अरुणाचल, तिब्बत, ताइवान, COVID, ट्रेड, शिनजियांग जैसे कई मुद्दों पर अमेरिका चीन की धुलाई कर रहा

चीन अमेरिका

(pc - india tv )

भारत-चीन विवाद के बीच अमेरिका का भारत के साथ खड़े रहना चीन के लिए चिंताजनक होता जा रहा है। अमेरिका ने अब अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद को लेकर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अमेरिका ने साफ कह दिया है कि हम 6 दशकों से अरुणाचल को भारत का हिस्सा मानते हैं। इसलिए ये भारत का ही रहेगा। अमेरिका के इस रुख के बाद चीन और ज्यादा परेशान हो सकता है। साथ ही भारत का साथ देना ये दिखाता है कि अमेरिका किस बेतरतीब हद तक चीन से नफरत करने लगा है।

दरअसल, अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे को लेकर चीन द्वारा शुरु किए गए विवाद पर अमेरिकी विदेश विभाग ने चीन को लताड़ लगा दी है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम पिछले 6 दशकों से अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा मानते हैं। हम वास्तविक नियंत्रण रेखा पर किसी तभी तरह की सैन्य, सिविल घुसपैठ और उसके द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों पर किए गए स्वामित्व के दावों का करारा विरोध करते हैं।” अरुणाचल के इस मसले पर अमेरिका को इतनी ज्यादा बोलने की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन उसका बोलना दिखाता है कि चीन-अमेरिका के बीच किस हद तक शीतयुद्ध की स्थितियां बन गई़ं हैं। ट्रंप अपनी “दुश्मन का दुश्मन दोस्त है” वाली नीति पर चल रहे हैं और चीन से जुड़े हर एक मसले पर बोलकर वो चीन के प्रति अपनी कटुता जाहिर करने से तनिक भी परहेज नहीं कर रहा है।

 

दरअसल, पिछले तीन चार सालों में चीन के खिलाफ बोलने में अमेरिका ने बिल्कुल भी गुरेज नहीं किया है। इसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार हैं। जापान से विवाद हो या फिर दक्षिण चीन सागर पर चीन का बढ़ता प्रभुत्व, अमेरिका मुखरता से चीन के खिलाफ खड़ा रहा है। यहीं नहीं अमेरिका ताइवान के मुद्दे पर चीन को लताड़ने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लेता है। यही नहीं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि कैली क्राफ्ट ने संयुक्त राष्ट्र में कहा, “ताइवान का संयुक्त राष्ट्र में शामिल होना दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। जिसमें आर्थिक और चिकित्सीय क्षेत्र में इसकी महत्वता सबसे अधिक है।” तिब्बत में मानवाधिकार का झंड़ा बुलंद करने में अमेरिका पीछे नहीं रहता है क्योंकि यहां भी विरोध चीन का करना है। 

चीन से विरोध ही कारण है कि अमेरिका ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत की संप्रभुता का मुद्दा उठा दिया। लद्दाख-तिब्बत सीमा पर भारत-चीन की सेना के बीच चल रहे विवाद में भारत का साथ देने के बाद अब अमेरिका ने अरुणाचल के मुद्दे को इसीलिए उठाया है कि चीन को सबक सिखाया जा सके। केवल भारत से जुड़े मामले ही नहीं बल्कि चीन के ही शिनजियांग शहर के उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों और उनके मानवाधिकार हनन पर बोलकर अमेरिका ने बताया कि वो चीन को कमजोर करने के लिए उसकी हर एक कमज़ोर नब्ज को दबाएगा।

 

वहीं, चीन द्वारा विशेष प्रशासनिक कानून लागू करने पर हांगकांग में क्रूरतापूर्ण व्यवहार को लेकर अमेरिका आए दिन हांगकांग के मुद्दे पर चीन की मिट्टी पलीद करता रहा है और ये चीन के साथ उसके गतिरोध का एक बड़ा कारण भी है, क्योंकि ट्रंप ने हांग कांग से जुड़े कई व्यापारिक करारों को रद्द कर दिया था। सिर्फ इतना ही नहीं दक्षिण चीन सागर में वियतनाम और फिलीपींस को आगे बढ़ाने की शह भी अमेरिका ने ही दी है। अमेरिका आशियान देशों को चीन के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए पूरी मदद कर रहा है।

यह तय है कि अमेरिका अब हर एक मुद्दे को चीन के खिलाफ इस्तेमाल करेगा और ट्रंप की चुनाव में संभावित जीत अगर सुनिश्चित हुई तो इन हमलों की तादाद कहीं ज्यादा हो जाएगी जिससे चीन की मुश्किलें थोक के भाव बढ़ेंगी।

 

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