QUAD यानि भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्री टोक्यो में मिले और वैश्विक स्थिति पर एक चर्चा की। इस बैठक का कई दिनों से विशेषज्ञ इंतज़ार कर रहे थे क्योंकि हालिया स्थिति और चीन की आक्रामकता को देखते हुए यह एक मात्र ऐसा समूह था जिसके सहयोगी देश व्यक्तिगत रूप के साथ समूह में काम करते हुए चीन को सबक सिखाने के लिए तत्पर थे। इस मीटिंग से चीन पहले ही चिंतित हो चुका है जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह बैठक सही दिशा में जा रही है।
जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड समूह के देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल हुए। इस दौरान एस जयशंकर ने हिद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और समावेशी बनाने रखने के लिए क्वाड के सामूहिक विजन का भी जिक्र किया।
Delighted to join my QUAD colleagues at our Ministerial consultations in Tokyo. Thank FM @moteging for his gracious hospitality.https://t.co/hFSZRPu7Rf pic.twitter.com/1gfxiHdHXs
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) October 6, 2020
टोक्यो में QUAD समूह में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने “नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय आदेश” को बनाए रखने के बारे में भी बात की। एस जयशंकर ने कहा, “हम नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय आदेश का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो कानून, पारदर्शिता, अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में नेविगेशन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के नियम से प्रेरित है।”
यूएन सिक्यॉरिटी काउंसिल में अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का कार्यकाल शुरू करने जा रहे भारत के विदेश मंत्री ने कहा, ”हम वैश्विक चुनौतियों के सामूहिक समाधान, महामारी से दुनिया के बाहर निकलने और बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार को लेकर आशान्वित हैं।” इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से मुलाकात की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा हुई।
वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भी टोक्यो में चीन को जमकर लताड़ा। पोम्पिओ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर “शोषण, भ्रष्टाचार और जबरदस्ती” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ” चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कवरअप ने इस महामारी को और भी बदतर बना दिया था। शासन के सत्तावादी स्वभाव ने चीनी नागरिकों को चुप कराने की कोशिश की जो इस महामारी को ले कर अलार्म बजा रहे थे।”
वहीं ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने कहा कि, “क्वाड देशों द्वारा समुद्री सुरक्षा, साइबर मामलों और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण खनिजों, आतंकवाद से मुकाबला करने और मानवीय सहायता और आपदा राहत सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना जारी रहेगा।”
भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के QUAD समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक इंडो-पैसिफिक में चीन की सैन्य आक्रामकता, भारत के साथ लद्दाख क्षेत्र में तनाव के पृष्ठभूमि में हो रही है। QUAD समूह को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विशेष रूप से उन देशों का महत्वपूर्ण समर्थन मिल रहा है जो चीन के बढ़ते दबदबे से चिंतित हैं, लेकिन उसकी आक्रामक नीतियों का मुकाबला करने के लिए उनके पास न पर्याप्त साधन है और न ही ताकत। महामारी के दौरान भी, चीन ने जिस तरह से आक्रामकता दिखाई है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान ही नहीं करता है। चीन ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति पर अपना नियंत्रण करने के लिए अपनी ताकतवर आर्थिक स्थिति का भी बेजा इस्तेमाल किया और अपने निर्णयों को थोपने का काम किया है।
भारत के विदेश मंत्री के अलावा, क्वाड की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री Marise Payne और जापान के Toshimitsu Motegi ने भाग लिया। इससे पहले की QUAD बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के साथ सितंबर 2019 में हुई थी, लेकिन टोक्यो बैठक पहली बार अकेले हुई है और इसलिए इसका राजनीतिक महत्व भी बढ़ा है। जिस तरह से चीन ने एक के बाद एक सभी देशों के खिलाफ आक्रामकता दिखाई है, उससे उनके संप्रभुता पर खतरा मंडराने लगा था। जापान का सेनकाकू द्वीप हो या ताइवान पर आक्रमण की धमकी या फिर वियतनाम के द्वीप पर कब्जा करना हो चीन हर जगह अपने पाँव पसार रहा था। यही नहीं, भारत के साथ बॉर्डर पर विवाद बढ़ा कर भारत की अखंडता को भी चुनौती दे डाली। वहीं ऑस्ट्रेलिया को तो उसने जूते में चिपका Chew gum तक कह दिया था।
ऐसे में QUAD का चीन के खिलाफ एकजुट होना और बैठक करना एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है। अब जिसका इंतज़ार किया जा रहा था वह QUAD एक्शन में आ चुका है और इसकी शुरुआत जापान के टोक्यो में हुई है। अब इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि चीन के खिलाफ एक्शन की रेखा खींची जा चुकी है। अब QUAD देशों ने चीन से निपटने का तरीका निकाल लिया है और जैसे-जैसे चीन अपनी आक्रामकता दिखाएगा वैसे-वैसे QUAD देशों के एक अनौपचारिक संगठन से एक सैन्य संगठन में परिवर्तन निश्चित है जिसके बाद हो सकता है कि चीन का नामोनिशान न रह जाए।