पिछले कई दिनों से विवादों में घिरी पाकिस्तान की इमरान सरकार ने एक अप्रत्याशित निर्णय लेते हुए टिक-टॉक पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया। इसके पीछे पाकिस्तान की टेलीकॉम रेग्युलेटर अथॉरिटी ने कारण दिया है कि लाख मना करने के बावजूद टिक-टॉक ने अपने एप से ‘अनैतिक’ और ‘अश्लील’ वीडियोज़ नहीं हटाई है, और इसी कारण के पीछे कुछ दिनों पहले टिंडर जैसे डेटिंग एप्स भी पाकिस्तान ने प्रतिबंधित किए थे।
परंतु ऐसे कैसे हुआ? कल तक जो पाकिस्तान चीन का नाम जपते नहीं थकता था, आज अचानक से चीन के ही एप को कैसे प्रतिबंधित करने लग गया? इसके पीछे कई कारण है, लेकिन सबसे प्रमुख कारण है आर्थिक प्रतिबंध से बचाव, क्योंकि इस समय पाकिस्तान दिवालिया होने का दाग नहीं झेल सकता।
बता दें कि इस समय पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खराब है। विदेशी मुद्रा भंडार रसातल में है, आर्थिक प्रगति हुए ज़माना बीत गया, और तो और अब एफ़एटीएफ़ सहित कई वित्तीय संस्थाएं पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने को पूरी तैयार है। इसके अलावा अब कोई वित्तीय संस्थान पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले भी सौ बार सोच रही है, जिसके कारण पाकिस्तान में कई जगह अब भूखों मरने की नौबत आ गई।
परंतु बात यहीं पे नहीं रुकती। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती कराने के साथ-साथ पाकिस्तान का वर्तमान प्रशासन घरेलू स्तर पर भी ज़बरदस्त आलोचना का शिकार है। एक ओर नवाज़ शरीफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इमरान खान की सरकार के विरुद्ध मोर्चा संभाले हुए हैं, तो वहीं घरेलू स्तर पर पूरे विपक्ष को एकजुट करने का ज़िम्मा उनकी बेटी मरियम नवाज़ शरीफ ने उठाया है। यही नहीं, मरियम के नेतृत्व में विपक्ष की सभी पार्टियां इमरान खान की सरकार और पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध संयुक्त रूप से एकजुट भी हुई हैं।
ऐसे में अपनी साख बचाने और अंतर्राष्ट्रीय छवि को सुधारने के लिए ही इमरान सरकार ने यह निर्णय लिया होगा। टिक-टॉक को प्रतिबंधित करने से इमरान सरकार के नज़रिये में दोहरा फ़ायदा होता दिख रहा है। एक तो इमरान सरकार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक प्रतिबंधों से कुछ हद तक राहत मिलती, और दूसरा यह कि उसकी चीन के चाटुकार वाली छवि से भी कुछ समय की निजात मिलेगी। एक तरफ पाकिस्तान ने चीन को अपनी दिखाने का प्रयास किया है, कि यदि हमें हमारा हिसाब नहीं मिला तो हम तुम्हें भी चुनौती दे सकते हैं, तो वहीं दूसरी ओर टिक-टॉक पर प्रतिबंध से वह दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि स्थिति चाहे जो हो, पाकिस्तान चीन की गुलाम नहीं है। जिससे की पश्चिम के देश उसके प्रति नरम रुख ही रखें।
लेकिन पाकिस्तान के व्यवहार और उसकी नीतियों को देखते हुए टिक-टॉक को प्रतिबंधित करने का निर्णय तो वही लगता है कि ‘नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’। अगर सच कहा जाये, तो अपनी छवि को बचाने के लिए इमरान खान सरकार काफी गंभीर हुई है, जिसके कारण पिछले कुछ दिनों में कई ताबड़तोड़ निर्णय लिए जा रहे हैं, जिसमें अब टिक-टॉक को प्रतिबंधित करना भी शामिल हुआ है। लेकिन बकरे के अम्मा आखिर कब तक खैर मनाएगी?