पंजाब में कांग्रेस की राजनीति में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के कद को सबसे बड़ा माना जाता है। कांग्रेस ने उनके एकछत्र राज को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू को प्रमोट किया। नवजोत सिंह सिद्धू अपनी वाकपटुता और भाषण की शैली के कारण एक फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं। कांग्रेस के भीतरखाने ये बात चलने लगी थी कि पंजाब में अमरिंदर के बाद अगले बड़े नेता सिद्धू ही होंगे लेकिन सिद्धू ने अपने ही कर्मों से अपनी छवि धूमिल कर ली और आज स्थिति यह है कि अमरिंदर का कद और बड़ा हो चला है और सिद्धू पार्टी में बिल्कुल साइडलाइन हो चुके हैं।
दरअसल, हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तीन दिवसीय ट्रैक्टर यात्रा के दौरान सिद्धू ने अपनी ही सरकार को असहज कर दिया। उन्होंने अपनी ही सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि पंजाब सरकार भी किसानों के कई हितों को नजरंदाज कर रही है, सिद्धू ने पंजाब सरकार पर भी किसानों के साथ धोखाधड़ी की बात दबे शब्दों में कही। सिद्धू के इस रवैए के बाद वो अगले ही दिन राहुल के साथ मंच पर नहीं दिखे। फिर उन्हें एक और झटका पंजाब चुनाव प्रभारी हरीश रावत ने दिया। उन्होंने कहा, सिद्धू के लिए पार्टी में कोई खास जगह नहीं है। वो कांग्रेस पार्टी का भविष्य जरूर हैं लेकिन उन्हें अभी धैर्य रखने की आवश्यकता है। अपमान के कारण वो अपना मंत्री पद पहले ही छोड़ चुके हैं और आज की स्थिति यह है कि पार्टी में सिद्धू के पास कोई खास पद भी नहीं हैं।
ताज़ा मामला बिहार चुनाव से जुड़ा है। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी लेकिन भाषण देने में निपुण और शब्दों की चाशनी घुमाने वाले सिद्धू को ही स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर निकाल दिया है। कांग्रेस के इस फैसले को दो नज़रिए से देखा जा रहा है और दोनों में ही सिद्धू का नुकसान है।
कांग्रेस ने इससे पहले लोकसभा चुनावों में सिद्धू को प्रचार के लिए बिहार भेजा था, लेकिन कटिहार में उनके विवादित बयान के बाद उन पर एक केस दर्ज हो गया था। सिद्दू से पूछताछ भी हुई थी। ऐसे में दोबारा सिद्धू बिहार जाते है तो संभावनाएं है कि उन्हें इस केस का सामना करना पड़े और सिद्धू के कारण पार्टी की किरकिरी हो सकती है जो पार्टी कतई नहीं चाहती है।
इसके अलावा सिद्धू के पकिस्तान दौरे के बाद से उनकी आलोचनाएं कांग्रेस के लिए घातक साबित हुई थी। सिद्धू ने ऐसे बयान दिए थे जिन्हें कोई भी आसानी से देश विरोधी बता सकता है। पाकिस्तानी सेना के चीफ कमर जावेद बाजवा के गले लगना सिद्धू के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक था। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि उसके किसी स्टार प्रचारक को देशद्रोही की संज्ञा मिले और इसीलिए वो सिद्धू को इन चुनावों से दूर रखना चाहती है।
गौरतलब है कि अमरिंदर सिंह, सिद्धू से तब से ही खफ़ा हैं जब से सिद्धू पाकिस्तान यात्रा पर गए थे। बालाकोट एयर स्ट्राइक को फर्जी बताने वाले सिद्धू के विरोध में कैप्टन ने मोर्चा खोल दिया था। अमरिंदर से लगातार बढ़ती दूरियां भी सिद्धू के लिए मुसीबत का सबब बन गईं। हम आपको अपनी पुरानी रिपोर्ट में बता चुके हैं कि कैसे सिद्धू और कैप्टन की तल्खियां जग जाहिर है और आज की स्थिति यह है कि सिद्धू को कोई भाव ही नहीं देता है। राहुल की ट्रैक्टर यात्रा में सिद्धू को जगह न मिलना उन्हें और परेशान कर गया और अब धीरे-धीरे सिद्धू से कांग्रेस का मोहभंग हो गया है।
सिद्धू को लेकर यह भी कहा जाता है कि कांग्रेस सिद्धू को कैप्टन के सामने खड़ा करने लाई है लेकिन सिद्धू के कर्म के चलते अब वो पार्टी में साइडलाइन हो चुके हैं। उन्हें वहां पूछने वाला कोई भी नहीं है। कांग्रेस हमेशा से ही अपनी इसी रणनीति पर काम करती रही है। सिद्धू के साथ भी वही हुआ है। सिद्धू कांग्रेस में रहते हुए राजनीतिक रूप से कोई खास कमाल नहीं कर पाए और अब कांग्रेस उन्हें साइडलाइन कर रही है क्योंकि सिद्धू की देश विरोधी छवि भी अब कांग्रेस पर बोझ बन गई है।