2019 के ऐतिहासिक निर्णय के बाद अब एक और ऐतिहासिक निर्णय में मथुरा के स्थानीय न्यायालय ने श्री कृष्ण जन्मभूमि के स्वामित्व से जुड़े मामले में दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी इस निर्णय से रातों के नींद उड़ गई, और इन्हीं में से एक है कट्टरपंथी एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी।
हाल ही में मथुरा में स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर से संबन्धित मामले के पुनः न्यायालय में आने पर असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया, “मथुरा के जिला न्यायालय ने मथुरा की ईदगाह पर दायर याचिका को स्वीकार किया। अपने वर्तमान लेख में नूरानी साब ने आडवाणी के हवाले से कहा कि आरएसएस के एजेंडा पर काशी और मथुरा था ही नहीं। अयोध्या भी इनके एजेंडे पर नहीं था। हमें इनकी चालों से सतर्क रहना चाहिए”।
THREAD: Yesterday Mathura District Court admitted a plea on Mathura's Idgah. Noorani sb quotes Advani in his latest piece: "[Kashi and Mathura] aren't on the agenda. Ayodhya, to begin with, was also not on the agenda". We must remain alert to their designs https://t.co/9ZTveDbRRP
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 17, 2020
लेकिन ओवैसी वहीं पर नहीं रुके। जनाब ने पहले उर्दू और फिर हिन्दी में आगे ट्वीट किया, “जिस बात से डर था वही हो रहा है। बाबरी मस्जिद से जुड़े फैसलों की वजह से संघ परिवार के लोगों के इरादे और भी मज़बूत होगये हैं। याद रखिए, अगर आप और हम अभी भी गहरी नींद में रहेंगे तो कुछ साल बाद संघ इस पर भी एक हिंसक मुहीम शुरू करेगी और कांग्रेस भी इस मुहिम का एक अटूट हिस्सा बनेगी”।
जिस बात से डर था वही हो रहा है। बाबरी मस्जिद से जुड़े फैसलों की वजह से संघ परिवार के लोगों के इरादे और भी मज़बूत होगये हैं। याद रखिए, अगर आप और हम अभी भी गहरी नींद में रहेंगे तो कुछ साल बाद संघ इस पर भी एक हिंसक मुहीम शुरू करेगी और कांग्रेस भी इस मुहिम का एक अटूट हिस्सा बनेगी।
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 17, 2020
अब ये कृष्ण जन्मभूमि का मामला है क्या? इसके लिए हमें जाना होगा मुगल काल में, जब क्रूर बादशाह औरंगजेब ने त्राहिमाम मचा रखा था। जगह जगह मंदिर तोड़े जा रहे थे, महिलाओं, बच्चों और पुरुषों पर समान रूप से अत्याचार ढाये जा रहे थे। इसी बीच जिस स्थान पर श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था, वहां पर स्थित एक भव्य मंदिर को ध्वस्त कर औरंगजेब ने शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवाया।
इसी परिप्रेक्ष्य में मथुरा के जिला न्यायालय में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया, “यूपी का सुन्नी वक्फ बोर्ड हो, ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट का कोई सदस्य हो या फिर कोई भी अन्य मुसलमान हो, कटरा केशव देव की संपत्ति पर इनमें से किसी का भी कोई हक नहीं है। 13.37 एकड़ की भूमि पूर्णतया भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को समर्पित है।” इस याचिका में जमीन को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया था।
अब ऐसा है कि वर्षों लड़ाई के पश्चात राम जन्मभूमि के पुनर्निर्माण के पक्ष में निर्णय आने से कई भक्तों को अपने मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए लड़ाई लड़ने की प्रेरणा मिली है। इसीलिए अब काशी विश्वनाथ मंदिर के वास्तविक परिसर [जहां पे ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है] और श्रीक़ृष्ण जन्मभूमि परिसर को पुनः प्राप्त करने का कार्य शुरू हो चुका है।
ऐसे में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की याचिका दायर करने के साथ ही ऐसा लगता है कि हिन्दू मंदिरों के पुनर्निर्माण का अभियान अब प्रारम्भ हो चुका है। मथुरा जिला जज न्यायालय में श्रीकृष्ण विराजमान की 13.37 एकड़ जमीन के स्वामित्व और शाही ईदगाह हटाने की अपील मंजूर कर इसके संकेत भी दे दिए हैं। ऐसे में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जो अभी भी इस बात को नहीं पचा पा रहे हैं कि अब श्रीराम जन्मभूमि परिसर पर मस्जिद का निर्माण असंभव है, अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर के पुननिर्माण की संभावना मात्र से काफी भयभीत हो गए हैं। ये डर कृष्ण भक्तों के लिए अच्छा है।