पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल अब अपने चरम पर है। एक तरफ सेना अपनी ताकत को खोना नहीं चाहती तो दूसरी ओर, 11 विपक्षी दलों वाले गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) इस बार के आंदोलन से पीछे हटने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा। सिंध प्रांत में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के दामाद कैप्टन सफदर की गिरफ्तारी के बाद सेना और सिंध पुलिस के बीच तनातनी एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है, उससे वहां गृह युद्ध के आसार बन चुके हैं। ऐसे में माहौल को देखते हुए अगर जनरल बाजवा जनता के बीच अपनी इज्ज़त और सेना की पकड़ बनाए रखने के लिए इमरान खान को सत्ता से हटाकर नवाज़ शरीफ़ को एक बार फिर से पाकिस्तान का पीएम बनाते हैं, तो नवाज़ शरीफ़ के नेतृत्व वाली सरकार में सेना का हस्तक्षेप कम होना तय है।
दरअसल, पाकिस्तान के गुजरांवाला और कराची में दो बड़ी रैलियों के बाद, 11-पक्षीय विपक्षी गठबंधन पीडीएम (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) ने पाकिस्तान में एक ऐसा आंदोलन खड़ा कर दिया है जिसके बाद सेना और उच्च पदों पर बैठे जनरलों के बीच डर पैदा हो गया है। रैलियों में प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को सेना की कठपुतली सरकार बताते हुए सभी विपक्षी दल इमरान खान को न सिर्फ निशाने पर ले रहे हैं, बल्कि सेना के खिलाफ खुलकर सामने आ गये हैं, जो पहले पाकिस्तान में संभव नहीं था। यह पाकिस्तान में पहली बार ही हो रहा है कि वरिष्ठ जनरलों को खुलेआम निशाने पर लिया जा रहा है।
गौरतलब है कि सेना का देश के राजनीतिक मामलों में काफी नियंत्रण रहा है, लेकिन सैन्य प्रतिष्ठान की कभी भी ऐसे आलोचना नहीं की गई जैसे अब हो रही है। अब विपक्षी राजनेताओं, विशेषकर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ सेना के खिलाफ जनता में रोष भर चुके हैं।
मामला तब और भी सेना के लिए घातक हो गया जब सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने अपने हाथ से नियंत्रण फिसलता देख पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के दामाद और मरियम नवाज के पति कैप्टन सफदर की गिरफ्तारी करवा दी। इसके बाद सिंध प्रांत की पुलिस के प्रमुख अधिकारी और सामान्य पदों के पुलिस जवान एक तरह से पाकिस्तानी सेना के बढ़ते हस्तक्षेप के खिलाफ ‘विद्रोह’ कर छुट्टी के आवेदन करने लगे।
तीन अतिरिक्त आईजी, 25 डीआईजी, 30 SSP और दर्जनों SP, DSP और SHO ने छुट्टी का आवेदन करते हुए कहा था कि ऐसे डर के माहौल में उनका अपनी जिम्मेदारियों को निभाना मुश्किल है। हालांकि, बाद में सिंध पुलिस ने बाजवा के आश्वासन के बाद छुट्टी पर जाने के फैसले को बदल दिया था।
नवाज़ शरीफ़ ने इसके बाद ट्वीट कर सेना की आलोचना करते हुए लोकतंत्र का गला घोटने का आरोप लगाया।
Karachi events endorse our narrative “State above the State”;
You ridiculed mandate of provincial govt;
Trampled on sanctity of family privacy;
Abducted senior police officers to extort orders;
Defamed our Armed Forces;
Addl IGP’s letter proves that you subverted the Constitution pic.twitter.com/NWZ6RAGDRl— Nawaz Sharif (@NawazSharifMNS) October 20, 2020
विपक्ष और मीडिया के चौतरफा दबाव के बाद सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद की गिरफ्तारी की जांच के आदेश दिए। इसके बाद सिंध पुलिस ने जनरल बाजवा को धन्यवाद दिया कि उन्होंने बल के कर्मियों की आहत भावना को महसूस किया और तुरंत मामले की जांच का आदेश दिया। ऐसा करना आवश्यक भी था, क्योंकि अगर पूरा तंत्र ही सेना के खिलाफ हो जाता तो पाकिस्तानी सेना का जीना मुहाल हो जाएगा। पूरा देश गृह युद्ध की स्थिति में चला जाएगा यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना की मज़बूरी हो गयी है कि वो कोई बड़ा कदम उठाये।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि जिस तरह से देश से बाहर रहते हुए नवाज शरीफ ने पाकिस्तानी सेना और इमरान खान की नाक में दम कर रखा है उससे अब सेना अपने आप को बचाने के लिए इमरान खान सरकार का तख्तापलट कर नवाज़ शरीफ़ को पीएम बना सकती है। अगर ऐसा होता है तो सेना का पाकिस्तान की राजनीति में हस्तक्षेप कम होना तय है क्योंकि नवाज शरीफ सेना के हस्तक्षेप के खिलाफ रहे हैं और यही वजह है कि नवाज जब सत्ता में थे तब वो पाकिस्तानी सेना को खटकते थे।
वैसे भी इमरान खान को सत्ता से हटाना अन्य विकल्पों में अधिक आसान है। सामान्य तौर पर जब भी विवाद होता है तब राजनीति से आये नताओं को निशाने पर लिया जाता है, लेकिन इस बार विपक्ष के हमले सीधे सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा और उनके खुफिया प्रमुख पर है जिससे सेना की छवि और धूमिल हो रही है। बाजवा सेना का सम्मान बचाने के लिए इमरान खान को बलि का बकरा बना सकते हैं, और हो सकता है कि नवाज शरीफ और विपक्षी दलों के दबाव के कारण सेना पाकिस्तान की राजनीति में अपनी दखलअंदाजी कम करने पर मजबूर हो जाये।