पूर्व में हवाई से लेकर पश्चिम में पलाऊ तक, और उत्तर में New Caledonia से लेकर दक्षिण में टोंगा तक, अमेरिका अब पैसिफिक क्षेत्र को चीन मुक्त करने के लिए कमर कस चुका है। अब तक पैसिफिक क्षेत्र बीजिंग और ताइवान के बीच रणनीतिक युद्ध का अखाड़ा बना हुआ था, जहां पर ऑस्ट्रेलिया भी एक हद तक प्रभावशाली भूमिका निभा रहा था। अब अमेरिका इस क्षेत्र में अपने कदम आगे बढ़ा रहा है, जो चीन के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहा है।
अपने हालिया कदम में अमेरिका ने Solomon Islands के ताइवान समर्थक प्रांत “मलाइता” को 25 मिलियन की आर्थिक सहायता प्रदान करने का ऐलान किया है। ताइवान के मुद्दे पर मलाइता Solomon Islands के प्रशासन के खिलाफ ही अपनी आवाज़ उठा रहा है। पिछले वर्ष Solomon Islands ने ताइवान से अपने सारे रिश्ते खत्म कर बीजिंग के साथ अपने कूटनीतिक रिश्ते खत्म कर दिये थे, जिसके बाद मलाइता ने SI से अलग होने का फैसला ले लिया था। अब अमेरिका ने मलाइता के लिए आर्थिक सहायता का ऐलान कर सभी पैसिफिक देशों को यह संदेश भेज दिया है कि अगर उन्हें अमेरिका से आर्थिक सहायता चाहिए तो उन्हें बीजिंग के साथ सभी रिश्ते खत्म करने होंगे।
पैसिफिक देशों के लिए 25 मिलियन की आर्थिक सहायता किसी बड़े पैकेज से कम नहीं है। यह आंकड़ा Solomon Islands को वर्ष 2018 में मिली कुल आर्थिक सहायता के 50 गुना से भी ज़्यादा है। स्पष्ट है कि अमेरिका अब इस आर्थिक सहायता के जरिये क्षेत्र में भू-राजनीतिक फायदा उठाना चाहता है। जिस प्रकार चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश के बदले Solomon Islands को ताइवान से अपने रिश्ते तोड़ने को मजबूर किया, उसी प्रकार अब अमेरिका भी मलाइता को आर्थिक सहायता प्रदान कर उसे ताइवान का समर्थन करने और बीजिंग का विरोध करने का ईनाम दे रहा है।
बता दें कि चीन धीरे-धीरे पैसिफिक द्वीपों पर अपनी पकड़ को मजबूत करता जा रहा है, और उसकी लगातार कोशिशों के कारण ही आज क्षेत्र के 14 में से 10 द्वीप ताइवान के वजूद को नकारकर आधिकारिक तौर पर चीन को मान्यता प्रदान करते हैं। चीन इन छोटे देशों को निवेश और आर्थिक सहायता के बदले अपने पाले में करने की भरपूर कोशिश करता है। उदाहरण के लिए 80 के दशक में फ्रांस और UK से अलग हुए Vanuatu द्वीपों पर आज चीन का आर्थिक कब्जा हो चुका है, जहां उसने भारी निवेश किया हुआ है। यही हाल Solomon Islands का भी है।
हालांकि, अब जब अमेरिका पैसिफिक को चाइना-फ्री करने की योजना पर काम कर रहा है तो इसमें अमेरिका को बड़ी सफलता भी मिल रही है। दुनिया के नक्शे पर एक डॉट की तरह दिखाई देने वाले पलाऊ ने भी हाल ही में चीन को एक बड़ा झटका देने का काम किया था। दरअसल, सितंबर महीने में इस देश ने अमेरिका के साथ मिलकर अपने यहाँ एक military base बनाने का फैसला लिया था। तब अमेरिकी रक्षा सचिव ने इस द्वीप देश की यात्रा की थी। दक्षिण चीन सागर में चीन को घेरने के लिए पलाऊ बेहद अहम कड़ी साबित हो सकता है। पलाऊ के पूर्वोत्तर में गुआम द्वीप हैं जहां पहले ही अमेरिका के military bases मौजूद हैं। पलाऊ के इस कदम के बाद दक्षिण चीन सागर में चीन की घेराबंदी और आसान हो जाएगी।
पैसिफिक में पहले लड़ाई चीन और ताइवान के बीच थी, जिसे चीन बड़ी आसानी से जीतता दिखाई दे रहा था। अब जब अमेरिका इस लड़ाई में कूदा है, तो चीन के लिए यहाँ टिक पाना बेहद मुश्किल है। अमेरिका अब पैसिफिक द्वीपों से भी चीन को धक्के मारकर बाहर निकालने की पूरी तैयारी कर चुका है।