इन दिनों भारत ने चीन के विरुद्ध काफी आक्रामक रवैया अपनाया है। चीन को एक कड़ा संदेश देने में भारत इन दिनों कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, और इसी परिप्रेक्ष्य में राजनाथ सिंह ने सभी को चौंकाते हुए विजयादशमी के अवसर पर भारत तिब्बत बॉर्डर यानि एलएसी का दौरा करने का निर्णय लिया है।
एक अहम निर्णय में जवानों का उत्साहवर्धन करने और स्थिति का आंकलन करने हेतु रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विजयादशमी के अवसर पर सिक्किम का दौरा करेंगे। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, “रक्षा सूत्रों के अनुसार, राजनाथ सिंह 23-24 अक्टूबर को सिक्किम जाएंगे और वहां पर कई रोड प्रोजेक्ट्स, पुल आदि का उद्घाटन करेंगे। यह सड़कें और पुल आम नागरिकों के अलावा, सेना के जवानों की आवाजाही और उनके हथियारों को सीमा पर पहुंचाने के लिए काफी काम आएंगे। रक्षा मंत्री हिंदू परंपरा के अनुसार सिक्किम में चीन की सीमा के पास तैनात स्थानीय इकाइयों में से एक के साथ ‘शस्त्र पूजा’ भी कर सकते हैं।”
इसके अलावा सिक्किम दौरे पर राजनाथ सिंह फॉरवर्ड इलाकों का भी दौरा करेंगे, जहां पर बड़ी संख्या में भारतीय जवान तैनात हैं। उनके साथ टैंक्स समेत कई हथियार भी हैं, जोकि चीन द्वारा किसी भी घुसपैठ को नाकाम करने के लिए तैनात किए गए हैं। सिक्किम वही राज्य है जहां रणनीतिक तौर पर भारत इस समय अरुणाचल प्रदेश के बाद सबसे लाभकारी स्थिति में है, और ये वही राज्य है जहां 1967 में चीन के आक्रमण के जवाब में भारतीय सेना ने चीन के पीएलए को पटक पटक के धोया था।
विजयादशमी पर शस्त्र पूजा का अपना सांस्कृतिक महत्व है। प्राचीन काल में भारत के राजा किसी भी अहम अभियान अथवा युद्ध पर जाने से पहले अपने शस्त्रों की पूजा करते थे। इस प्रथा को राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान केंद्र सरकार ने पुनः प्रारम्भ कराया जब पिछले वर्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस में राफेल के भारत को सौंपे जाने पर शस्त्र पूजा कराया था।
लेकिन शस्त्र पूजा का अपना धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। कहते हैं कि जब युद्ध के दसवें दिन श्रीराम रावण से युद्ध करने जा रहे थे, तो उन्होंने युद्ध पर जाने से पहले अपने शस्त्रों की पूजा की थी। युद्ध के दसवें दिन रावण का अंत भी हुआ था, जिसके कारण विजयादशमी का उत्सव इसी दिन मनाया जाता है।
ऐसे में एलएसी के निकट शस्त्र पूजा का आयोजन कराकर राजनाथ सिंह ने दो स्पष्ट संदेश भेजे हैं। एक तो यह कि भारत और भारत की केंद्र सरकार अपने जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, और दूसरा यह कि भारत चीन से हर प्रकार के संघर्ष के लिए तैयार है, चाहे वो कूटनीति के क्षेत्र में हो, सांस्कृतिक क्षेत्र में या फिर युद्ध के क्षेत्र में ही क्यों न हो। शस्त्र पूजा के लिए एलएसी बॉर्डर को राजनाथ सिंह ने यूं ही नहीं चुना है, अपितु इसके पीछे भी एक अहम संदेश है – इस समय चीन अधर्म का परिचायक है, और अधर्म को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना धर्म के रास्ते, यानि युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है।
पिछले वर्ष राफेल के अधिग्रहण के अवसर पर शस्त्र पूजा कर राजनाथ सिंह ने भारतीय संस्कृति का प्रचार किया था, और इस वर्ष एलएसी बॉर्डर के निकट शस्त्र पूजा का आयोजन कराकर राजनाथ सिंह चीन को स्पष्ट संदेश भेज रहे हैं – चीन के पापों का घड़ा अब भर चुका है, और अब चीन की एक भी गलती पर भारत उसे मुंहतोड़ जवाब के लिए युद्ध तक पर जाने को तैयार खड़ा है।