‘जवान नहीं चाहते थे युद्ध, जनरलों ने जंग में धकेला’, नवाज़ शरीफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच आई कड़वाहट पर किया बड़ा खुलासा

अब नवाज शरीफ 'हैंडसम PM' के आकाओं को भी ले रहे निशाने पर

नवाज़ शरीफ

(PC- web duniya)

इन दिनों पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ पाकिस्तानी सेना की पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पाकिस्तान में न रहकर भी उन्होंने पाकिस्तानी प्रशासन की नींद हराम कर दी है। हाल ही में एक सनसनीखेज खुलासे में उन्होंने ये दावा किया कि पाकिस्तान खुद कारगिल युद्ध नहीं चाहता था, परंतु कुछ आर्मी अफसरों की सनक के कारण यह युद्ध पाकिस्तान पर थोपा गया, जिसके कारण पाकिस्तान को इस युद्ध से अपमान के अलावा और कुछ भी नहीं मिला।

WION के न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, “नवाज़ शरीफ ने क्वेटा में हो रहे पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, कारगिल में हमारे सैकड़ों सैनिक की मौतों के जिम्मेदार कुछ आर्मी जनरल थे, जिन्होंने हमें युद्ध की आग में झोंक दिया। मुझे आज भी तकलीफ होती है, इस बात को जानकर कि हमारे सैनिकों के पास खाने की बात तो छोड़िए, पर्याप्त हथियार भी नहीं थे। कई जानें कुर्बान हुई, पर हमारे मुल्क या हमारी कौम ने क्या हासिल किया?”

नवाज़ शरीफ ने अपने बयान में आगे कहा, “जिन लोगों के कारण हमें कारगिल युद्ध में थोपा गया, वे वही लोग थे, जिन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए हमारी सरकार को 12 अक्टूबर 1999 में एक तख्तापलट के अंतर्गत हटा दिया, और मुल्क में एक बार फिर मार्शल लॉ लागू हुआ। परवेज़ मुशर्रफ और उसके चाटुकारों ने एक बार फिर सेना का अपने निजी स्वार्थ के लिए दुरुपयोग किया।”

बता दें कि 1999 में मई माह में पाकिस्तानी सेना ने सर्दी के मौसम के कारण LOC के निकट स्थित कारगिल द्रास सेक्टर पे खाली भारतीय चौकियों पर कब्जा जमा लिया, जिसका मुआयना करने गए भारतीय सैनिकों को न सिर्फ मार गिराया गया, बल्कि पकड़े गए सैनिकों एवं वायुसैनिक अफसरों के साथ अमानवीय यातना बरती गई, और फलस्वरूप कारगिल युद्ध प्रारंभ हुआ। कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार को अंधेरे में रखकर ये आक्रमण किया, जिसका नेतृत्व नवाज़ शरीफ कर रहे थे।

अब इसका क्या अर्थ है? दरअसल, पिछले कई हफ्तों से नवाज़ शरीफ के नेतृत्व में इमरान खान की सरकार और पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध संयुक्त रूप से काफी आक्रोश उमड़ा हुआ है। 11 पाकिस्तानी राजनीतिक पार्टियों ने संयुक्त रूप से इमरान खान की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के विरुद्ध गठबंधन तैयार किया, जिसका नेतृत्व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवाज़ शरीफ और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पुत्री मरियम नवाज़ शरीफ कर रही हैं।

यही नहीं, नवाज़ शरीफ कारगिल युद्ध का उल्लेख कर भारत को भी अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं। वे ये जताना चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार तभी संभव है, जब नवाज़ शरीफ सत्ता में हो, और इस बात को सिद्ध करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने समय-समय पर इमरान खान की सरकार को भारत पाकिस्तान के बीच के संबंध को रसातल तक पहुंचाने के लिए भी आड़े हाथों लिया है।

इसके अलावा नवाज़ शरीफ ने अपने सम्बोधन में पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध मुखर आलोचना करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनके अनुसार, “2018 में जनरल बाजवा ने पाकिस्तानी चुनावों के परिणाम पर प्रभाव डाला ताकि उनकी चाटुकारिता करने वाले [इमरान खान] सत्ता पर कब्जा जमा सके। उन्होंने आवाम के विरुद्ध जाते हुए इमरान खान को पाकिस्तान की सत्ता सौंप दी।”

इन दिनों पाकिस्तान की हालत बेहद खराब चल रही है। एक ओर पड़ोस में भारत उसकी एक गलती पर पाकिस्तान का विध्वंस करने के लिए तैयार बैठा है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान की भूमि और उसके संसाधनों पर चीन आँखें गड़ाये हुए हैं। इसके अलावा सिंध और बलूचिस्तान में विद्रोह के बादल मंडरा रहे हैं, और ऐसे में नवाज़ शरीफ द्वारा खुलेआम पाकिस्तानी प्रशासन, विशेषकर सेना को चुनौती देना इस बात का सूचक है कि पाकिस्तान में बहुत जल्द एक बड़ा बदलाव हो सकता है, जिसे पाकिस्तानी सेना चाहकर भी नहीं रोक सकती।

 

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