चीन के पूर्वी तट पर ताइवान स्ट्रेट के आसपास तनाव बढ़ता ही जा रहा है। चीन वहाँ पर अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है। ऐसे में अमेरिका ताइवान की सहायता के लिए आगे आया है और उसने ताइवान के लिए 1.8 बिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। एक तरफ जहां चीन अपने सैनिकों को “जंग के लिए तैयार” हो जाने के लिए कह रहा है तो वहीं अमेरिका ताइवान को “आत्मनिर्भर” बनाने के लिए उसे खतरनाक हथियार सप्लाई कर रहा है।
इस सुरक्षा डील के तहत अमेरिका ताइवान को जनरल एटॉमिक्स MQ-9 ड्रोन और शोर-माउंटेड हार्पून मिसाइल प्रदान करेगा। साथ ही साथ हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS), स्टैंडऑफ लैंड अटैक मिसाइल-एक्सपेंडेड रिस्पॉन्स (SLAM-ER) और बाहरी सेंसर पॉड्स भी ताइवान को मुहैया कराये जाएँगे। रायटर के मुताबिक बिक्री में ताइवान के समुद्र तट की रक्षा के लिए लगभग 100 हार्पून एंटी-शिप मिसाइलें शामिल होंगी, जिनका निर्माण बोइंग द्वारा किया जाता है और लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत आती है।
चीन को लगता है कि अमेरिका ताइवान को ये हथियार सप्लाई कर ताइवान को युद्ध छेड़ने के लिए तैयार कर रहा है। यह सच है कि ताइवान की AGM-84H मिसाइल मेनलैंड चीन की ज़मीन पर धावा बोलने में सक्षम होंगी, लेकिन ताइवान की ओर से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह ये हथियार सिर्फ चीनी हमले के निवारण (deterrence) के लिए ही खरीद रहा है। Taiwan के रक्षा मंत्री Yen De-Fa ने हाल ही में यह स्पष्ट किया था कि ताइवान चीन के साथ किसी Arms race में शामिल नहीं हो रहा है, वह सिर्फ अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है।
ताइवान का लक्ष्य यही है कि आने वाले समय में अगर चीन उसपर हमला करने की कोशिश करता है तो चीन को इसके लिए ज़्यादा से ज़्यादा नुकसान उठाना पड़े। बेशक चीन Taiwan से कई गुणा शक्तिशाली है, और उसके पास ज़्यादा क्षमता है, लेकिन अपनी क्षमता बढ़ाकर चीन को बड़ा नुकसान पहुंचाने की काबिलियत हासिल कर वह चीन को हमला करने का फैसला लेने से रोक सकता है।
अमेरिका-ताइवान की हालिया डील के बाद चीन की ओर से यह धमकी जारी की गयी है कि इसका अमेरिका और चीन के रिश्तों पर बेहद नकारात्मक असर पड़ेगा। हालांकि, रोचक बात यह है कि पहले ही दोनों देशों के रिश्ते गर्त में जा चुके हैं। दूसरी तरफ वर्ष 1979 में ही अमेरिका ने Taiwan’s Relations Act के जरिये ताइवान की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई हुई है।
ऐसे में वर्ष 2020 में जिस प्रकार एक आक्रामक चीन द्वारा Taipei की संप्रभुता को निशाना बनाया गया है, उसके बाद अमेरिका की ओर से Taiwan के साथ ऐसी डील किया जाना कोई हैरानी की बात नहीं है। चीन की ओर से खतरा लगातार बढ़ रहा है। चीन इतनी ज़्यादा कुंठा महसूस कर रहा है कि अब विदेशों में उसके Wolf Warriors ताइवान के राजदूतों पर शारीरिक हमला तक कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले फिजी में हमें यही देखने को मिला!
राष्ट्रपति साइ इंग वेन के नेतृत्व में Taiwan लगातार अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। हालिया 1.8 बिलियन डॉलर की डील के बाद अमेरिका-ताइवान के बीच और भी कई Arms Deal देखने को मिल सकती है। ताइवान और अन्य लोकतान्त्रिक शक्तियों के बीच बढ़ते सहयोग की मदद से भी Taiwan चीन के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकता है।