मर्डर, कैमिकल हमला और बम विस्फोट- चुनाव आते ही राजनीतिक हिंसा में धू-धू कर जल रहा है बंगाल

लोकतन्त्र की हत्या इसे कहते हैं

बंगाल विभाजन

आमतौर पर किसी भी लोकतान्त्रिक देश या राज्य में चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मी में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। हालांकि, बंगाल में चुनावों से पहले राजनीतिक अपराधों का ग्राफ़ सातवें आसमान पर जाता हुआ दिखाई दे रहा है। बंगाल से आए दिन हत्या, क्रूरता, बम विस्फोट और राजनीतिक हमलों की खबरें आना अब आम सी बात हो गयी है, यहाँ तक कि अब तो पुलिस पर ही राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर ज़्यादती करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। राज्य में बढ़ रही राजनीतिक हिंसा पर बंगाल सरकार एकदम चुप्पी साधे है और इस गंभीर मुद्दे को भी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की आग में झोंक दिया जा चुका है।

उदाहरण के लिए बीते बुधवार को ही जब बंगाल के बीरभूम जिले के पनरुई बाज़ार में BJP कार्यकर्ताओं ने एक रैली का आयोजन किया था, तब रैली में एक बम धमाका कर दिया गया, जिसमें कई BJP कार्यकर्ता घायल हो गए। BJP के अधिकारी शेख समद के अनुसार “जब पनरुई बाज़ार में BJP कार्यकर्ता इकट्ठा हुए, तो TMC के गुंडो ने हमारे ऊपर बम धमाके करना शुरू कर दिया। मेरे अलावा और भी कई कार्यकर्ता इस विस्फोट में घायल हो गए।” इसके अलावा BJP के ज़िला अध्यक्ष ने भी TMC और बंगाल पुलिस पर मिलीभगत होने के आरोप लगाए। BJP के आरोपों का सच तो एक निष्पक्ष जांच के बाद ही पता चल सकता है, लेकिन बंगाल में TMC कार्यकर्ताओं और अवैध बम उद्योग के संबंध से जुड़ी खबरें पहले भी देखने को मिल चुकी हैं।

Hindustan Times की एक रिपोर्ट के अनुसार इसी वर्ष अगस्त में बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के शमशेरगंज इलाके में बम बनाते समय हुए विस्फोट से एक TMC कार्यकर्ता की जान चली गयी थी। क्षेत्रीय पुलिस के मुताबिक TMC कार्यकर्ता कबीर पर पहले भी आपराधिक मामले दर्ज़ थे और वह पहले कई बार पुलिस द्वारा अरेस्ट किया जा चुका था। इस घटना के बाद TMC ने उससे किसी भी प्रकार के संबंध होने की बात से इंकार कर दिया था।

पिछले दिनों ही भाजपा युवा नेता तेजस्वी सूर्या ने राज्य में लोकतन्त्र को मृत घोषित करते हुए राज्य पुलिस पर मानवाधिकारों का उल्लंघन करने और प्रदर्शनकारियों पर कैमिकल हमले करने के आरोप भी लगाए थे। बीते गुरुवार को बंगाल के हावड़ा में जब BJP रैली में बम धमाके किए गए और पुलिस द्वारा BJP कार्यकर्ताओं पर ज़्यादती की गयी, तो तेजस्वी सूर्या ने बंगाल पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा था “पुलिस ने water cannon में डाले जाने वाली पानी में ज़हरीला नीला कैमिकल मिलाया हुआ था, जिसके कारण हमारे कार्यकर्ताओं को उल्टियाँ लग रही हैं। हम इसकी जांच की मांग करते हैं। ये राज्य के लोकतन्त्र के लिए “काला दिवस” है।” सूर्या ने यह भी कहा कि बंगाल पुलिस ने करीब 500 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है और पुलिस से झड़प के दौरान करीब 1000 कार्यकर्ता घायल भी हो गए हैं।

इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट्स इस बात की ओर भी इशारा कर रही हैं कि इसी रैली में बंगाल पुलिस ने एक सिख सुरक्षाकर्मी का बेहद क्रूरता के साथ अपमान किया और उसकी धार्मिक आज़ादी का हनन करते हुए उसकी पगड़ी को भी उतार दिया गया। बाद में पुलिस ने अपनी सफाई में कहा कि उस सिख व्यक्ति के पास एक पिस्टल थी, जिसे छीनने के दौरान ही उसकी पगड़ी “अपने आप” ही उसके सर से गिर गयी।

इससे पहले इसी महीने की शुरुआत में बंगाल के बैरकपुर में एक BJP नेता की हत्या भी कर दी गयी थी, जिसने पिछले साल ही TMC छोड़कर BJP जॉइन की थी। हैरानी की बात तो यह थी कि उसे कुछ गुंडों द्वारा तीतागढ़ पुलिस स्टेशन के ठीक सामने गोली मारी गयी थी। BJP ने उसके नेता की हत्या के पीछे TMC का हाथ बताया तो वहीं बंगाल पुलिस ने कहा कि मारे गए नेता पर भी हत्या के आरोप थे और ऐसे में इस मर्डर में निजी शत्रुता का एंगल भी हो सकता है।

स्पष्ट है कि बंगाल सरकार BJP के गंभीर आरोपों के बावजूद कोई संतोषजनक कार्रवाई करने में आनाकानी कर रही है। बंगाल सरकार के इस रुख के कारण देशभर में राज्य और राज्य पुलिस की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा है।

Exit mobile version