पिछले 4-5 दशकों से पंजाब में आतंकवाद को खत्म करने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू की कुछ अज्ञात लोगों ने शुक्रवार को पंजाब के ही तरनतारन में गोली मारकर हत्या कर दी। संधू के साथ ये पूरा हादसा तब हुआ जब पंजाब सरकार ने उनसे राजकीय स्तर की सुरक्षा वापस ली जिसके चलते इस मामले में पंजाब सरकार पर संदेह लाजमी हो गया है कि कैसे सरकार के सुरक्षा हटाने के फैसले के बाद ही यह घटना हुई।
इस घटना की सीसीटीवी फुटेज में सामने आया है कि संधू पर मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्तियों ने 6 राउंड गोलियां चलाई जिससे उनकी मृत्यु हो गयी। इस मामले में पुलिस की तरफ से डीआजी हरदयासल सिंह मान ने कहा है कि सिंधू की हत्या पर आपसी रंजिश से लेकर दुश्मनी तक से जुड़े सभी पहलुओ से जांच की जा रही है जिसकी रिपोर्ट जल्द ही सामने आएगी।
संधू की हत्या की जांच को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि इस मामले पर अब एसआईटी जांच के लिए टीम का गठन कर दिया गया है। कैप्टन जांच के दावे तो कर रहे हैं लेकिन सवाल तो उनकी कैबिनेट पर ही उठने चाहिए कि कैबिनेट ने कैसे आतंकवादियों की हिट लिस्ट में शामिल संधू से सुरक्षा वापस ले ली। इसको लेकर उनके परिवार ने ही आरोप लगाया है कि इस वर्ष की शुरुआत में ही उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी जिसके बाद वो लगातार राज्य के डीजीपी दिनकर गुप्ता से चर्चा कर रहे थे। इसके बावजूद इस पर कोई फैसला नहीं हो सका था। इस मामले पर उनकी पत्नी ने कहा है कि किसी के साथ परेशानी की खबर तो नहीं है लेकिन एक शख्स जो उनकी पहचान का था वो एक हफ्ते से गायब है।
गौरतलब है कि बलविंदर सिंह का घर पंजाब के सबसे बड़े खालिस्तानी कमांडर और भारत के मोस्टवांटेड आतंकवादी परमजीत सिंह की पंजावर के घर के पास है जो कि खालिस्तानी आतंकवाद का एक बड़ा नेटवर्क चलाता था। बलविंदर सिंह का परिवार काफी खास इसलिए भी है क्योंकि इनके घर के 4 सदस्यों को शौर्य चक्र मिला हुआ है। बलविंदर उनकी पत्नी के अलावा उनके बड़े भाई रंजीत और उनकी पत्नी को भी शौर्य चक्र मिला हुआ है।
संधू परिवार पर लगातार हमला होता रहा है। उन पर पहला हमला 31 जनवरी 1990 और आखिरी 28 दिसंबर 1991 को किया गया था। लेकिन सबसे घातक हमला 30 सितंबर 1990 को किया गया था। उस दिन लगभग 200 आतंकवादियों ने संधू के घर को चारों तरफ से घेर लिया था और उन पर लगातार हमला किया था। रॉकेट लांचर सहित घातक हथियारों के साथ 5 घंटे तक उन पर हमलावरों ने कहर बरसाया था। इसको लेकर सामने आया था कि हमले की योजना अच्छी तरह से बनाई गई थी।
गृह मंत्रालय इस तरह के खालिस्तानी हमलावरों को आतंकवादियों की सूची में डाल चुकी है। पिछले वर्ष भी 9 खालिस्तानी लोगों को इस सूची में डाला गया था। बब्बर खालसा से लेकर लखबीर सिंह इसी सूची में शामिल हैं। वहीं परमजीत सिंह तो ऐसा शख्स था जो पाकिस्तान और खालिस्तान दोनों का समर्थक था। इनके आतंकवादी संगठनों में KZB, BKI प्रमुख है जो पंजाब से खालिस्तान बनाने की बात करते रहते हैं। इसके अलावा खालिस्तान टाइगर नामक एक संगठन कनाडा में भी बनाया गया है जिसका नेतृत्व हरदीप सिंह निज्जर करता है।
पंजाब में खालिस्तानी आतंकियों ने जो बवाल मचाया है उसके ज़ख्म अभी भी लोगों के दिल में है। उसी तरह इन आतंकियों के मन में उन जांबाज जवानों के लिए नफरत और बदले की भावना भी बहुत ज्यादा है जो इस खालिस्तानी आतंकवाद को पंजाब से खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। बलविंदर सिंह संधू पर हमला और उनकी हत्या उसी का उदाहरण है। वहीं पंजाब सरकार का उनसे सुरक्षा वापस लेना बेहद ही शर्मनाक बात है।