BJP ने विपक्ष के ‘बिहार में का बा’ का दिया जवाब, नीतीश कुमार को भी दिया एक सन्देश

बीजेपी फ्रंट फुट पर खेलने का मूड बना ही चुकी है

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चुनावों के दौरान राजनीति और रचनात्मकता दोनों अपने शीर्ष स्तर पर दिखाई देते हैं। चाहे वो विपक्ष के सवालों का जवाब देना हो या अपनी किसी पर निशाना साधना हो। BJP इसी अवसर का इस्तेमाल नीतीश कुमार के लिए करती दिखाई दे रही है। ‘मुंबई में का बा’ की तर्ज पर नेहा सिंह राठौर का गाया ‘बिहार में का बा’ आज कल बिहार में खूब धूम मचा रहा है। इसी गाने से प्रेरित हो कर बिहार में ऐसे पोस्टर लगाए गए थे, जिनमें नीतीश-बीजेपी की सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया गया था- ‘बिहार में का बा’।

इसके बाद अब बीजेपी ने इस सवाल का जवाब वीडियो जारी कर के दिया है और इसके साथ ही नीतीश कुमार के लिए भी इसमे संदेश छुपा है। बीजेपी ने ‘बिहार में का बा’ का जवाब भोजपुरी ‘ई बा’ गाने के वीडियो से दिया है। एनडीए सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को दिखाते हुए भाजपा ने ‘ई बा’ गाने में अपनी सफल योजनाओं को दिखाया है। भोजपुरी में तैयार इस वीडियो में कहा गया है- एनडीए के राज में बदलल बिहार बा। BJP ने इस वीडियो में बताया कि NDA सरकार ने बिहार में क्या-क्या किया है।

वीडियो की शुरूआत सवालों से ही होती है। कई आवाजें ‘का बा’ पूछती सुनाई देती हैं, और फिर अचानक एक शख्स दिखता है, जो कहता है- ‘रुक बताव तानी का बा’।

इसमें विकास के तमान कार्यों के साथ एक तरह से रिपोर्ट-कार्ड भी पेश किया गया है, ताकि जनता को यह पता चले कि आखिर सरकार ने किया क्या है। वीडियो में आईआईटी की स्थापना से ले कर स्कूल-कॉलेज, सड़क, बिजली, पानी से लेकर आधारभूत संरचना के कार्यों के बारे में बताया गया है। अच्छी सड़कें, अस्पतालों में मुफ्त मिल रही दवाई, कानून का राज, शिक्षा में हुए कामों के साथ ही बिहारियों की मेहनत से तैयार भवनों का भी जिक्र वीडियो में किया गया है।

अब मुद्दा यह है कि बिहार में ई बा जदयू ने नहीं बल्कि भाजपा ने दिया है, सत्ता में होने के कारण ज़िम्मेदारी तो नीतीश कुमार और जदयू की थी कि वो जनता को जवाब में आपने कार्यों को बताएं परन्तु इसका जवाब भाजपा ने दिया है। यह समझने वाली बात है कि अब कमान नीतीश के हाथ में नहीं बल्कि भाजपा अपने हाथों में लेती दिखाई दे रही है।

भाजपा के इस पूरे एड में कहीं भी नीतीश बाबू का नाम या उनकी पहचान उनके तीर का निशान नहीं है। ये पूरी कैंपेनिंग सिर्फ ओर सिर्फ कमल के निशान पर हुआ है तो वहीं पीएम मोदी की तस्वीर भी है। हालांकि, एनडीए सरकार बोला गया है लेकिन सहयोगी पार्टियों का सहयोग नहीं दिखाया गया है। आमतौर पर हम देखते हैं कि मुख्यमंत्री के चेहरे या नाम पर चुनाव लड़ा जाता है परंतु बिहार के इस चुनाव में BJP के इस कैंपेन में मुख्यमंत्री के योगदान की चर्चा ही नहीं है।

अगर देखा जाए तो इस बार भाजपा हर जगह यही कर रही है। ये किसी और के लिए नहीं बल्कि नीतीश कुमार के लिए संकेत है। भाजपा के सभी निर्णय कहीं न कहीं से ये संकेत कर रहे हैं कि  नीतीश कुमार के दिन पूरे हो चुके हैं। अब नीतीश कुमार की मजबूरी है कि भाजपा के साथ बने रहे नहीं तो इस चुनावों में उनका अस्तित्व भी नहीं बचेगा। भाजपा कतई नहीं चाह रही की सत्ता नीतीश के हाथ में ही जाए।

यही नहीं, BJP चुनावों में उतर तो जेडीयू के साथ रही है लेकिन ऐसा लग रहा है कि जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार देकर लोजपा को नीतीश की JDU के खिलाफ मजबूत कर रही है जिससे चुनाव के बाद नीतीश को बाहर का रास्ता दिखाया जा सके। अब वीडियो कैम्पेन में भी नीतीश कुमार को स्थान न दिया जाना बिहार में आने वाले बदलावों के संकेत हैं। BJP अब धीरे-धीरे यह स्पष्ट कर रही है कि नितीश कुमार सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं। भले ही लोकसभा में बीजेपी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े, मगर विधानसभा में नीतीश की पार्टी जदयू ही बड़े भाई की भूमिका में होती थी, मगर इस बार पासा पलटा हुआ है। ऐसे में अगर LJP अपने और BJP से आए उम्मीदवारों के दम पर 30-50 के बीच सीटों पर भी JDU के खिलाफ जीत हासिल कर लेती है तो वह सरकार बनाने में निर्णायक साबित हो जाएगा। इसके बाद नीतीश कुमार को CM पद से हटाना आसान हो जाएगा क्योंकि जब संख्या ही नहीं तो CM पद कैसा? इसके बाद BJP को LJP के साथ मिल कर सरकार बनाने और अपना मुख्यमंत्री बनाने का मौका मिल जाएगा। यह एक ऐसा मौका होगा जिसका इंतजार बिहार बीजेपी कई दशकों से कर रही है।

 

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