पिछले 5 महीनों में LoC की तरह ही LAC भी एक “Hot Border” में तब्दील हो चुकी है। स्पष्ट हो गया है कि भारत के लिए पाकिस्तान नहीं, बल्कि चीन सबसे बड़ा खतरा है। यही कारण है कि अब भारत लद्दाख और तिब्बत सीमा पर सटे राज्यों में अपने infrastructural projects को fast track कर रहा है, और रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले साल के अंत तक लद्दाख में हमें भारतीय सेना के और अधिक military bases देखने को मिल सकते हैं। सुरक्षा विशेषज्ञ नितिन गोखले के मुताबिक लद्दाख में जिन प्रोजेक्ट्स को वर्ष 2025 तक पूरा किया जाना था, अब उन्हें अगले तीन साल के अंदर पूरा करने पर ज़ोर दिया जाएगा। साथ ही जिन military bases को वर्ष 2012-13 से बनाया जा रहा है, उन्हें अगले साल के अंत तक ही पूरा कर लिया जाएगा। बढ़ते चीन-भारत के तनाव ने भारतीय सरकार को लद्दाख में जारी इन सैन्य प्रोजेक्ट्स पर अधिक ध्यान देने के लिए बाध्य किया है, जो बीजिंग में चिंता बढ़ा सकता है!
बता दें कि अभी तक लद्दाख (लेह) को साल के 12 महीने सड़क मार्ग से देश के बाकी हिस्से से जोड़कर रखना ही सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। लेह तक जाने वाले दो ही मुख्य रास्ते थे। एक श्रीनगर-ज़ोजिला-कारगिल से होते हुए लेह तक और दूसरा मनाली-बारा लाचला से होते हुए लेह तक, और ये दोनों ही रास्ते सर्दी के वक्त बंद हो जाया करते थे। हालांकि, अब दरचा-पदम-निमु से होते हुए लेह तक का तीसरा नया रूट खोला गया है, जिसे इस वर्ष की सर्दियों में टेस्ट किए जाएगा कि यह रूट 12 महीने इस्तेमाल में लाये जाने के लायक है या नहीं! अटल टनल के खुलने के बाद मनाली और दरचा के बीच दूरी करीब 5 घंटे कम हो गयी है, जो चोटियों तक सामान को जल्द पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगा।
भारत के लिए ऐसा करना समय की ज़रूरत भी है क्योंकि चीन तिब्बत में एक के बाद एक सैन्य ठिकाना बनाए जा रहा है। ऊपर दिये ग्राफ से यह समझा जा सकता है कि वर्ष 2017 के डोकलाम विवाद के बाद चीन ने भारत बॉर्डर के आसपास military इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास को गंभीरता से आगे बढ़ाया है। वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में तो चीन ने बड़ी ही आक्रामकता के साथ अपने यहाँ military bases का निर्माण किया है। वर्ष 2020 में लद्दाख में जारी तनाव के बाद ही चीन की ओर से युद्ध स्तर पर 4 एयरबेस और 4 हेलिपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है।
लद्दाख में भारतीय सेना के पास जितने ज़्यादा military bases होंगे, चीन के लिए मुसीबतें उतनी ज़्यादा बढ़ेंगी। भारत सिर्फ ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि समुद्र में भी चीन को घेरने के लिए पूरी प्लानिंग कर चुका है। Andaman and Nicobar द्वीपों का तेजी से किए जा रहा सैन्यकरण और लगातार वैश्विक ताकतों के साथ किए जा रहे Logistics Pacts से स्पष्ट है कि भारत अब समुद्र से लेकर ज़मीन तक चीन को घेरने के लिए कमर कस चुका है और भविष्य में बॉर्डर पर चीन की किसी भी चालबाज़ी का तीव्रता से जवाब दिया जाएगा।