRI के लिए ट्रांसपोर्ट हब बनाने की दृष्टि से Montenegro के साथ मिलकर त्रिपक्षीय MoU पर हस्ताक्षर किए थे ताकि अल्बानिया से लेकर Montenegro के बीच में एक हाइवे बनाया जा सके। यह हाइवे चीन के BRI को आसानी से इटली, ग्रीस, स्लोवेनिया, क्रोएशिया से जोड़ देगा। भू-मध्य सागर के साथ सीधा जुड़ाव होने की वजह से चीन ने इस देश को मैरिटाइम हब बनाने के लिए काफी निवेश करने का ऐलान किया है। कुल मिलाकर यूरोप में चीन के BRI प्लान को सफल करने के लिए चीनी सरकार ने अल्बानिया पर अच्छा खासा फोकस किया है।

हालांकि, अल्बानिया को चीन के साथ इस साझेदारी से कोई खास फायदा नहीं हुआ है। अल्बानिया आज भी यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक है। क्रोमियम, निकेल, कॉपर और crude ऑइल से सम्पन्न होने के बावजूद यह देश आर्थिक तौर पर विकास नहीं कर पाया है। ऐसे में अब यह देश पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहता है। अल्बानिया द्वारा यूरोपियन यूनियन में शामिल होने की इच्छा इसी बात की ओर संकेत करती है। इसके अलावा ट्रम्प प्रशासन की ओर से भी अल्बानिया पर दबाव है कि वह चीन के 17+1 संगठन को छोड़कर अमेरिका के साथ मिलकर अपनी रणनीति बनाए।

इसी महीने ट्रम्प ने अल्बानिया के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर अपने यहाँ से चीनी प्रभुत्व को समाप्त करने की बात कही थी। इसके साथ ही अमेरिका और अल्बानिया मिलकर 5जी तकनीक को लेकर भी एक MoU पर हस्ताक्षर कर सकते हैं ताकि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र से चीन को बाहर रखा जा सके। ट्रम्प अल्बानिया के माध्यम से पूरे पूर्वी यूरोप पर अमेरिका का प्रभुत्व बढ़ाकर चीन के लिए चुनौती पेश करना चाहते हैं। पश्चिमी देशों के दबाव और देश की खराब आर्थिक स्थिति के कारण इस देश के रुख में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। अल्बानिया ने अब तक 5G तकनीक को लेकर huawei को अपने देश में घुसने नहीं दिया है। इसके साथ ही हाल ही में जब 37 मुस्लिम देशों ने चीन द्वारा शिंजियांग प्रांत में उठाए जा रहे कदमों का समर्थन किया था, तो अल्बानिया ने उससे अपने आप को बाहर कर लिया था।

हालिया दिनों में जिस प्रकार EU ने चीन विरोधी तेवर दिखाये हैं, और जिस प्रकार ट्रम्प प्रशासन चुन-चुन कर चीन से प्रभावित इलाकों को चाइना-फ्री करने में लगे हैं, उससे स्पष्ट है कि EU में शामिल होने के बाद अल्बानिया रणनीतिक तौर पर चीन को झटके देने वाले बड़े कदम उठा सकता है, और इसमें अपने देश से BRI प्रोजेक्ट्स को बाहर करना भी शामिल हो सकता है। अगर एक बार अल्बानिया BRI से बाहर हो जाता है तो चीन का यूरोप को BRI से जोड़ने का सपना धरा का धरा रह जाएगा। अल्बानिया इससे पहले NATO और इंटरपोल का भी सदस्य बन चुका है और इन दोनों ही संगठनों के माध्यम से वह पश्चिमी देशों के और नजदीक आ चुका है। स्पष्ट है कि कभी चीन के आर्थिक पंजों में जकड़े जाने वाला अल्बानिया आज EU और अमेरिका के साथ मिलकर उसे सबसे बड़ा झटका देने की तैयारी में है, जिसे शी जिनपिंग कभी नहीं भुला पाएंगे।

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