‘हमारे टिकट RJD से चार गुना महंगे हैं’ जदयू उम्मीदवार ने नीतीश कुमार की ईमानदारी की पोल खोल कर रख दी

RJD तो पहले से ही कुख्यात था, अब जदयू भी उसी पंक्ति में है!

नीतीश

(Pc-PTI)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए ये विधानसभा चुनाव अब तक का सबसे मुश्किल चुनाव साबित हो रहा है। उन्हें रोजाना किसी नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि ये चुनौतियां केवल विपक्षियों द्वारा ही मिल रही हैं अब तो उनके ही लोग उनके लिए मुसीबत बनने लगे हैं। इसी बीच अब एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें जद(यू) प्रत्याशी कहते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने पार्टी में टिकट पाने के लिए राजद से चार गुना ज्यादा पैसे दिए हैं।

दरअसल, बिहार के भोजपुर जिले की संदेश विधानसभा सीट से जदयू के प्रत्याशी विजेन्द्र यादव का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने कहा था कि जदयू में टिकट के लिए उन्होंने आरजेडी से 4 गुना ज्यादा पैसे दिए हैं, इसलिए मैं इस सीट का सबसे ज्यादा बड़ा दावेदार हूं। जनता को मुझे इसलिए भी वोट देना चाहिए क्योंकि मैं एक बेहतर यादव नेता भी हूं। गौरतलब है कि विजेन्द्र यादव 2000 और 2005 से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। इसके बाद 2015 में उन्हें पार्टी में टिकट नहीं दिया गया और उनके भाई अरुण यादव को ये टिकट मिल गया।

इस पूरे मामले के बाद अब विजेन्द्र ने जेडीयू का दामन थाम लिया है। बकौल विजेन्द्र अब उन्होंने पार्टी का टिकट भी खरीद कर लिया है लेकिन इस बात को सरेआम बोलकर उन्होंने अपनी समेत नीतीश कुमार के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर ली है। इस पूरे वाकए के बाद ये साबित हो रहा है कि नीतीश कुमार ने इस बार चुनाव में ऐसे उम्मीदवार खड़े किए जिन्हें जनसेवा से ज्यादा विधायक बनने की इच्छा है और इसके लिए ही उन्होंने पार्टी का टिकट पैसे देकर लिया है। ये जाहिर सी बात है कि चुनाव जीतने के बाद इन विधायकों का ध्यान जनसेवा से ज्यादा अपना खर्च किया पैसा बटोरने में होगा।

गौरतलब है कि पहले ही जेडीयू 15 साल की सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही हैं ऐसे में इस तरह के अपरिपक्व नेता नीतीश के लिए आगे की राह को कठिन बनाते जा रहे हैं। वहीं लोकजनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान पहले ही जेडीयू उम्मीदवारों की हर एक सीट पर अपने उम्मीदवार उतार चुके हैं। ऐसे में ये लाजमी है कि नीतीश के लिए विजेन्द्र यादव जैसे लोगों के साथ चुनाव में जाना बेहद ही खतरनाक हो सकता है।

शायद नतीजों के पहले ही नीतीश को परिणाम पता है इसीलिए उनकी खीझ इस बार साफ-साफ नजर आ रही है। वो चुनावी रैलियों में लगातार आपा खो रहे हैं। साथ ही आरजेडी समेत एलजेपी के नेताओं पर भी निजी और निम्न स्तर के हमले कर रहे हैं। नीतीश कुमार को हमेशा शांत संवदेनशील नेता के रूप में जाना जाता था लेकिन हाल फिलहाल में उनकी कूल माइंड वाली छवि पूरी तरह से धूमिल हो चुकी हैं क्योंकि उन्हें कैमरे पर इतना उत्तेजित कभी नहीं देखा गया है।

पिछले हफ्ते की बेगूसराय वाली रैली का ही उदाहरण ले लें तो वहां कुछ आरजेडी समर्थक नीतीश के खिलाफ नारे लगा रहे थे जिसके बाद अचानक ही नीतीश भड़क गए। वो मंच से ही बोल पड़े, आस-पास देख कर बोलो। गौरतलब है कि नीतीश नारा लगा रहे उन लोगों के चारो ओर खड़े नीतीश समर्थकों की बात कर रहे थे।

नीतीश अब लगातार अपना आपा खो रहे हैं। गठबंधन को लेकर नीतीश ये समझ गए हैं कि अगर उनकी पार्टी की सीटें कम आईं तो बीजेपी उनका साथ छोड़ देगी। नीतीश को 143 सीटों पर पहले ही आरजेडी के महागठबंधन के अलावा लोजपा से त्रिकोणीय चुनौती मिल रही हैं। इसीलिए नीतीश का डर अब उनकी हर एक रैली में दिख रहा है।

ऐसी स्थिति में विजेन्द्र यादव सरीखे नेताओं को टिकट देना उनके लिए ही मुश्किलें पैदा कर रहा है। साथ ही गठबंधन और बाहरी चुनौतियों समेत सत्ता विरोधी लहर उन्हें चारों तरफ से घेरे हुए है। नतीश के लिए ये चुनाव हर बदलते पल के साथ अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

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