चीन को आर्थिक और सैन्य दोनों स्तर पर बर्बाद करने की अमेरिका की बड़ी रणनीति

चीन को पूरी तरह से तोड़ देना चाहता है अमेरिका

अमेरिका

कोरोना के बाद से अब तक विश्व के जियोपॉलिटिक्स में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है। चीन को अमेरिका चारों तरफ से घेर चुका है और अब बस इंतज़ार है एक्शन का। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह अमेरिका के विदेश मंत्री ने QUAD और ASEAN देशों का ताबड़तोड़ दौरा किया उससे एक बात और स्पष्ट हो चुकी है कि अमेरिका ने इन दोनों समूहों के साथ मिलकर चीन को सैन्य रूप से प्रतिबंधित करने और आर्थिक रूप से चोक करने का इंतजाम कर दिया है।

दरअसल, अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ अभी पाँच एशियाई देशों के दौरे पर आए हैं। अपने भारतीय समकक्ष के मंत्रियों की सफल बैठक के बाद Pompeo ने अपने इंडोनेशियाई समकक्ष, रिटेनो मार्सुडी के साथ बैठक की, जिसमें दोनों नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में स्थिति पर चर्चा की। 

उन्होंने अपने इन्डोनेशिया के दौरे पर ASEAN समूह में इंडोनेशिया के नेतृत्व की प्रशंसा की जिसमें ASEAN ने दक्षिण चीन सागर और उसके 9 डैश लाइन के “गैरकानूनी” दावों को खारिज कर दिया था। ASEAN के इस महत्वपूर्ण देश की यात्रा और उसकी तारीफ का एक ही कारण दिखाई देता है और वह है QUAD के साथ चीन को सैन्य रूप से घेरने के बाद अब चीन पर आर्थिक स्ट्राइक का। 

माइक पोम्पिओ ने इन्डोनेशिया के बारे में कहा कि ” कानून का पालन करने वाले देश दक्षिण चीन सागर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा गैरकानूनी दावों को अस्वीकार करते हैं, जैसा कि ASEAN के भीतर और संयुक्त राष्ट्र में इस विषय पर इंडोनेशिया ने स्पष्ट किया है।” बता दें कि चीन इन्डोनेशिया के Natuna Islands पर अपना दावा करता है, जिसका इस देश ने कड़ा विरोध किया है और चीनी vessels को कई बार खदेड़ चुका है।

पोम्पियो ने बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने और दुनिया के कुछ सबसे व्यस्त व्यापार मार्गों की सुरक्षा के लिए नए तरीकों से सहयोग करने के लिए उत्सुक हूं।”

सितंबर में आसियान के साथ वार्षिक सम्मेलन के दौरान TFI ने रिपोर्ट की थी कि पोम्पियो ने अपने समकक्षों से कहा था कि, “अब एक्शन का समय है और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की गुंडागर्दी के खिलाफ एक्शन में अमेरिका मदद करेगा। उसके बाद से कई देश चीन के खिलाफ प्रखर हुए हैं।” 

यही नहीं अमेरिका यह जनता है कि ट्रेड वार और कोरोना के बाद चीन के बहिष्कार के कारण चीन से बाहर जाने वाली कंपनियों के बाहर निकलने के सबसे बड़े लाभार्थी ASEAN के देश ही रहे हैं क्योंकि अधिकांश ऐसी कंपनियाँ इन देशों में अपनी विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित कर रही हैं। वियतनाम को सबसे अधिक फायदा हुआ है इसके बाद थाईलैंड, कंबोडिया, और म्यांमार का नंबर आता है।

यही नहीं ASEAN चीन का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार भी है। ऐसे में अमेरिका इन देशों के साथ संबंध बढ़ा कर चीन की अर्थव्यवस्था को मिल रही अंतिम मदद भी बंद करना चाहता है। 

अमेरिका पहले से ही QUAD देश की मदद से इंडो पैसिफिक क्षेत्र को सुरक्षित कर रहा है। ऐसे में ASEAN के देश खुल कर चीन के खिलाफ अमेरिका सहित QUAD देशों की मदद के लिए सामने आएंगे और चीन का आर्थिक नाकाबंदी करने में सहयोग देंगे। 

 

चीन द्वारा अवैध सैन्य अभ्यास, कृत्रिम द्वीपों का निर्माण, संप्रभु सीमाओं पर हमला नए तटों का अतिक्रमण करने के लिए मछली पकड़ने वाली नौकाओं के कारण सभी देश परेशान हो चुके हैं। ऐसे में अब चीन को उसकी के क्षेत्र में सबक सिखाने के लिए आर्थिक नाकेबंदी में ASEAN तथा सैन्य नाकेबंदी में QUAD मिल कर काम करेंगे। इसी लक्ष्य से अमेरिका के विदेश मंत्री दोनों समूहों के देशों की यात्रा कर रहे हैं। 

अगर आसियान चीन के चंगुल से खुद को मुक्त करना चाहता है तो उसे अमेरिका के साथ हाथ मिलाना होगा, और QUAD के साथ मिल कर चीन को सप्लाइ चेन से बाहर करना होगा। 

भारत और अमेरिका के बीच बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर हालिया हस्ताक्षर के बाद अमेरिका भारत के और नजदीक आ चुका है। दोनों QUAD देश के BECA पर हस्ताक्षर करने के बाद, सभी चार सदस्यों में से तीन अमेरिका के सैन्य सहयोगी बन गए हैं और अब यह सभी को मान लेना चाहिए कि QUAD एक सैन्य समूह बन चुका है। हालांकि, इससे पहले ही जब भारत ने इस साल के मालाबार अभ्यास के लिए पहले ही ऑस्ट्रेलिया समेत QUAD के तीनों सहयोगियों को आमंत्रित किया तभी QUAD एक पूर्ण विकसित सैन्य गठबंधन में बदल चुका था। इसके बाद किसी भी देश को संदेह नहीं होना चाहिए कि समय आने पर यह संगठन मिल कर चीन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा। 

माइक पोम्पिओ की पांच देशों की यात्रा से चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी और स्पष्ट हो गयी है और अमेरिका का QUAD तथा ASEAN के साथ मिलकर चीन को सबक सिखाने का प्रयास और तेज़ हुआ है। अब चीन को अपनी अंतिम तैयारी कर लेनी चाहिए क्योंकि अब वह दिन दूर नहीं जब सभी देश मिलकर उस पर टूट पड़ेंगे जिसका नेतृत्व QUAD और ASEAN करेंगे। 

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