भारत तिब्बत सीमा के पास एक खूबसूरत पर्यटन स्थल बनाने के लिए तैयार है

चीन की हवा टाइट करने के लिए एक और शानदार योजना

अरुणाचल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर भारतीय सेना तिब्बत सीमा के पास एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के निर्माण की योजान बना रही है। इस एक कदम से भारत एक साथ दो काम करेगा। एक तो 108 जल समूहों के Chumi Gyatse Falls, नामक पवित्र माने जाने वाले जल प्रपात के आस पास के बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी तो साथ ही इस कदम से चीन पर भारतीय सेना आसानी से नजर रख सकेगी। इस क्षेत्र के लिए ये भी कहा जाता है कि ये दोनों ही इलाकों के लिए पवित्र स्थान है क्योंकि Chumi Gyatse तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए एक पवित्र क्षेत्र है। ऐसे में भारत-तिब्बत सीमा पर विकास कार्यों के लिए ये मामला काफी अहम माना जा रहा है।

मोनपा अरुणाचल प्रदेश की एक बड़ी जनजाति है। ऐसे में वहां बना मठ काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। राज्य सरकार यहां पर विकास कार्यों को आगे बढ़ा रही है, वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तक किए गये सड़कों का निर्माण इसका उदाहरण है। ये सड़के Chumi Gyatse जल प्रपात तक जाती हैं जहां देश का आखिरी गांव Tsechu पड़ता है। ये तवांग से करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर है। इस तरह की परियोजनाओं को लेकर एक स्थानीय निवासी ने प्रिंट के पत्रकारों को बताया कि पहले इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को लेकर काफी दिक्कतें थीं लेकिन अब ये बेहद सहज और सरल हो गया है। इसके जरिए सीमावर्ती क्षेत्रों में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटनों को बढ़ावा मिलेगा जिससे लोग धार्मिक क्षेत्रों की यात्रा करने में सफल होंगे।

इसके अलावा इस क्षेत्र का एलएसी के लिहाज से महत्व काफी बढ़ जाता है जिसके चलते ये कहा जाता है कि McMohan लाइन के पास के यांगत्से (Yangtse) के इस क्षेत्र में भारत-चीन के बीच विवाद की स्थिति है। चीन भी इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी निगाह रखे हुए है जिसके चलते उसने इस इलाके में कैमरे से लेकर स्क्रीनिंग तक की योजना बना रखी है। इसके जरिए चीन भारत की हरकतों पर नजर रखता है। अरुणाचल की पेमा खांडू सरकार लगातार इस क्षेत्र में विकास परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रही है। इसका उदाहरण पवित्र जल प्रपात के पास गुरु पद्मसंभव की प्रतिमा का अनावरण भी है।

इस क्षेत्र में लगातार विकास कार्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि सरकार सांस्कृतिक एकीकरण को काफी महत्व दे रही है। आस पास के जिलों से लोग इस जल प्रपात को देखने आते हैं। इसके चलते सरकार द्वारा उठाया गया कदम पर्यटन के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। धर्म से जुड़े मामले को देखत हुए भारत ने हाल ही में चीन के साथ भी चर्चा करते हुए ये प्रस्ताव दिया था कि इस क्षेत्र में उन लोगों को आने की इजाज़त दी जा सकती है जो इस पवित्र जगह पर अपनी आस्था रखते हैं। हालांकि, चीन ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

चीन द्वारा इस बेहद पवित्र जगह पर भी ध्यान न देना और इस मसले पर भारत के प्रस्ताव को स्वीकार न करना ये बताता है कि तिब्बत में चीन ने धार्मिक लोगों के अधिकार कितने अधिक सीमित कर दिए गए हैं। इसी कारण अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों का रुख चीन के खिलाफ ही रहता है।

मोदी सरकार ये बात अच्छे से समझ रही है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की क्या जरूरतें हैं और किस तरह से ये देश के लिए महत्वपूर्ण है। इसी के चलते भारत सरकार इन क्षेत्रों में लगातार विकास कर रही है। साथ ही इन क्षेत्रों के लोगों की जरूरतों के अनुसार ही विकास कार्यों को भी विशेष महत्व दे रही है। भारत इन क्षेत्रों में लगातार धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर विकास कार्यों की नीति अपना रहा है, जो कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा के बिल्कुल ही खिलाफ है। इसके जरिये वो इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दिल में भारत के प्रति सकारात्मकता और चीनी सरकार के खिलाफ अपने क्षेत्र आधार भूत ढांचे को मजबूत कर रही है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक सरकार लगातार सेना को मजबूत करने के साथ ही क्षेत्रीय लोगों के जीवन को सहज और सरल बनाने पर काम कर रही है।

पवित्र झरनों का विकास और तवांग क्षेत्र में लगातार मजबूत होती कनेक्टिविटी लोगों के लिए फायदेमंद होने के साथ ही भारत सरकार को भी सुरक्षा की दृष्टि से लाभ देगी।  इसके साथ ही भारतीय जमीन पर बेतुके दावे करने वाले चीन को भारत सरकार एक तगड़ा झटका देगी।

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