चीन चाहता है रूस क्वैड के खिलाफ हो, लेकिन पुतिन की योजना चीन के पक्ष में नहीं

QUAD

जैसे-जैसे QUAD एक औपचारिक सैन्य संगठन बनने की ओर अग्रसर होता जा रहा है वैसे-वैसे चीन की साँसे भी फूल रही है। चारो देशों यानि अमेरिका भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को पास आता देख अब चीन अब नए प्रोपोगेंडा को हवा दे रहा जिसका मकसद विश्व के अन्य देशों के साथ इन चारों देशों के संबंध को बिगाड़ना है। चीन ने इसके लिए सबसे पहले रूस को चुना है, अब वह पुतिन को भड़का कर QUAD के खिलाफ करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, जिस तरह से रूस चीन पर भड़का हुआ है कहीं चीन का यह कदम भी उस पर भी भारी न पड़ जाए।

दरअसल, जब से यह खबर आई है कि भारत ने मालाबार सैन्य अभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया को भी निमंत्रण दिया था और ऑस्ट्रेलिया ने उसे स्वीकार भी कर लिया है,  तब से चीन को दौरे पड़ रहे हैं और वह बौखलाया हुआ है।

ऑस्ट्रेलिया के मलाबार सैन्य अभ्यास में शामिल होने से अब इस सैन्य अभ्यास में QUAD के सभी देश हिस्सा ले रहे हैं जिससे इस ग्रुप के एक औपचारिक सैन्य संगठन बनने का रास्ता और स्पष्ट हो गया है। इसी पर चीन चिढ़ा हुआ है और उसे पता है कि अगर ये चारों देश एक सैन्य संगठन बना लेते हैं तो उसके लिए दक्षिण चीन सागर में गुंडागर्दी तो क्या सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। यही कारण है कि अब चीन ने QUAD को तोड़ने के लिए अन्य देशों को इस समूह के खिलाफ भड़काने का काम अपनी मीडिया द्वारा शुरू कर दिया है। सबसे पहले इसने भारत और रूस के रिश्तों को निशाना बनाया है।

CCP के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित करते हुए लिखा कि अगर वास्तव में ऑस्ट्रेलिया इस साल मालाबार नौसेना अभ्यास में भाग लेता है, तो इससे हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हिंद महासागर में सैन्य समूह के गठन से दूसरे देशों को जवाबी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करेगा। सैन्य टकराव की संभावनाएं भी तेज होंगी। इसके अलावा, चार देशों के करीबी रिश्ते नई दिल्ली और मास्को के बीच के संबंध को भी प्रभावित करेंगे।

ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा कि, “यदि भविष्य में ये चार देश हिंद महासागर क्षेत्र में संयुक्त रूप से गश्त लगाते हैं, तो भारत और रूस के बीच टकराव होना स्पष्ट हो जाएगा। आखिरकार, 2014 के बाद से भारत के 55 प्रतिशत से अधिक डिफेंस एक्सपोर्ट रूस से हुए हैं और वाशिंगटन के साथ इतनी नज़दीकियाँ मास्को को पसंद नहीं आएगी।”

आगे अपने प्रोपोगेंडे को बढ़ाते हुए ग्लोबल टाइम्स ने भारत के QUAD के अलग-अलग देशों के साथ संघर्ष के साथ ही ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ क्षेत्रीय हितों के मामले को भी लिखा है जिससे भारत के संबंध इन दोनों देशों के साथ बिगड़ जाएँ। हालांकि, अगर पिछले कुछ वर्षों में हुई घटनाओं का विश्लेषण किया जाए तो ये संघर्ष पहले ही “निपटाए” जा चुके हैं।

लेकिन अगर भारत और रूस के रिश्तों को देखा जाए तो यह शीत युद्ध को भी झेल चुका है और आज भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर रूस ही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत ने रूस को चीनी आयात पर पूरी तरह निर्भरता से बाहर निकालने में मदद की है और आगे भी कर सकता है।

वहीं, रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने लगातार चीन को झटके दिये हैं। जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा था तब रूस ने चीन की ओर से हस्तक्षेप न कर तटस्थ रहने का फैसला किया। इसके बाद सितंबर में भारत और रूस ने “मलक्का स्ट्रेट के करीब अंडमान द्वीप समूह में द्विवार्षिक नौसेना अभ्यास “इंद्र” में ग्यारहवें संस्करण की घोषणा की। यही नहीं अक्टूबर में, रूस ने भारत को S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए। इसके अलावा, रूस ने चीनी तकनीक की दिग्गज कंपनी हुवावे को झटका देते हुए अपनी 5 जी तकनीक विकसित करने का फैसला किया है।

सबसे चौंकाने वाली बात तो QUAD पर रूस का रुख है, जो चीन स्वीकार करने से इनकार कर रहा है। रूस ने इस समूह के गठन के खिलाफ कभी भी बात नहीं की है, हाँ,  यह उल्लेख जरुर किया है कि QUAD अधिक खुला और समावेशी होना चाहिए। ऐसे में हो सकता है कि भविष्य में वह स्वयं भी इस विशेष संगठन में शामिल होने की अपनी इच्छा को जाहिर करे।

यही नहीं अमेरिका और रूस के संबंधों में भी बदलाव आया है और राष्ट्रपति ट्रम्प ने रूस को नहीं, बल्कि चीन को सबसे बड़ा दुश्मन बताया है। अमेरिका यह समझता है कि मॉस्को को किनारे करने से वह अनावश्यक रूप से रूस को चीन की ओर धकेल देगा जिससे चीन और मजबूत होगा।

ऐसे में ग्लोबल टाइम्स को सपने देखना बंद कर देना चाहिए। विश्व की राजनीति के वर्तमान परिदृश्य में अब चीनी पावरप्ले का कोई स्थान नहीं है। अफ्रीका, श्रीलंका, इंडोनेशिया, फिलिपींस, मालदीव, सूडान में अपमानित होने के बाद अब चीन के अपने भी उसका साथ छोड़ चुके हैं। ऐसे में हो सकता है कि भविष्य में चीन की पहचान किसी अन्य “क्षेत्रीय देश” से अधिक नहीं बढ़ने वाली है।

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