बिहार चुनावों की सरगर्मी अब अपने चरम पर पहुँच चुकी है, सभी पार्टियां अपने अपने चुनाव प्रचार में लग चुकी हैं। एक तरफ BJP और JDU मुक़ाबले के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं, तो वहीं RJD और कांग्रेस अभी अपने रंग में नहीं दिखाई दे रहे हैं परंतु लोजपा ने नीतीश कुमार को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब ऐसा लग रहा है कि BJP ने पिछले कई वर्षों से बिहार के लिए तैयार कर रहे नेतृत्व के रूप में नित्यानन्द राय को खुली छूट दे दी है। इसी का नमूना चुनाव प्रचार के दौरान देखने को मिल रहा है जिसमें वे एक प्रभावी नेतृत्वकर्ता और एक नेता के रूप में भाषण दे रहे हैं। पिछले दिनों एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि ‘बिहार में अगर राजद की सरकार बनती है तो कश्मीर में जिस आतंकवाद का हम सफाया कर रहे हैं, वो आकर यहां बिहार की धरती पर पनाह लेगा।’ इस बयान के बाद विपक्षी पार्टियों में हँगामा मच गया और सभी का ध्यान उनकी ओर आ गया।
बिहार में जिस तरह से नित्यानन्द राय का प्रमोशन हुआ था और अमित शाह ने उन्हें गृह मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया था उससे यह आसानी से समझा जा सकता है कि यह अमित शाह के दीर्घकालिक प्लान के हिस्सा हैं जो आनेवाले वर्षों में बिहार का नेतृत्व करने जा रहे हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार के समस्तीपुर जिले के उजियारपुर निर्वाचन क्षेत्र के लिए प्रचार करने आए तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा प्रत्याशी नित्यानंद राय को NDA और उनकी जीत के बाद महत्वपूर्ण “पद” देने का वादा किया था।
शाह ने अपनी बात रखी और राय को केंद्रीय गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया। वर्ष 2010 तक सिर्फ एक भाजपा विधायक से, राय पिछले साल अमित शाह के आधिकारिक डिप्टी बने। अमित शाह की यह चाल राजनीतिक पंडितों को समझ ही नहीं आई।
जब से नित्यानंद राय को केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री बनाया गया है तब से वे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दे रहे हैं। इन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर कई बिल, संशोधनों को पारित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
नित्यानंद राय को बिहार बीजेपी की कमान साल 2016 में सौंपी गई थी। उन्होंने बिहार में बीजेपी को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई। 54 साल के नित्यानंद राय, बीजेपी के यादव चेहरे और मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए प्रमुख दावेदार के रूप में उभर चुके हैं जो न सिर्फ नीतीश के वर्चस्व में सेंध लगाएगा बल्कि बिहार के यादवों का वोट भी लालू प्रसाद के राजद से BJP में लाएगा।
अब तक राय ने जो भी चुनाव जीता है ,वह सभी लालू के प्रभावक्षेत्र के थे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि राय लालू के वोट बैंक में सेंध लगाने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि वह अमित शाह के स्कीम में पहले से फिट थे, जब वर्ष 2016 में, शाह ने उन्हें बिहार BJP का प्रमुख बनाया था। यह पहली बार पार्टी ने राधा मोहन सिंह, डॉ सी पी ठाकुर और मंगल पांडे जैसे सवर्ण नेताओं के शीर्ष पर लगातार रहने के बाद एक ओबीसी नेता को चुना था। तभी यह अंदाजा लगाया जाना चाहिए था कि वे एक दिन बिहार का चेहरा बनने जा रहे हैं।
बिहार भाजपा में सुशील कुमार मोदी, प्रेम कुमार, अश्विनी कुमार चौबे, नंदकिशोर यादव और गिरिराज सिंह जैसे नेताओं के बीच अपनी स्थिति की पुष्टि करने के बाद, राय अब बिहार में दूसरी पीढ़ी के नेताओं के बीच सबसे प्रमुख चेहरा हैं। यही कारण है कि इस बार के चुनाव में उन्हें पिछले महीने, 70 सदस्यीय चुनाव संचालन समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
चुनाव प्रचार में जिस तरह से वे BJP का संचालन कर रहे हैं उसे देख कर यह पूर्ण विश्वास हो चुका है कि अगर BJP अधिक सीटों के साथ सत्ता में आती है। उसके साथ ही LJP को भी JDU के खिलाफ सफलता मिल जाती है और वह उससे अधिक सीट जीत जाती है तो अमित शाह नित्यानन्द राय को मुख्यमंत्री का पदभार देने से भी पीछे नहीं हटेंगे।