जब डोनाल्ड ट्रम्प ने मेक्सिको के अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए ‘दीवार बनाओ’ का नारा दिया था, तब कई लोगों ने उनका उपहास उड़ाया था। लेकिन उनकी यही नीति अब कई देशों के काम आ रही है। ग्रीस ने तुर्की की घुसपैठ को ध्यान में रखते हुए एक अहम निर्णय में तुर्की के बॉर्डर पर एक विशाल दीवार के निर्माण का निर्णय लिया है, ताकि तुर्की की घुसपैठ कम से कम हो सके। लेकिन इस निर्णय के पीछे केवल ग्रीस ही नहीं, बल्कि एक सशक्त ईयू भी है, जो तुर्की को उसकी वास्तविक औकात दिखाना चाहता है।
ग्रीक सरकार के प्रवक्ता स्टेलियोस पेटसास के अनुसार सीमा पर स्थित 10 किलोमीटर के बाड़े को 26 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा, जिसके लिए 74 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी। इस परियोजना को अप्रैल 2021 तक खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
परंतु ग्रीस को तुर्की के विरुद्ध ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? दरअसल, ग्रीस को यह कदम तुर्की द्वारा उत्पन्न घुसपैठ संकट के कारण लेना पड़ा, जिसकी जड़ें फरवरी और मार्च के महीनों में दोनों देशों के बीच के बॉर्डर विवाद तक जाती है। कई हज़ार ‘शरणार्थी’ ग्रीस और बुल्गारिया में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे। ग्रीस के जन व्यवस्था मंत्री मिकेलिस क्रिसोहोल्डिस [Michalis Chrysoholdis] ने कहा, “ये लोग अपने आप तो आए नहीं है। इन्हे हमारे पड़ोसी तुर्की द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।”
तब से तुर्की के तानाशाह एर्दोगन पूरे यूरोप के सब्र का इम्तिहान ले रहे हैं। अंकारा ईयू से धन की उगाही के लिए 30 से 40 लाख लोगों का इस्तेमाल कर रहा है, ताकि अवैध घुसपैठ कराके वह क्षेत्र में अराजकता लाये और उन्हे नियंत्रण में रखने के एवज में तुर्की एक मोटी रकम वसूल सके। इसीलिए ईयू चाहकर भी तुर्की पर सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रहा था, क्योंकि उसे तुर्की द्वारा घुसपैठियों की बाढ़ का सामना करने का खतरा सता रहा था।
लेकिन अब पानी सर से ऊपर जा चुका है। पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की और ग्रीस के बीच की तनातनी ने न केवल ग्रीस, बल्कि यूरोपीय संघ की भी आँखें खोल दी है। ग्रीस द्वारा निर्माणाधीन बॉर्डर की ऊंचाई करीब 5 मीटर होगी, जिसके साथ एक सर्वेलांस कैमरा नेटवर्क भी लगा होगा, जो पूरे ग्रीस तुर्की बॉर्डर पर होंगे। इससे संबन्धित उपकरण की टेस्टिंग ग्रीक पुलिस ने शुरू भी कर दी है। पुलिस अफसर संघ के अध्यक्ष इलियस अकीडिस ने एपी से बातचीत में बताया, “हमने पाँच वर्षों से इसकी मांग की थी, और यह देख के अच्छा लग रहा है कि इसे पूरा किया जा रहा है।”
तुर्की की गुंडई के जवाब में ग्रीस ने अपने आप को और अधिक सशक्त किया है। उसे अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा अभी हाल ही में अमेरिका ने ग्रीस को 4 युद्धपोत देने का प्रस्ताव भी दिया है, ताकि तुर्की के विरुद्ध अपनी लड़ाई में ग्रीस को किसी प्रकार की कमी महसूस न हो। इनमें से 3 युद्धपोत का निर्माण ग्रीस में ही होगा।
ग्रीस ने जो अभियान चलाया है, उससे बुल्गारिया ने भी प्रेरणा ली है। वे तुर्की को यूरोप से दूर रखने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। ग्रीस और तुर्की के बीच में बनती दीवार इस बात की परिचायक है कि धीरे-धीरे पूरा यूरोप तुर्की से अपने नाते तोड़ने के लिए तैयार है। अब यूरोप वामपंथी विचारधारा के बजाए राष्ट्रवादी विचारधारा का दामन थामना चाहता है, जिसे अपना कर आज फ्रांस को सम्मान की दृष्टि से पूरी दुनिया में देखा जाने लगा है।
ग्रीस तुर्की की धमकियों से तंग आ चुका है, ऐसे में सीमा पर दीवार खड़ी कर वह ये संदेश दे रहा है कि अब तुर्की की दादागिरी और अधिक नहीं चलेगी। लेकिन इस निर्णय से अब यह भी संदेश जा रहा है कि ग्रीस तुर्की के विरुद्ध अपनी लड़ाई में अकेला नहीं है, अपितु अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, परंतु EU भी उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।