लव जिहाद शब्द सुनने में अजीब लगता है कि प्रेम में भी जिहाद कैसे हो सकता है… लेकिन असल में ये हो रहा है। देश के किसी न किसी कोने से रोजाना लव जिहाद से जुड़े अपराधों की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसको लेकर कुछ राज्यों की सरकारों ने कदम भी उठाए हैं लेकिन उनका भी विरोध हुआ है क्योंकि इसको दक्षिणपंथ के एजेंडे के रूप में देखा जाता है जिसके चलते इस मुद्दे पर कोई खास चर्चा भी नहीं होती है। अगर इस मुद्दे का कोई सार्थक हल ढूंढना है तो इसको लेकर मुख्य धारा में चर्चा करनी ही होगी जिसकी पहल अब राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल से बातचीत कर की है।
रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करते हुए, लव जिहाद के बढ़ते मामलों का मुद्दा उठाया। उन्होंने इस दौरान महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में लव जिहाद के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। इस मुद्दे पर राज्यपाल से बोलकर रेखा ने एक तरह से इसे अब मुख्यधारा में चर्चा का विषय बना दिया है। लव जिहाद को लेकर हमेशा ये ही कहा जाता था कि देश में ये दक्षिणपंथी विचारधारा द्वारा तैयार किया गया एक एजेंडा है।
तथाकथित जानकारों के ज्ञान के इतर लव जिहाद की एक परिभाषा है। विकिपीडिया के अनुसार “लव जिहाद, कथित रूप से मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर–मुस्लिम समुदायों से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए लक्षित करके प्रेम का ढोंग रचना है।” लव जिहाद से जुड़े मामलों के अपराध की बात करें तो महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केरल, असम, बंगाल, बिहार और राजधानी दिल्ली तक में ये मामले सामने आए हैं। इनकी संख्या अब बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसकी शिकार महिलाओं के साथ अमानवीय कृत्यों की सारी पराकाष्ठाएं पार की जाती हैं।
लव जिहाद के इन मामलों में केरल का हदिया वाला केस बेहद चर्चित रहा है जिसके पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी को लव जिहाद के जरिए एक मुस्लिम शख्स ने फंसाया है। जिसका धर्म बदलवाकर उसे इस्लाम कबूल करवाया गया और फिर शादी की गई। इस मुद्दे में एएनआई की रिपोर्ट ने इन आरोपों की पुष्टि की थी। इस मामले में पीएफआई का भी एंगल था जो लगातार लव जिहाद का प्रसार कर रहा है। इस केस को लेकर उसके पिता ने भी कहा कि पीएफआई ने अखिला (हदिया का हिंदू नाम)को हदिया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
लव जिहाद के मामलों में पीएफआई का नाम जरूर आता है। केरल में तो इसे लेकर बकायदा अभियान भी चल रहे हैं जिस पर कार्रवाई करने वाला कोई भी नहीं है। कानपुर से लेकर बरेली तक और असम से लेकर बंगाल तक जहां-जहां से ये मामले आ रहे हैं वहां से एक नाम हमेशा निकल कर आता है वो पीएफआई का है जो कि बेहद ही आश्चर्यजनक है। पीएफआई का नाम जिस तरह से आजकल हर एक दंगे में आता है ठीक इसी तरह वो लव जिहाद के मामलों की भी वो मुख्य प्रणेता बनता जा रहा है।
लव जिहाद को लेकर देश में कई राज्य सरकारों ने अब फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने तो साफ ऐलान कर दिया है कि वो अगर इस बार फिर सत्ता में आए तो वो लव जिहाद के लिए राज्य में मृत्युदंड का प्रावधान करेंगे। यह अपने आप में एक बेहद ही सकारात्मक कदम हो सकता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पहले ही ये कह चुके हैं कि राज्य में लव जिहाद के मामलों को अधिक गंभीरता से लिया जाए । गौरतलब है केरल, यूपी और असम में इस तरह के लव जिहाद के मामले सबसे ज्यादा है जो कि सरकारों के लिए चिंता का विषय है जिसके बाद इस तरह के फैसले बेहद जरूरी माने जाने लगे हैं।
ऐसे वक्त में जब देश में लव जिहाद के मामले में बढ़ रहे हैं और एक धड़ा इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है तो राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष इस मुद्दे पर देश के दूसरे सबसे बड़े सूबे के राज्यपाल से बात करें, तो यह अपने आप में ही महत्वपूर्ण हो जाता है । इससे ये साबित होता है कि देश में अब इस मुद्दे पर मुख्यधारा में भी चर्चा शुरु हो गई है जो कि सकारात्मक है। इससे न केवल देश में इस तरह के घिनौने अपराध करने वालों और उनका साथ देने वालों की पोल खुलेगी बल्कि इस अपराध के कारण प्रताड़ित हो रही महिलाओं की आवाजों को भी बल मिलेगा।