CCP की प्रचार एजेंसी Confucius Institutes अंततः अब होगी बंद, पूरी दुनिया के लिए है राहत की खबर

चीन पर कार्रवाइयों का दौर जारी है..

Confucius

कोरोना पर चीन के प्रोपोगेंडा मशीनरी को पूरी तरह से ध्वस्त करने के बाद अब विश्व भर में सॉफ्ट पावर के नाम पर CCP के प्रोपोगेंडे को फैलाने वाली Confucius संस्थानों को अब निशाने पर लिया जा रहा है। कई यूरोपीय देशों के बाद अब अमेरिका में भी इस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है। ट्रम्प प्रशासन के हमले के बाद अब चीन स्पष्ट रूप से इन संस्थानों के बचाव में उतर चुका है।

दरअसल, अमेरिकी प्रशासन ने पिछले हफ्ते अमेरिकी स्कूलों और कॉलेजों से आग्रह किया कि वे उन संस्थानों से अपने संबंधों पर पुनर्विचार करें, जो अमेरिका में चीनी भाषा के माध्यम से प्रोपोगेंडा फैलाकर अमेरिका में अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करते हैं।

विश्वविद्यालयों और राज्य शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में शिक्षा विभाग ने कहा कि यह संस्थान चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को अमेरिका की धरती पर एक पैर जमाने का मौका देता है।

अब अमेरिकी स्कूलों को इन चीनी संस्थानों की गतिविधियों की जांच करने और “अपने शैक्षिक वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए कार्रवाई करने” की सलाह दी जा रही है। 60 से अधिक अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने चीन के शिक्षा मंत्रालय के सहयोगी Confucius संस्थानों के साथ समझौता किया था।

चीन इन संस्थानों के ज़रिये शिक्षक और पाठ्यपुस्तक भी प्रदान करता है और अपने कार्यक्रम के ज़रिये लगभग 500 प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में चीनी भाषा की शिक्षा भी देता है।

बता दें कि चीन का यह संस्थान कन्फूसियस इंस्टिट्यूट, दुनिया भर के प्रमुख शिक्षण संस्थानों के साथ शैक्षणिक सहयोग को बढ़ाने और चीनी प्रोपोगेंडा फैलाने का काम करता है।

बात इतनी सीधी नहीं है, इस संस्थान को चीन का शिक्षा मंत्रालय ही फंड मुहैया कराता है और इसके माध्यम से चीन दूसरे देशों में अपने संस्कृति और अपनी भाषा का प्रचार करता है तथा इन शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों पर मनोवैज्ञानिक विजय हासिल करने की कोशिश करता है जिससे उस देश के शिक्षा क्षेत्र को प्रभावित कर, उसे चीन और CCP के प्रति अनुकूल बनाया जा सके और CCP को अपना प्रोपोगेंडा फैलाने में आसानी हो।

ये कुछ-कुछ ऐसा ही है जैसे इंग्लैंड अपने उपनिवेशों के साथ करता था। इसके माध्यम से चीन ने यूएस,यूके, ऑस्ट्रेलिया आदि प्रमुख देशों के बुद्धिजीवी वर्ग को अपने प्रोपोगेंडा का शिकार बनाया था। ऑस्ट्रेलिया ने इसी के खिलाफ सितम्बर 2019 में जाँच भी शुरू की थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चेतावनी जारी की थी।

हालांकि कनाडा,ऑस्ट्रेलिया तथा कई अन्य देशों ने भी अपने स्कूलों में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए चीनी शैक्षणिक विभागों और संस्थानों के साथ संबंधों समाप्त करने के लिए कदम उठाने का फैसला किया है।

नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्कॉलर्स द्वारा प्रकाशित लॉग के अनुसार, कम से कम 39 विश्वविद्यालयों ने 2019 की शुरुआत से कन्फ्यूशियस संस्थान के कार्यक्रमों को बंद करने की योजना की घोषणा की है।

वहीं भारत का शिक्षा मंत्रालय विभिन्न शिक्षण संस्थानों और Confucius Institute (कन्फुसियस इन्स्टिच्युट) के बीच हुए कुछ 54 समझौतों, MoU का भी पुनर्निरीक्षण करेगी।

गौरतलब है कि इन संस्थानों में JNU , BHU , कलकत्ता विश्वविद्यालय , मुंबई विश्वविद्यालय , लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी और IIT जैसे सबसे प्रतिष्ठित कॉलेज और विश्वविद्यालय शामिल हैं। इसमें सर्वाधिक 12 संस्थान JNU से संबन्धित  हैं।भारत के अंदर भी ये संस्थान काफी समय से खुफिया एजेंसियों के रडार पर हैं। वर्ष 2018 की Daily Pioneer  की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि बीजिंग खुफिया जानकारी जुटाने के लिए दुनिया भर में कन्फुसियस इन्स्टिच्युट का उपयोग कर रहा है

ऑस्ट्रेलिया में इस संस्थान पर वहां के विद्यार्थियों की जासूसी तक के आरोप लगे हैं।  अब अमेरिका से लेकर कई यूरोपीय देश जैसे डेनमार्क, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्रांस और स्वीडन ने इन Confucius Institute को बंद करने का निर्णय लिया है। स्वीडन ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए सभी को बंद कर दिया है, और इस साल जनवरी में, संयुक्त राज्य अमेरिका में मैरीलैंड विश्वविद्यालय ने भी उससे जुड़े एक कन्फ्यूशियस संस्थान को रद्द कर दिया था, जो शिक्षाविदों को प्रभावित करने के लिए धनराशि का उपयोग कर रहा था।

इसके अलावा, बीजिंग पर कन्फ्यूशियस स्कूलों के लिए शिक्षकों को काम पर रखने में भेदभावपूर्ण  प्रथाएँ अपनाने का भी आरोप है, और केवल उन ही लोगों को वहाँ पढ़ाने की अनुमति है जो  कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की पार्टी लाइन को मानते हैं।

पिछले साल सीनेट होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी की एक जांच शाखा ने रिपोर्ट में खुलासा किया था कि चीनी भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए Confucius संस्थानों की निगरानी करने वाला Hanban ने अमेरिका में सीधे 15.4 मिलियन डॉलर भेजे थे।

संयुक्त राज्य अमेरिका में चीनी प्रायोजित स्कूलों के लिए इस तरह की विशाल धनराशि यह स्पष्ट करती है कि ये संस्थान कैसे सीसीपी प्रचार का एक साधन हैं और बीजिंग की विदेश नीति के लिए अन्य देशों में समर्थन जुटाने का काम करते हैं और कैसे ये संस्थान तिब्बत हाँग-काँग और ताइवान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चीन की आधिकारिक नीतियों के लिए समर्थन जुटाते हैं।

अब ये सभी संस्थान बंद होने जा रहे हैं। सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि भारत सहित कई देश इस संस्थान को रडार पर ले चुके हैं।

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