किम जोंग उन ने आँसू बहाकर और मिसाइल दिखाकर लोकतान्त्रिक देशों को दोस्ती का संदेश भेजा है

उत्तर कोरिया का नाम सुनते ही बेशक आपके दिमाग में क्रूरता और तानाशाही जैसे शब्द उभरकर आने लगते हों, लेकिन अब नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन अपने देश की एक अलग छवि दुनिया के सामने पेश करना चाहते हैं। सिर्फ अपने देश की ही नहीं, बल्कि वे अब खुद को भी एक नर्मदिल और भावुक इंसान के तौर पर दिखाना चाहते हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में उनको मीडिया के सामने आकर रोते हुए और अपने देशवासियों से माफ़ी मांगते हुए देखा गया। मीडिया के सामने आकर उनका रोना और माफ़ी मांगना दर्शाता है कि वे अब अपनी जनता के साथ-साथ दुनियाभर के लोगों के सामने अपनी अलग छवि प्रस्तुत करना चाहते हैं।

पिछले कुछ महीनों में उत्तर कोरिया बिलकुल अलग कारणों से खबरों में रहा है। अक्सर अपने मिसाइल प्रोग्राम के कारण खबरों में रहने वाले इस देश ने अपने चीन विरोध के लिए और पश्चिमी दुनिया से नजदीकी बढ़ाने की कोशिशों के चलते खबरों में अपनी जगह बनाई है। उदाहरण के लिए इसी वर्ष जनवरी में किम जोंग उन ने चीन के साथ लगे अपने बॉर्डर को सील करते हुए अपनी सेना को यह आदेश दिया था कि वे किसी भी चीनी नागरिक को देखते ही गोली मार सकते हैं। इसके बाद एक घटना में उत्तर कोरिया की सेना ने चीनी मछुआरों की नावों पर गोलियां चला दी थी जिसमें 3 चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी।

इन घटनाओं से स्पष्ट हो गया था कि उत्तर कोरिया अब चीन से दूर होता जा रहा है। इतना ही नहीं, उसके बाद ऐसी कई घटनाएँ घटी जिससे यह भी स्पष्ट हो गया कि अब नॉर्थ कोरिया लोकतांत्रिक देशों के साथ अपनी नज़दीकियाँ बढ़ाना चाहता है। उदाहरण के लिए पिछले महीने ही अपने स्वभाव के विपरीत किम जोंग उन ने समुद्री सीमा के विवाद में हाल ही में मारे गए एक दक्षिण कोरियाई अफसर के लिए सांत्वना जताने के साथ-साथ माफी भी मांगी थी।

इसके बाद अब उनका मीडिया के सामने आकर जनता से माफी मांगना भी यही दिखाता है कि वे लोकतान्त्रिक तरीके अपनाकर अब पश्चिम और पूर्व के लोकतान्त्रिक देशों के साथ नज़दीकियाँ बढ़ाना चाहते हैं। शनिवार को किम जोंग ने अपनी वर्कर्स पार्टी की 75वीं वर्षगांठ पर सैन्य परेड में भाषण दिया और हाल ही में आए तूफान में सैनिकों को उनके कार्य के लिए शुक्रिया कहा और कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अहम भूमिका निभाने को लेकर भी आभार जताया। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें दुख है कि वे लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाये और वे लोगों के जीवन के स्तर को बेहतर नहीं कर पाये।

इससे पहले शायद ही किसी तानशाह नेता ने इस प्रकार अपने लोगों के सामने आकर माफी मांगी हो। अपने इस भाषण में उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि वे एक नयी पारी की शुरुआत करना चाहते हैं, और वे अपने देश को ऐसे देश में बदलना चाहते हैं, जो चीनी गुलाम की तरह नहीं बल्कि लोकतान्त्रिक देशों के साथ रहकर आत्मसम्मान के साथ जिये।

सैन्य परेड में इसके बाद किम जोंग उन के सामने बड़ी-बड़ी मिसाइलों का प्रदर्शन भी किया गया, जिसके बाद उनके चेहरे पर मुस्कान देखने को मिली। हालांकि, उन्होंने भावुक संदेश के ठीक बाद इस मिसाइल प्रदर्शन के जरिये दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की, कि लोकतान्त्रिक देशों को उनके मिसाइल प्रोग्राम से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और वे अब शांति स्थापना की दिशा में काम करने के लिए तैयार हैं।

हालांकि, उनके इस बदलाव का आखिर कारण क्या है? किसी अन्य देश की तरह ही उत्तर कोरिया भी अपनी इकॉनमी को बेहतर करने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, वो भी अपने यहाँ infrastructure का विकास करना चाहता है और मुख्यधारा से जुड़ना चाहता है, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध उसके सामने बड़ी मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। अब तक उत्तर कोरिया को चीन का ही सहारा था, लेकिन अब चीन भी इस कम्युनिस्ट देश को कोई सहायता प्रदान नहीं कर पा रहा है। ऐसे में उत्तर कोरिया को अब आगे बढ़ने का एक ही रास्ता दिखाई दे रहा है और वह है कि अब लोकतान्त्रिक देशों के साथ नज़दीकी बढाकर अपने यहाँ स्थिति को बेहतर किया जाए और अपने पर लगे प्रतिबंधों को हटाया जाये। यही कारण है कि अब हमें पिछले कई महीनों से किम जोंग उन के तेवर बदले-बदले नज़र आ रहे हैं।

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