पाकिस्तान में मरियम नवाज की बढ़ती लोकप्रियता इमरान खान सरकार और सर्वेसर्वा पाकिस्तानी सेना को हजम नहीं हो रही है। पूरे विपक्ष को एकजुट कर पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की कोशिश में लगी मरियम नवाज से अब सरकार और सेना दोनों को डर लगने लगा है और लगे भी क्यों ना, जब भी पाकिस्तान में किसी महिला नेता का उत्थान हुआ है तब पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ आया है।
फातिमा जिन्ना के अयूब खान की तानाशाही शासन के खिलाफ लड़ाई से लेकर, बेनजीर भुट्टो के जियाउल हक के खिलाफ मजबूती से खड़े होने तक, यह पाकिस्तानी महिलाएं रही हैं जो सत्तावाद के प्रतिरोध का सबसे बड़ा प्रतीक रही हैं। अब मरियम नवाज भी इन्हीं नेताओं जैसी प्रतिबद्धता दिखा रही हैं।
मरियम शुरू में परिवार के परोपकारी संगठनों में शामिल थी। हालांकि, 2012 में, उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और 2013 के आम चुनाव के दौरान उन्हें चुनाव प्रचार का प्रभारी बनाया गया। उसके बाद से उनकी राह आसान नहीं रही है। पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद उनकी गिरफ्तारी भी हुई और पाकिस्तान की सरकार ने उनकी आवाज दबाने की कई कोशिशें की। परन्तु मरियम हर बार और मजबूत नेता बनकर उभरीं।
मार्च 2017 में, उन्हें बीबीसी की 100 प्रमुख महिलाओं में से एक के रूप में चुना गया था। वहीं दिसंबर 2017 में, उन्हें वर्ष 2017 के लिए द न्यू यॉर्क टाइम्स की 11 शक्तिशाली महिलाओं की दुनिया भर की सूची में शामिल किया गया था।
अब मरियम नवाज ने सीधे तौर पर सेना और इमरान खान की कठपुतली सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर जनरल बाजवा के मंसूबों पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, पाकिस्तान में एक महिला के लिए इस तरह से सेना और सरकार से सवाल करना आसान नहीं था और इसके लिए उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी और आज उनकी लोकप्रियता आसमान छू रही है।
For the first time in the history of Pakistan, a Punjabi woman is challenging the establishment with lots of maturity and substance: #MaryamNawaz pic.twitter.com/WRJeshJTR9
— Aima Khan (@aima_kh) September 28, 2020
हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रासंगिक बयान देते हुए मरियम नवाज ने कहा था कि अलोकतांत्रिक ताकतों का विरोध करना आसान नहीं है। यह किसी और पर नहीं बल्कि सेना के ऊपर दिया गया बयान था।उन्होंने स्पष्ट बताया था कि पत्रकारों, न्यायाधीशों, राजनेताओं सभी को भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए लालच दिया जा रहा है ।
मरियम नवाज इन दिनों पाकिस्तान की राजनीति में प्रमुख चेहरा बनकर उभरी हैं। उनके नए प्रवक्ता भी इमरान सरकार के खिलाफ मुखर हैं। पाकिस्तान में फौज पर सवाल खड़े करना लगभग नामुमकिन माना जाता है। लेकिन, अब पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज सेना की सियासत में दखलंदाजी का विरोध कर रहे हैं।
इन लोगों के निशाने पर प्रधानमंत्री इमरान खान से ज्यादा आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा हैं। पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में इमरान खान और सेना के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से तत्काल हटाने की मांग की गई है, इस विरोध में भी मरियम नवाज शरीफ सबसे प्रखर रहीं हैं। बता दें कि मरियम नवाज शरीफ को पाकिस्तान में लोकतंत्र के मुखर समर्थक के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने देश के सैन्य प्रतिष्ठान के खिलाफ एक आक्रामक अभियान चलाया है, खासकर तब जब मौजूदा सरकार सेना और ISI के साथ मिलकर वर्ष 2018 से ही उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ प्रतिशोध का खेल खेला है।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने अवैध रूप से कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान की विधानसभा के लिए होने वाले चुनावों को 15 नवंबर को कराने की मंजूरी दे दी। यह प्रस्ताव किसी और का नहीं बल्कि सेना का था जिसने अवैध रूप से कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव के लिए हामी भरी थी। इस पर मरियम नवाज शरीफ ने बिना किसी डर के पाकिस्तानी सेना पर हमला बोला और कहा कि, “बैठक को गिलगित बाल्टिस्तान मुद्दे पर बुलाया गया था। गिलगित बाल्टिस्तान एक राजनीतिक मुद्दा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिससे सरकार के प्रतिनिधियों को निपटना है। ऐसे फैसले संसद में लेने होते हैं न कि GHQ में। मुझे नहीं पता कि नवाज शरीफ इस बैठक के बारे में जानते थे या नहीं। सेना को ऐसे मुद्दे के लिए राजनीतिक नेताओं को नहीं बुलाना चाहिए और न ही राजनीतिक नेताओं को जाना चाहिए था। जो इस पर चर्चा करना चाहता है वह संसद में आ सकते हैं।”
मरियम नवाज शरीफ का बोल बाला इस तरह से बढ़ रहा कि इमरान खान डरने लगे हैं। वे इमरान जहां के करीबी और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के चेयरमैन है, उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रही हैं।
बलूचिस्तान का मुद्दा हो या पाकिस्तान के विकास की बात हो मरियम इन दिनों फुल एक्शन में है। पाकिस्तान के चीन समर्थक रुख को भी आड़े हाथों लेती हैं, उदाहरण के लिए देखा जाए तो लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा प्रमुख है।।
आम जनता के बीच उनकी लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है खासकर वो लोग जो वास्तव में पाकिस्तान का विकास चाहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान की आर्मी, सरकार और आतंक फैलाने वालों को मरियम की उपस्थिति डरा रही है। विश्लेषक मरियम को देश की “नई बेनजीर भुट्टो” कह रहे हैं, लेकिन यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या मरियम इस छवि को बरकरार रख पाएगी? उनकी लोकप्रियता या पाकिस्तान की जनता से समर्थन प्रश्न में नहीं है। यदि वह राष्ट्रीय मंच पर एक नेता के रूप में उभरना चाहती हैं, तो उन्हें स्वयं भी भ्रष्टाचार से दूर रहना होगा। यही कारण है कि मरियम को अब देशद्रोही के आरोप में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है।
रूढ़िवादी होने के बावजूद पाकिस्तान की राजनीति में महिला नेता उभरती रही हैं। आजादी के बाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की पत्नी, राना लियाकत अली खान और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना ने देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई, वहीं बेनज़ीर भुट्टो को तो सभी जानते हैं। इन सब के बाद अब नया चेहरा मरियम शरीफ का है, जो पाकिस्तान के पुरुषों के दबदबे वाले राजनीतिक मैदान में मुकाबले के लिए खड़ी हुई हैं। वह पाकिस्तान में कितना परिवर्तन ला पाती हैं यह देखने वाली बात होगी परन्तु उनकी आसमान छूती लोकप्रियता पाकिस्तानी सेना और इमरान खान के लिए चिंता का सबब जरूर बनने वाला है।