भाग्य का फेर देखिये। एक तरफ हाँग-काँग में कुछ लोग भारतीय झण्डा लहरा रहे हैं, क्योंकि चीन के दमनकारी नीतियों के विरुद्ध एलएसी पर भारत उनसे मोर्चा ले रहा है, जबकि भारत में रहकर ही कुछ लोग भारत का अहित चाहने वालों की जी हुज़ूरी करते दिखाई दे रहे हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं द हिन्दू अखबार की। कुछ दिनों पहले चीन के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर “द हिन्दू” में एक पूरा पेज, जी हां, पूरा पेज चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोपगैंडा को समर्पित था –
इस पेज में चीन के राष्ट्रीय दिवस से संबन्धित जानकारी, चीनी राजदूत का सम्बोधन और वुहान वायरस के विरुद्ध लड़ाई में चीन की कथित विजय की गाथा शामिल थी। इसमें इस बात को विशेष बढ़ावा दिया गया था कि कैसे चीन ने पूरी दुनिया के लिए वुहान वायरस से लड़कर एक “मिसाल” पेश की है।
अगर इस पेज के content पर ध्यान दिया जाये, तो आपको ऐसा प्रतीत होगा मानो चीन से सच्चा और अच्छा देश इस संसार में कहीं नहीं है, और अब समय आ गया है कि चीन को अमेरिका और भारत की नज़रों से देखना बंद किया जाये।
लेकिन अगर आप पेज 3 के ऊपरी हिस्से के दाहिने तरफ ध्यान दें तो आपको चार शब्द नज़र आएंगे, ‘A Space Marketing Initiative’, यानि इस पेज को छापने के लिए चीन से विशेष तौर पर भुगतान किया गया था। मतलब स्पष्ट है, द हिन्दू ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोपगैंडा को फैलाने के लिए पैसे लिए थे। इसे चीन की चाटुकारिता में अपने आत्मसम्मान की बलि चढ़ाना न कहें तो क्या कहें?
लेकिन ये पहला ऐसा मामला नहीं है, जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द हिन्दू ने भारत को लज्जित कराया हो। अप्रैल माह में ही चीन के राजदूत द्वारा भारत चीन के ‘मधुर सम्बन्धों’ पर लिखे उनके मत के प्रकाशन को लेकर पूरा पेज समर्पित किया –
इसके अलावा अभी हाल ही में द हिन्दू ने डेनमार्क के प्रधानमंत्री के बयान के बारे में एक भ्रामक खबर छापी थी, जिसके कारण डेनमार्क के राजदूत को स्वयं आगे आकर स्पष्टीकरण देना पड़ा था। अब जिस प्रकार से द हिन्दू ने चीनी प्रोपगैंडा को इतनी बेशर्मी से बढ़ावा दिया है, उसके बाद तो इन्हें अपना नाम आधिकारिक तौर पर ‘द हान चाइनीज़’ ही रख देना चाहिए। कम से कम देशवासियों को पता तो रहेगा कि ग्लोबल टाइम्स के अलावा भी चीन का एक मुखपत्र है, जो भारत में रहकर चीन की खिदमत करता है।