तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ ईसाई देश आर्मीनिया की मदद के अलावा इरान के पास कोई विकल्प नहीं

आर्मीनिया

आर्मीनिया-अज़रबैजान विवाद में लगातार क्षेत्रीय ताक़तें हिस्सा लेती जा रही हैं। पहले तुर्की, फिर रूस और अब लगता है ईरान भी इस विवाद में कूदने की पूरी तैयारी कर चुका है। आधिकारिक तौर पर ईरान ने दोनों ही पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है। हालांकि, विश्लेषकों का दावा है कि ईरान और रूस के बीच हुए सैन्य समझौते के तहत ईरान आर्मीनिया के समर्थन में अपनी आवाज़ उठा सकता है। इसके साथ ही ईरान यह भी नहीं चाहता कि दक्षिण Caucasus क्षेत्र में अज़रबैजान का प्रभाव बढ़े और वह तुर्की के साथ मिलकर यूरोप तक अपनी gas पहुंचा सके, क्योंकि इससे क्षेत्र में ईरान की मुसीबतें और ज़्यादा बढ़ जाएंगी। ऐसे में इस बात की संभावना बेहद ज़्यादा हैं कि वह रूस के साथ मिलकर अज़रबैजान का विरोध करने के लिए आर्मीनिया का साथ दे दे!

दक्षिण Caucasus क्षेत्र ईरान के लिए बेहद ही संवेदनशील इलाका है। ईरान के उत्तर में बड़ी संख्या में अज़रबैजानी मूल के लोग रहते हैं, जिनमें बड़ी तेजी से अलगाववाद की भावना भड़क रही है। यहाँ तक कि आर्मीनिया-अज़रबैजान विवाद में भी ये लोग अज़रबैजान का ही समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में ईरान को डर है कि अगर अज़रबैजान को इस विवाद में बढ़त हासिल हुई और इस क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़ा तो वह दिन दूर नहीं जब अज़रबैजान ईरान की संप्रभुता को खतरे में डालते हुए ईरान में ज़ोर-शोर से अलगाववाद की भावना को भड़काने की कोशिशों में जुट जाएगा। ऐसे में रूस दक्षिण Caucasus क्षेत्र में भू-राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए आसानी से तुर्की और अज़रबैजान को चुनौती देने के लिए ईरान कार्ड खेल सकता है।

वैसे भी पिछले कुछ सालों में आर्मीनिया और ईरान के आर्थिक सम्बन्धों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्ष 2007 में ईरान और आर्मीनिया के बीच एक gas pipeline की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद से दोनों देश एक दूसरे के करीब आए हैं। इसके अलावा आर्मीनिया-अज़रबैजान के विवाद के दौरान तुर्की और ईरान के बीच भी तनाव देखने को मिला है। तुर्की लगातार आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश कर रहा है। अगर तुर्की ऐसा करने में सफल होता है तो दक्षिण Caucasus क्षेत्र में ईरान को और बड़ी चुनौती मिलेगी, ऐसे में ईरान इस विवाद में आर्मीनिया का पक्ष लेकर उसका समर्थन जुटाने की कोशिश करेगा ताकि तुर्की किसी भी कीमत पर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराने की स्थिति में ना आ सके।

ऐसे में इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि अज़रबैजान-आर्मीनिया के विवाद में Armenia के समर्थन में ईरान और रूस एक साथ आ सकते हैं। रूस और ईरान का पहले ही सैन्य समझौता हो चुका है और ऐसे में रूस आसानी से ईरानी-आर्मीनिया बॉर्डर का इस्तेमाल कर अपने हथियार आर्मीनिया भेज सकता है। इसके आसार इसलिए बढ़ जाते हैं क्योंकि पहले भी ईरानी ज़मीन से रूस सीरिया में हमले लॉंच कर चुका है। रूस और आर्मीनिया के बीच कोई सीधा बॉर्डर नहीं है, और ऐसे में रूस ईरान के जरिये ही Armenia तक पहुँच सकता है, क्योंकि ईरान और रूस Caspian sea के जरिया आपस में जुड़े हुए हैं। साफ़ है कि इस विवाद में ईरान आर्मीनिया का पक्ष लेकर तुर्की के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

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