रोचकता के मामले में बिहार का चुनाव दुनिया भर के अन्य देशों में होने वाले चुनावों पर कई गुना भारी पड़ता है। रोज नए ड्रामे और नई कहानी सामने आती रहती है। अब खबर यह आ रही है कि BJP और LJP के अदृश्य गठबंधन को देख कर JDU अब सावधान हो चुकी है और LJP को NDA से बाहर करने के लिए एक नई चाल चली है। नीतीश कुमार ने अब BJP पर LJP को केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई बिहार से राज्यसभा सीट न देने और केंद्रीय मंत्रीमंडल में भी स्थान न देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
दरअसल, हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार JDU भाजपा पर अब LJP से तनिक भी संबंध न रखने का दबाव बढ़ा रही है। जब BJP और JDU के बीच 50-50 सीट शेयरिंग फॉर्मूला को लेकर निर्णय हुआ है तब LJP ने NDA से बाहर हो कर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। LJP के इस गठबंधन से बाहर होने का एक ही मकसद था और वह JDU को किसी भी तरह हराना था।
इसके बाद LJP ने JDU के खिलाफ ही सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया और यही नहीं BJP के कई जिताऊ उम्मीदवार भी BJP छोड़ LJP में JDU को हराने के इरादे से चले गए। अगर वो BJP में रहते तो उनका JDU के खिलाफ उतरना नामुमकिन हो जाता क्योंकि इन दिग्गज नेताओं की विधानसभा सीट JDU के कोटे की थी, लेकिन LJP में शामिल होने के बाद उन्हें नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा।
कोरोना के समय से ही चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ जो मोर्चा खोला है वह चुनावों में भी उसी तीव्रता से हमले कर रहे हैं। इसके बाद भी चिराग पासवान के तेवर नरम नहीं पड़े हैं और वह खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बता चुके हैं।
हालांकि, कई दिनों से BJP ओर LJP के इस अदृश्य गठबंधन को नीतीश नहीं समझ सके थे। अब ऐसा लग रहा है कि उन्हें भाजपा और चिराग पासवान की उन्हें सीएम पद से बाहर करने की रणनीति समझ में आ गयी है तभी वो BJP और LJP के बीच विवाद पैदा करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसी क्रम में वह भाजपा पर लोजपा से केंद्र में भी संबंध तोड़ने का दबाव बढ़ा रही है। रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट को लेकर भी जेडीयू का कहना है कि अब वह लोजपा को नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं जेडीयू यह भी चाहती है कि रामविलास पासवान की जगह उनके बेटे चिराग पासवान को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न किया जाए। ऐसा होने पर लोजपा का NDA से पूरी तरह बाहर होना तय हो जाएगा। यानि नीतीश कुमार चिराग पासवान की पार्टी को NDA से एक भी राज्य सभा सीट न दिलवाने का दबाव बना कर एक दरार पैदा करना चाहते हैं, जिससे ये दोनों पार्टियां उन्हें सत्ता से बेदखल कर सरकार न बना लें।
हालांकि, BJP नीतीश कुमार की इस मांग पर अभी तो कुछ नहीं बोल रही है, लेकिन इसकी पूरी उम्मीद है कि उनकी मांगों का BJP पर कोई असर नहीं होने वाला है क्योंकि भाजपा का JDU से गठबंधन सिर्फ और सिर्फ बिहार में है। केंद्र में BJP अपने मनमुताबिक ही काम करेगी क्योंकि JDU केंद्र की NDA सरकार में शामिल नहीं है। यही नहीं कई ऐसे मौके आए जब नीतीश कुमार ने अहम बिलों पर NDA सरकार के पक्ष में वोट नहीं दिया है।
नीतीश कुमार की यह योजना कई दिनों की देरी से आई है जब सभी पत्ते उनके हाथ से निकल चुके हैं। अब इस देरी का नुकसान उन्हें अपनी कई सीटों को गंवा कर चुकाना पड़ सकता है। अगर LJP अपने और BJP से आए उम्मीदवारों के दम पर 30-50 के बीच सीटों पर भी JDU के खिलाफ जीत हासिल कर लेती है तो वह सरकार बनाने में निर्णायक साबित हो जाएगा। इसके बाद नीतीश कुमार को CM पद से हटाना आसान हो जाएगा। यही नहीं BJP को LJP के साथ मिल कर सरकार बनाने और अपना मुख्यमंत्री बनाने का मौका भी मिल जाएगा।