जापान के प्रधानमंत्री सुगा अब South China Sea के लिए नए नियम बना रहे हैं और चीन के पास इन्हें मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है

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सुगा

साउथ चाइना सी के क्षेत्र में अब जापान आए दिन कोई-न-कोई नया दांव चल रहा है जो चीन की मुश्किलें और बढ़ा रहा है। अब तक दोनों देशों के बीच सेनकाकू द्वीप को लेकर विवाद चल रहा था। जापान लगातार इस द्वीप के पास अपने जंगी जहाजों को तैनात कर रहा था लेकिन अब जापान ने रणनीतिक मोर्चे पर भी चीन के लिए नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं। जापानी पीएम सुगा ने साउथ चाइना सी पर पर्दे के पीछे से तथाकथित नीतियां बनाने वाले चीनियों के लिए एक नई शिकस्त का इंतजाम कर दिया है।

दरअसल, इंडोनेशिया की यात्रा के दौरान जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा, “जापान दक्षिण एशियाई देशों की समुद्री सुरक्षा और उससे जुड़ी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पूरी मदद करेगा।” सुगा का इशारा केवल और केवल चीन की तरफ था जो लगातार इस क्षेत्र में अपनी पैठ जमाने के लिए छोटे दक्षिण एशियाई देशों के समुद्री क्षेत्रों पर अपनी बुरी नजरें जमाए रहता है। इन देशों में वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और इन्डोनेशिया जैसे देश आते हैं। सुगा का ये बयान स्पष्ट कर रहा है कि जापान अब इस क्षेत्र में छोटे देशों के साथ मिलकर अपने अलग ही नियम बना रहा है और ये सारे नियम चीन के लिए एक तगड़ा झटका साबित होंगे।

चीन ने दक्षिण चीन सागर पर दावा ठोकते हुए छोटे बड़े कई कृत्रिम द्वीप बनाए और कब्जाए हैं। वो लगातार अब इस क्षेत्र में सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है। चीन इस क्षेत्र में मछली पकड़ने से लेकर सभी तरह के अधिकारों पर अपना दावा ठोकता है। चीन NINE DASH LINE वाले  “ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानूनों” को सिरे से खारिज करता है और इस क्षेत्र में हर द्वीप पर अपना बेहूदा दावा ठोकते हुए सभी तरह के अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ाता रहता है। इसको देखते हुए अब जापान ने दक्षिण एशियाई देशों से हाथ मिला लिया है जिससे इस क्षेत्र में चीन को सीमा लांघने से रोका जा सके।

सुगा ने अपने बयान में कहा, “इंडो पैसेफिक क्षेत्र में जापान को आसियान देशों से जोड़ने वाले परिवहन के क्षेत्र में हम सभी तरह के कानूनों का पालन करवाएंगे, जो कि क्षेत्रीय और समुद्री स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं। जापान दक्षिण चीन सागर में किसी भी तरह के तनाव को जन्म देने वाली कार्रवाई का पुरजोर विरोध करता है।” सुगा ने इसको लेकर कहा, “जापान दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ मिलकर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए सभी तरह के समझौते करेगा और इसके लिए प्रशिक्षण व उपकरणों के हस्तांतरण के साथ ही पुलिसिंग की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी सहायता प्रदान करेगा।”

सुगा का ये दौरा इस बात की ओर इशारा करता है कि सुरक्षा की दृष्टि से जापान इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ मिलकर चीन को घेरने के लिए कितनी प्रतिबद्धता से काम कर रहा है। जापानी पीएम ने वियतनाम और इंडोनेशिया दोनों ही जगहों में स्वतंत्र इंडो पैसेफिक क्षेत्र की धारणा को आगे बढ़ाने की बात कही है। सुगा ने कहा, “इस क्षेत्र में स्वतंत्रता और शांति पूरे विश्व की शांति के लिए काफी महत्वपूर्ण है।”

अपने इस बयान में जब उन्होंने स्वतंत्रता की बात की तो ये इशारा चीन की तरफ ही था जो इस क्षेत्र में लगातार आक्रमक रुख अख्तियार करता रहा है। दक्षिण एशियाई देशों के साथ नज़दीकियां बढ़ना इस ओर साफ इशारा करता है कि सेनकाकू द्वीप से लेकर दक्षिण चीन सागर में जापान और चीन के बीच तकरार तेजी से बढ़ रही है। जापान प्राकृतिक संसाधनों की सबसे ज्यादा कमी वाला समुद्री राष्ट्र है जिसके चलते इसके लिए साउथ चाइना सी आर्थिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

इसके अलावा दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों ही चीन के लिए महत्वपूर्ण और विवादित क्षेत्र हैं। ऐसे में चीन यदि दक्षिण चीन सागर में विस्तार करने में सक्षम हो जाता है तो पूर्वी चीन सीगर में भी वो जापान के लिए मुसीबत खड़ी करेगा। इसीलिए जापान इस क्षेत्र में चीन को रोकने की योजना बना रहा है और इसके लिए आसियान देशों की मदद ले रहा है। चीन के लिए विस्तारवाद की दृष्टि से यह एक बुरा समय है क्योंकि शी जिनपिंग के दुश्मन देशों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

सुगा ने साउथ चाइना सी में चीन के लिए दिक्कतें शुरु कर दी हैं क्योंकि इस क्षेत्र में चीन के दुश्मन देश जापान समेत क्वाड के साथ अपनी नज़दीकियां बढ़ा रहे हैं। वहीं इस मामले में तो जापान ने अपने अलग ही पैमाना बना रहा है और अब उसका आक्रामक रुख ही चीन को परेशान करने के लिए काफी है।

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