बिहार चुनाव घोषणापत्र के रूप में गाजे-बाजे सहित तेजस्वी यादव ने लिखा महागठबंधन का सुसाइड नोट

फर्जी वादों से ही इनके इरादे झलक रहे हैं!

तेजस्वी

(pc- satyasamachar )

बिहार का चुनाव प्रचार ज़ोरों पर है और कोई भी दल किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ना चाहता है। चाहे लगातार चौथी बार सत्ता में आने के लिए ललायित नीतीश कुमार हो, या फिर सत्ता पुनः काबिज करने के लिए प्रयासरत तेजस्वी यादव, सभी इस चुनाव से बहुत आस लगाए हुए हैं। लेकिन इसी बीच तेजस्वी यादव ने कुछ ऐसा किया है कि उनकी प्रशंसा कम, खिंचाई ज़्यादा की जा रही है।

बिहार चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी करते हुए तेजस्वी यादव ने सर्वप्रथम वादा किया है कि राजद और काँग्रेस के ‘महागठबंधन’ की सरकार बनते ही, वे राज्य के युवाओं को करीब10 लाख सरकारी नौकरियाँ देगी।

साथ ही तेजस्वी यादव ने कहा कि, “राज्य में कितने ही लोग बाढ़ से प्रभावित हुए है, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी तरफ देखा तक नहीं।” इसी को कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। जिस पार्टी के कारण बिहार आज भी बीमारू के टैग को नहीं हटा पाया है, जिस पार्टी के कारण बिहार के करोड़ों युवा आज भी राज्य से बाहर रोजगार देखने को मजबूर है, उसी पार्टी के अनाधिकारिक मुखिया अब कह रहे हैं कि बिहार के युवाओं को 10 लाख सरकारी नौकरियाँ, जिसके लिए कोई ठोस प्लान दूर दूर तक नहीं दिखाई दिया है।

लेकिन तेजस्वी यादव यहीं पर नहीं रुके। जनाब ने ये भी वादा किया कि यदि वे सत्ता में आए, तो किसी भी स्थिति में बिहार को स्पेशल स्टेटस दिलवाकर ही दम लेंगे। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “इस राज्य में दोहरे इंजन वाली सरकार है, पर उससे लोगों का कोई फ़ायदा नहीं हुआ है। नीतीश कुमार 15 साल से राज्य कि कमान संभाल रहे हैं पर वे आज तक बिहार को स्पेशल स्टेटस नहीं दिला पाये। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तो आकर बिहार को स्पेशल स्टेटस नहीं देंगे।”

लेकिन तेजस्वी यादव ने अपने ही पार्टी के अरमानों पर ज़बरदस्त तरीके से पानी फेरा, जब उन्होने कृषि उत्थान के विषय पर अपनी ज़ुबान खोली। किसानों के बारे में बात करते हुए तेजस्वी यादव ने यह आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी के सत्ता में आते ही किसानों की समस्या को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी, और कर्ज़ माफी के मुद्दे पर भी विचार किया जाएगा।

साथ ही सभा में उपस्थित काँग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तेजस्वी का  समर्थन करते हुए कहा, “अब नीतीश में दम नहीं है। अब दो षड्यंत्रकारी दोस्त साथ आ गए हैं। बीजेपी ने तीन गठबंधन बनाए हैं। इनमें एक लोक जनशक्ति पार्टी का भी है। ये लोग बिहार को धोखा दे रहे हैं। यह सरकार तो सृजन घोटाले के फेविकॉल से चल रही है। लेकिन अब ऐसा और नहीं चलेगा। जब महागठबंधन की सरकार बनेगी, तब कृषि के तीनों नए कानून निरस्त कर दिए जाएंगे।”

गौरतलब है कि एक तरफ तेजस्वी यादव बिहार के किसानों को एक नई राह दिखाने का वादा कर रहे हैं और वहीं दूसरे तरफ उनके पार्टी के सहयोगी दल उसी मंच पर ये कहते फिर रहे हैं कि महागठबंधन की सरकार आते ही बिहार के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार अधिनियम के लाभ से वंचित रखा जाएगा। यह पाखंड नहीं तो और क्या है?

आम तौर पर चुनाव में घोषणापत्र इस प्रकार से तैयार किया जाता है, जिससे उक्त पार्टी की विजय सुनिश्चित हो। लेकिन इस घोषणापत्र से तेजस्वी यादव ने ये सिद्ध किया है कि वे इस चुनाव में महागठबंधन की नैया ठीक वैसे ही डुबाएंगे, जैसे 2019 में उन्होनें लोकसभा चुनाव के दौरान डुबाई थी।

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