कागजी ड्रैगन को दक्षिण चीन सागर के मोर्चे पर एक बार फिर करारा झटका लगा है। अब तक असमंजस में पड़े फिलीपींस ने अब खुलकर चीन के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाया है। मनीला ने बीजिंग को यह स्पष्ट कर दिया है कि दक्षिण चीन सागर में अपने खनिज पदार्थों की उत्पत्ति के लिए फिलीपींस किसी की हेकड़ी बर्दाश्त नहीं करेगा, चाहे वह कागजी ड्रैगन चीन ही क्यों न हो।
इसी दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए फिलीपींस के राष्ट्राध्यक्ष रोड्रिगो डुटर्ते ने तेल और गैस की खोज पर लगे छह वर्ष पुरानी रोक को हटा दिया है, जिसे हाल ही में ऊर्जा विभाग ने सुझाया था। इसके लिए तीन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जिसमें वह रीड बैंक भी शामिल है, जिसपर चीन स्वाभाविक कारणों से दावा करता आया है। लेकिन इस बार फिलीपींस ने चीन को ठेंगा दिखाते हुए तेल एवं गैस की खोज के लिए ऊर्जा विभाग को स्वीकृति दी है।
रीड बैंक के विषय पर चीन और फिलीपींस में काफी तनातनी रही है। 2011 में जब चीनी जहाजों ने फिलीपींस के एक अनुसंधान जहाज़ को तंग करने का प्रयास किया था, तो बात हिंसक झड़प तक आ चुकी थी। 2016 में द हेग के परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने चीन को करारा झटका देते हुए फिलीपींस के पक्ष में निर्णय सुनाया था, और चीन द्वारा सम्पूर्ण दक्षिण चीन सागर पर किए जा रहे दावों की धज्जियां उड़ा दी थी। लेकिन चीन ने कभी इस निर्णय को खुले दिल से स्वीकार नहीं किया, और फिलीपींस के राष्ट्राध्यक्ष डुटर्ते पर दबाव बनाने का निरंतर प्रयास किया। लेकिन डुटर्ते ने वर्तमान निर्णय से स्पष्ट कर दिया कि अब चीन की दादागिरी नहीं चलेगी।
वैधानिक तौर पर फिलीपींस के निर्णय से किसी समुद्री कानून का उल्लंघन नहीं होता,क्योंकि यह UN के समुद्री कानून कन्वेन्शन का पालन करता था। मनीला को अपने तट से 200 मील की दूरी तक समुद्री संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार है, चाहे चीन इसपर कैसी भी आपत्ति क्यों न जताए। ऊर्जा सचिव कूसी के अनुसार रीड बैंक और अन्य दो क्षेत्र फिलीपींस के विशेष आर्थिक ज़ोन की सीमा में आता है, परंतु उन्होंने ये भी स्वीकारा है कि चीन इस निर्णय को हल्के में नहीं लेगा। उनके अनुसार, “चीन इसके बारे में अवश्य आवाज़ उठाएगा, परंतु हमें भी अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा, और वही हम करने जा रहे हैं।”
एल्फोंसों कूसी ने ये भी बताया कि फिलीपींस के चिन्हित क्षेत्रों में खनिज पदार्थ, तेल और गैस निकालने जा रही कंपनियों को 500 मीटर के सेक्युरिटी बफर ज़ोन की सुरक्षा मिलेगी, और किसी भी स्थिति में उनके हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यहाँ यह कहना गलत नहीं है कि इस बार फिलीपींस ने बाज़ी मारी है। इसके अलावा फिलीपींस को QUAD समूह का समर्थन प्राप्त है, जिसमें चीन को चुनौती देने वाले प्रमुख देश यानि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल है। ऐसे में मनीला ने स्पष्ट किया है कि वह चीन की गीदड़ भभकियों से और नहीं डरने वाला है।
ऐसे में अपनी घनघोर बेइज्जती को छुपाने के लिए चीन हरसंभव प्रयास कर रहा है। ब्लूमबर्ग के हवाले से चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने बताया, “चीन और फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में संयुक्त अनुसंधान के लिए हमारे साथ हामी भरी है, और हमने इसके लिए आवश्यक बातचीत भी की है। हम आशा करते हैं कि दोनों पक्ष आपसी समन्वय से अपने-अपने देशों का विकास सुनिश्चित कर पाएंगे।’’
लेकिन इस समय फिलीपींस के कानों पर जूँ नहीं रेंग रहा। उसने अब अपने क्षेत्र में खनिज पदार्थों एवं तेल और गैस की उत्पत्ति के लिए अपने कंपनियों को खुली छूट दी है, और चीन को समझ में नहीं आ रहा है कि फिलीपींस के इस चुनौती का सामना कैसे करें।